नासिक की ज्योतिष एवं वास्तु तज्ञ श्रीमती शुभांगिनी पांगारकर, श्रीमती वसुंधरा संतान एवं श्रीमती स्मिता मुले द्वारा रामनाथी के सनातन आश्रम का अवलोकन।

बाईं ओर से श्रीमती वसुंधरा संतान, श्रीमती स्मिता मुले एवं श्रीमती शुभांगिनी पांगारकर को दैनिक ‘सनातन प्रभात’के विभाग की जानकारी देते हुए श्री. रूपेश रेडकर

रामनाथी : नासिक की ‘आयादी ज्योतिष वास्तु’ संस्था की निदेशक श्रीमती शुभांगिनी पांगारकर, ‘समर्थ ज्योतिष वास्तु’ संस्था की निदेशक श्रीमती वसुंधरा संतान एवं ‘स्वस्तिक ज्योतिष वास्तु’ संस्था की निदेशक श्रीमती स्मिता मुले ने ७ फरवरी को सनातन आश्रम का अवलोकन किया । सनातन संस्था के श्री. रूपेश रेडकर ने उन्हें आश्रम में चल रहे राष्ट्र, धर्म एवं आध्यात्मिक शोधकार्य की जानकारी दी । इस अवसरपर उन्होंने महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय की ज्योतिष विभाग की प्रमुख ज्योतिष फलित विशारद श्रीमती प्राजक्ता जोशी एवं ज्योतिष विशारद श्री. राज कर्वे के साथ संवाद किया ।

 

मान्यवरों का परिचय

१. श्रीमती शुभांगिनी पांगारकर ने ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र, डाऊजिंग (लोलक चिकित्सा), अंकशास्त्र, नाडीज्योतिष एवं रमल इन विषयों में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है ।

२. श्रीमती वसुंधरा सुनील संतान ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र, रेकी, डाऊजिंच (लोलक चिकित्सा) एवं अंकशास्त्र इन विषयों में स्नातक हैं ।

३. श्रीमती स्मिता मुले ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र, नक्षत्रज्योतिष, डाऊजिंग (लोलक चिकित्सा), लाल किताब इन विषयों में स्नातक हैं ।

इन तीनों मान्यवरों ने मई २०१९ में नासिक में आयोजित पहले राज्यस्तरीय ज्योतिष अधिवेशन में ज्योतिष के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्य के लिए ज्योतिष महर्षि श्री. व.दा. भट के हस्तों स्वर्णपदक प्रदान किया गया है ।

 

सनातन आश्रम के संदर्भ में व्यक्त गौरवोद्गार

१. श्रीमती वसुंधरा संतान एवं श्रीमती स्मिता मुले : आश्रम में पुरुष साधक भी सभी प्रकार की सेवाएं करते हैं, जो बहुत अच्छी बात है ।

२. श्रीमती शुभांगिनी पांगारकर : आश्रम में नियोजन और स्वच्छता बहुत ही अच्छी है ।

इन तीनों मान्यवरों ने बहुत जिज्ञासा के साथ आश्रम का अवलोक किया और कहा, ‘‘आश्रम में विद्यमान स्पंदन बहुत ही अप्रतिम और अच्छे हैं । आश्रम की ईशान्य दिशा में प्रवेशद्वार के पास का कुंआ और कमलपीठ; वायव्य दिशा में स्थित बायोगैस परियोजना आदि सभी बातें वास्तुशास्त्र के अनुसार हैं । वास्तुशास्त्र के अनुसार इतनी योग्य वास्तु बहुत ही अल्प स्थानोंपर देखने को मिलती है ।’’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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