मालाड (मुंबई) के नाडी प्रशिक्षक आचार्य वैद्य संजय छाजेड द्वारा रामनाथी (गोवा) आश्रम का अवलोकन

रामनाथी (गोवा) : आयुर्वेद के अनुसार नाडीपरीक्षण करने की शिक्षा देनेवाले मालाड (मुंबई) के नाडी प्रशिक्षक आचार्य संजय छाजेड ने ४ जनवरी को यहां के सनातन आश्रम का अवलोकन किया । इस अवसरपर सनातन संस्था के साधक-अधिवक्ता योगेश जलतारे ने आचार्य संजय छाजेड को आश्रम में चल रहे राष्ट्र-धर्म के कार्य की तथा आध्यात्मिक शोधकार्य की जानकारी दी । तब वैद्य छाजेड ने संस्था के कार्य के संदर्भ में श्रद्धापूर्वक जानकर लिया और आश्रम के अवलोकन के पश्‍चात प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे आश्रम बहुत अच्छा लगा और मुझे यहां ८ दिनतक निवास करना अच्छा लगेगा ।

बाईं ओर से वैद्य संजय छाजेड को ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकों की जानकारी देते हुए अधिवक्ता योगेश जलतारे

 

आश्रम अवलोकन के समय वैद्य छाजेड द्वारा व्यक्त गौरवोद्गार

१. साधकों द्वारा साधना करते समय हुई चूकों के संदर्भ में लिखा गया फलक देखते हुए वे कहने लगे, ‘‘क्या प्रत्येक साधक इस प्रकार से चूक लिखता है ? यह बहुत अच्छा है ।’’

२. ‘साधक स्वयं के धन का व्यय कर साधना करते हैं’, यह उन्हें बताए जानेपर उन्होंने कहा कि उसके बदले में साधक को बहुत कुछ मिल रहा होता है । महर्षि बताते थे कि साधक के त्याग के कारण उसे आनंद तो मिलता रहता है; इसलिए उसे ईश्‍वर के पास और कुछ मांगने की आवश्यकता नहीं होती ।

३. सनातन संस्था के दिव्यांग संत पू. सौरभ जोशीजे से मिलने के पश्‍चात उन्हें पू. सौरभभैया का प्रभामंडल सकारात्मक होने का ध्यान में आया । इसके संदर्भ में उसने कहा कि किसी अच्छे व्यक्ति के प्रभामंडल के कारण उसके संपर्क में आनेवाले व्यक्ति का प्रभामंडल भी सकारात्मक आता है ।

 

वैद्य संजय छाजेड का परिचय

वर्ष १९८७ में वैद्य संजय छाजेड ने पुणे विश्‍वविद्यालय की आयुर्वेदाचार्य परीक्षा में प्रथम क्रम से उत्तीर्ण होकर सुवर्णपदक प्राप्त किया । उसके पश्‍चात गुजरात आयुर्वेद विश्‍वश्‍विविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में भी वे पहले क्रम में उत्तीर्ण हुए । इस विश्‍वविद्यालय में उन्होंने ‘कायाचिकित्सा’ विषय लेकर स्नातकोत्तर शिक्षा पूर्ण करते हुए वहां भी सुवर्णपदक प्राप्त किया । कालांतर से उन्होंने महर्षि महेश योगीजी के आयुर्वेद प्रसार के कार्य में सहभागी होकर युरोप में पंचकर्म केंद्र आरंभ किए । उन्होंने हंगेरी देश में आयुर्वेद का सरकारी अनुमति प्राप्त कर लेने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । डॉ. छाजेड संगीत चिकित्सा भी करते हैं । संगीत के चिकित्सा करनेवाले उनके ५०० से भी अधिक छात्र कार्यरत हैं । अभीतक उन्होंने २५ सहस्र केसेस (प्रकरण) देखे हैं । उन्होंने गर्भावस्था से लेकर संगीत चिकित्सा में शोधकार्य किया है ।

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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