आध्यात्मिक पहेली : १, १०,१००, १०००, १००००

अधिकांश नियतकालिकों में शब्दपहेलियां होती हैं । वे बौद्धिक स्तर की होती है । यहां मानसिक स्तर की पहेली दी है । सनातन प्रभात आध्यात्मिक नियतकालिक होने से इस लेखमाला में आध्यात्मिक स्तर की पहेलियां दी हैं । मानसिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक स्तर की पहेलियां क्या होती हैं, यह इससे समझ में आएगा ।

प्रयोग

 किसी भी संख्या पर १ शून्य, २ शून्य, इस प्रकार बढते क्रम से शून्य लिखें, उदा. १, १०,१००, १०००, १००००, ……… इत्यादि । इनमें से प्रत्येक संख्या की ओर ५ – ६ बार देखकर आगे-आगे की प्रत्येक संख्या की ओर ५ – ६ बार देखते हुए आगे बढें । प्रत्येक क्षण क्या प्रतीत होता है,इसका अध्ययन करें । ऐसा २ – ३ मिनट करें । मन एकाग्र करने के लिए आवश्यक लगने पर एक संख्या की ओर देखते समय अन्य संख्याएं कोरे कागद से ढंककर रखें ।
 

प्रयोग का उत्तर : अधिकाधिक शून्यों
से युक्त संख्याआें से कष्ट होते हैं ।

विश्लेषण

 शून्यरहित संख्या (उदा. १) शून्ययुक्त संख्या की तुलना में (उदा. १०, १००, १०००)शून्य से, अर्थात निर्गुण से अधिक समीप है; इसलिए उसका उच्चारण करने से अच्छा लगता है,तो अधिक शून्यों से युक्त संख्याएं अधिकाधिक सगुण की ओर जाती हैं, इसलिए उनके उच्चारण से अधिक कष्टदायक प्रतीत होता है। अधिकाधिक, अर्थात अधिकाधिक माया । अधिकाधिक कितना भी हो सकता है, उसका कोई अंत नहीं है ।

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