सोलापुर (महाराष्ट्र) की अधिवक्ता अपर्णा रामतीर्थकर द्वारा रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम का अवलोकन !

 

बाईं ओरसे सनातन प्रभात नियतकालिकों के विषय में जानकारी देते हुए श्री. प्रसाद देव, अधिवक्ता अपर्णा रामतीर्थकर एवं श्रीमती शुभांगी बुवा

 

रामनाथी (गोवा) : सोलापुर की अधिवक्ता अपर्णा रामतीर्थकर ने १७ मई को सनातन आश्रम का अवलेकन किया । इस अवसरपर उनके साथ शुभराय महाराज की वंशज श्रीमती शुभांगी बुवा भी उपस्थित थीं । सनातन के साधक श्री. प्रसाद देव ने उन्हें सनातन आश्रम में चल रहे राष्ट्र एवं धर्म का कार्य तथा आध्यात्मिक शोधकार्य की जानकारी दी । अधिवक्ता अपर्णा रामतीर्थकर अंतरराष्ट्रीय विषयों की अभ्यासी तथा स्तंभलेखक पत्रकार दिवंगत अरुण रामतीर्थकर की पत्नी हैं ।

आश्रम देखकर एक अलग ही अनुभूति हुई !
– श्रीमती अपर्णा रामतीर्थकर, ओंकार सोसाईटी, गजरेवाडी, सोलापुर

४ वर्ष पहले मैं यहां आई थी । उसकी अपेक्षा इस बार यहां आते समय मन में कुछ अलग भावनाएं थीं । मुझे कुछ शंकाएं भी पूछनी थीं; परंतु आश्रम देखकर एक अलग ही अनुभूति हुई । इस परिसर की प्रत्येक बात में चैतन्य प्रतीत हो रहा था । सभी प्रकार की सकारात्म ऊर्जाएं अपने आसपास वलय बना रही हैं, ऐसा लगा ।

सूक्ष्म-जगत के विषय में रामतीर्थकर ने कहा, इतनी छोटी-छोटी बातें ज्ञात नहीं थी । प्रदर्शनी देखनेपर यह ध्यान में आया कि इस सूक्ष्म जगत में घटित होनेवाली अनेक बातें हमें क्यों ज्ञात नहीं थीं ? इस प्रदर्शनी के कारण आंतरिक एवं सकारात्मक विचारों का, साथ ही नामजप का महत्त्व ध्यान में आया ।

हम मोक्षतक जा सकते हैं, इसकी पक्की
आश्‍वस्तता करानेवाला और उसके लिए साधना करवा लेनेवाला आश्रम !
– श्रीमती शुभांगी जयकृष्ण बुवा, दक्षिण कसबा, श्री शुभराय महाराज मठ, सोलापुर

आश्रम की इमारत बहुत अच्छी है । आश्रम का नवीकरण चल रहा है; परंतु उससे आश्रम के कार्य में कोई बाधा नहीं पहुंचती है । आश्रम शांत और पवित्र है । ईश्‍वर की भक्ति एवं कृतिभक्ति को जोडकर हम मोक्षतक जा सकते हैं, इसकी पक्की आश्‍वस्तता करानेवाला और उसके लिए साधना भी करवानेवाला यह आश्रम है । भविष्य में इस आश्रम की महिमा इतनी बढेगी कि मनुष्य को उसके कर्तव्य की तथा जीवन जीने की कला समझाकर लेने हेतु यहां रुककर और नमस्कार कर ही आगे जाना पडेगा, इतना महत्त्वपूर्ण और जीवनकल्याण का कार्य यहां चल रहा है ।

सूक्ष्म जगत के विषय में श्रीमती बुवा ने कहा, सूक्ष्म जगत के विषय में जानकारी तो थी; परंतु यहां उसका प्रत्यक्ष अनुभव हुआ । अंतर में विद्यमान भाव और निष्ठा दृढ हुई । यहां के सभी को नमस्कार !

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