सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से उत्तरप्रदेश के जौनपुर और चंदौली जिलों में हिन्दू राष्ट्र संपर्क अभियान

सेना सेवा समिति के युवा कार्यकर्ताआें के साथ (बाएं से) बैठे श्री. चेतन राजहंस, अधिवक्ता मदन मोहन यादव एवं श्री विश्‍वनाथ कुलकर्णी

चंदौली (उत्तरप्रदेश)  : भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो, इसके लिए जागृति करने और इसके साथ ही समविचारी व्यक्ति एवं संस्था के संगठन होने की दृष्टि से उत्तरप्रदेश के जौनपुर और चंदौली जिलों में हिन्दू जनजागृति समिति एवं सनातन संस्था द्वारा हिन्दू राष्ट्र संपर्क अभियान आयोजित किया गया । इस अभियान में सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस और हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. विश्‍वनाथ कुलकर्णी सहभागी हुए थे । इस अभियान के अंतर्गत इन जिलों के बुद्धिजीवी, प्रतिष्ठित, हिन्दुत्वनिष्ठ और सामाजिक क्षेत्र के लोगों से संपर्क हुआ । इसके साथ ही कुछ स्थानों पर बैठकों के माध्यम से हिन्दुओं में जागृति की गई ।

 

थानागद्दी की संघ शाखा में साधना संबंधी मार्गदर्शन

श्री. चेतन राजहंस ने थानागद्दी में प्रभात संघशाखा का मार्गदर्शन किया । वे बोलेे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में हम खेल-खेल में राष्ट्रवाद सीखते हैं । शाखा से अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमता का विकास होता है; परंतु शारीरिक बल और मनोबल की तुलना में आत्मिक बल अधिक महत्त्वपूर्ण होता है । आत्मबल बढाने के लिए साधना करना आवश्यक है । संघ के द्वितीय सरसंघचालक पूजनीय गोळवलकर गुरुजी उच्च प्रति के साधक थे । उन्होंने युवा अवस्था में ही देशभर में संघ का विस्तार किया, इसके साथ ही संकटकाल में भी बिना डगमगाए संघ का कार्य बंद नहीं होने दिया । इसका कारण था उनका आत्मबल ! हमें भी अपने आत्मिक बल की वृद्धि के लिए साधना करनी चाहिए । साधना अर्थात ईश्‍वर की भक्ति और स्मरण । नामसाधना से ईश्‍वर की भक्ति और स्मरण करना, सहज सुलभ होता है ।

 

बाराई गांव में प्रबुद्ध ग्रामस्थों से चर्चा

बाराई गांव में ग्रामस्थों से चर्चा करते समय श्री. राजहंस बोले, ‘शुभकर्म और पापकर्म में क्या अंतर है, यह केवल धर्म सिखाता है । आज किसी ने धर्म की शिक्षा नहीं ली है, कारण यह कि अधिकांश विद्यालय अथवा महाविद्यालयों में नहीं सिखाए जाने से किसी को भी कर्म से भय नहीं लगता । पापकर्म करने से मृत्यु के उपरांत दुर्गति होती है, यह केवल धर्म सिखाता है । इसीलिए प्राचीन काल में धर्म को जानने वाले लोग पापकर्म से बचते थे । यदि हम सभी धर्माचरणी बन जाएं, तो गांव में लडाई-झगडे नहीं होंगे और सुख-समृद्धि आएगी । इसलिए कि धर्म का वचन ही है, ‘सुख का मूल धर्म है !’

 

जौनपुर में पूर्वांचल विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थियों से चर्चा

‘पढाई अच्छी होने के लिए मन एकाग्र होना आवश्यक होता है; परंतु मन में निरर्थक विचारों की श्रृंखला आणि सामाजिक माध्यमों के कारण मन में चंचलता उत्पन्न होती है । नामसाधना द्वारा मन की एकाग्रता बढाना, यही इन समस्याओं पर उपाय है । कुलदेवता का नामजप करना भी सबसे सहज और उपयुक्त साधना है । नामसाधना से निरर्थक विचार कम होते हैं और धीरे-धीरे मन एकाग्र होने लगता है’, ऐसा मार्गदर्शन सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने किया । पूर्वांचल विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ हुई चर्चा में उन्होंने उपस्थितों को संबोधित किया ।

 

सकल्डीहा (चंदौली) में हिन्दू राष्ट्र जागृति परिसंवाद में सनातन संस्था का सहभाग

‘धर्मनिरपेक्षता के कारण भारत के हिन्दुओं की सर्वाधिक हानि हुई है । वास्तव में भारत के संविधान में सेक्युलर शब्द राज्य व्यवस्था के लिए लागू है । वह हिन्दुओं के लिए नहीं; परंतु जब से हिन्दू स्वयं को धर्मनिरपेक्षतावादी कहलवाने लगे, तब से उन्हें अपने हिन्दुत्व का ही विस्मरण होने लगा है । धर्मनिरपेक्षता के नाम पर वे नास्तिक बनने लगे हैं । इसलिए देश के संविधान से ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द को हटाने की आवश्यकता है । इसके साथ ही भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की आवश्यकता है’, ऐसा प्रतिपादन श्री. चेतन राजहंस ने यहां हुए युवा संघर्ष मोर्चा द्वारा आयोजित हिन्दू राष्ट्र जागृति परिसंवाद में किया । इस कार्यक्रम का आयोजन सकल्डीहा बार असोसिएशन के अध्यक्ष श्री. शैलेंद्र पांडे ने किया था ।

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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