अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिर्विद डॉ. मधुसूदन घाणेकर द्वारा रामनाथी के सनातन आश्रम का अवलोकन !

सनातन आश्रम आध्यात्मिक जगत की अनुभूति करानेवाला
आश्रम ! – डॉ. मधुसूदन घाणेकर, अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिर्विद

बाईं ओर से श्रीमती मेघना घाणेकर एवं डॉ. मधुसूदन घाणेकर को आश्रम का ध्यानमंदिर दिखाते हुए श्री. अरविंद पानसरे

रामनाथी, गोवा : सनातन के आश्रम में कई स्थानोंपर सूक्ष्म गंध आता है तथा सकारात्मक तरंग भी प्रतीत हुए । आश्रम के अवलोकन के डेढ घंटे के समय में मैं स्वयं को भूल गया । इस अवधि में मुझे तनिक भी थकान नहीं लगी और उत्साह बढ गया । मुझे इस आश्रम से बहुत कुछ सीखने को मिला, आध्यात्मिक जगत क्या होता है, इसका प्रत्यक्ष अनुभव हुआ और आश्रम में आध्यात्मिक शक्ति प्रतीत हुई । अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिषी तथा पुणे के वरिष्ठ ज्योतिर्विद डॉ. मधुसूदन घाणेकर (आयु ६३ वर्ष) ने यह गौरवोद्गार व्यक्त किए । २६ मार्च को डॉ. मधुसूदन घाणेकर तथा उनकी पत्नी श्रीमती मेघना घाणेकर ने यहां के सनातन आश्रम का अवलोकन किया । हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य प्रवक्ता श्री. अरविंद पानसरे ने उन्हें आश्रम में चल रहे राष्ट्र एवं धर्म कार्य की जानकारी दी ।

 

महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के कार्य में सहभाग

वर्ष २०१४ में रामनाथी में संपन्न ६ठी महिला ज्योतिष परिषद में महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय की श्रीमती प्राजक्ता जोशी को विषय रखने का अवसर मिला था । उस समय भी डॉ. घाणेकर तथा कुछ ज्योतिषियों ने आश्रम का अवलोकन किया था ।

 

डॉ. मधुसूदन घाणेकर का परिचय

१. डॉ. घाणेकर एक वरिष्ठ ज्योतिषी हैं । अनेक नियतकालिकों में उनके लेख प्रकाशित हुए हैं । उन्हें ‘ज्योतिष जीवनगौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।

२. वे ध्यान की एक अवस्थातक पहुंच जाते हैं, जिसे वे ‘ब्रह्मध्यान की अवस्था’ कहते हैं।

३. वे ‘विश्‍वजोडो अभियान’ के अंतर्गत व्यंगयात्रा, व्यंगकविताएं, गीत, हस्ताक्षर से स्वभाव, ‘फेसरिडींग’, संमोहन, रेकी आदि करते हैं तथा समाज में ‘पानी बचाओ’, ‘विश्‍व से प्रेम करो’, ‘प्राणिमात्रोंपर प्रेम करो’, ‘निर्धन-दिव्यांग की सहायता करो’ का संदेश पहुंचाते हैं।

४. उन्होंने वैश्‍विक हास्य परिषद, वैश्‍विक हस्ताक्षर, मनोविश्‍लेषक परिषदसहित १० महत्त्वपूर्ण अंतराष्ट्रीय परिषदों की अध्यक्षता की है। चलचित्रगीत, गजल लेखन, कथा-पटकथा-संवादलेखन के लिए, साथ ही व्यंगकविताओं के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

५. डॉ. घाणेकर ने अबतक अखिल भारतीय बहुभाषिय व्यंग-कवीसम्मेलन (वर्ष २०००), पहला व्यंगात्मक साहित्य सम्मेलन (वर्ष २००१), पहला राज्य विद्युत साहित्य सम्मेलन (वर्ष २०००), बच्चों का पहला अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन (वर्ष २००२), अखिल भारतीय मराठी कवीसम्मेलन (वर्ष २००४), कवी केशवसुत शताब्दी स्मृति कवीसम्मेलन आदि १० साहित्य सम्मेलनों की अध्यक्षता की है।

६. डॉ. घाणेकर महिला ज्योतिर्विद, साहित्यगौरव, वी. आर्ट्स, ‘फ्रेंड्स इंटरनैशनल हाऽहाऽहा लाफ इंटरनैशनल’, ‘हैंडराईटिंग एनालिसिस रिसर्च फाऊंडेशन’, ‘युनिवर्सल एस्ट्रॉलॉजिकल फाऊंडेशन’, ‘दत्तोपासक स्व. ताई घाणेकर शताब्दी समिति, इन संस्थाओं के अध्यक्ष हैं।

७. उन्होंने अबतक २०० से भी अधिक पुस्तकों का लेखन किया है । उन्होंने कई वैश्‍विक कीर्तिमान स्थापित किए हैं, जिनकी प्रविष्टि ‘लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स’ में हुई है ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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