‘टैटू’ की पाश्‍चात्त्य विकृति को दूर रखिए !

भारतीय युवकों में शरीरपर टैटू गोदवाने की पाश्‍चात्त्य विकृति प्रचलित हुई है । आज के युवाओं के लिए यह स्टाइल स्टेटमेंट बन गया है। शरीर के लगभग हर भाग में टैटू बनाना आजकल युवाओं में काफी कॉमन हो गया है, लेकिन इनसे होने वाली परेशानियों के बारे में आज तक आपको नहीं पता होगा। तो आइए आपको बताते हैं कि टैटू बनवाने से किस तरह की परेशानियां सामने आती हैं।

भारतीय परंपरा में पहले शरीरपर शुभचिन्ह गोदने की परंपरा थी; किंतु अब टैटू गोदने की कुपरंपरा आई है । टैटू के कारण घातक संक्रमरकारी रोग फैलते हैं ।

 

त्वचा से जुड़ी परेशानियां

टैटू आजकल लगभग हर कोई बना रहा है, लेकिन इस तरह के टैटू से कई तरह की गंभीर समस्या आपके सामने आ सकती है। इससे त्वचा में लालिमा, मवाद, सूजन जैसी कई तरह की परेशानियां सामने आ सकती हैं। इसके अलावा कई तरह के बैक्टीरियल संक्रमण भी आपको इनसे हो सकते हैं। पर्मानेंट टैटू के दर्द से बचने के लिए कई लोग नकली टैटू का सहारा लेते हैं, लेकिन ऐसा ना करें। इससे आपको और भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

स्याही का दुष्परिणाम

टैटू बनाने के लिए एक अलग तरह की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि हमारी त्वचा के लिए काफी खतरनाक होती है। टैटू बनाने के लिए नीले रंग की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है । नीले रंग के अलावा और रंगों में कैडियम, क्रोमियम, निकल व टाइटेनियम जैसी कई धातुएं मिली रहती हैं, जो कि त्वचा के लिए खराब होती हैं।

मांसपेशियों को नुकसान

कुछ डिजाइन ऐसे होते हैं जिनमें  सूइयों को शरीर में गहराई तक चुभाया जाता है। जिसके चलते मांसपेशियों को काफी नुकसान पहुंचता है।

 

आध्यात्मिक स्तरपर नुकसान

दूसरों की अपेक्षा अलग दिखने तथा सुंदरता बढाने हेतु शरीरपर टैटू गोद लेने का अर्थ स्वयं में विद्यमान अहं का पोषण करना है ।

 

– श्री. जगन घाणेकर, घाटकोपर, मुंबई

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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