परात्पर गुरु पांडे महाराज का छायाचित्रमय जीवनदर्शन

वैसे देखा जाए, तो परात्पर गुरु पांडे महाराज जैसे बहुविध गुणों से युक्त तथा चैतन्य से ओतप्रोत महान व्यक्तित्व का जीवनचरित्र खोलना असंभव ! केवल ईश्‍वर की कृपा से ही प.पू. बाबाजी के छायाचित्रों द्वारा दर्शाया गया यह अल्प परिचय उनके चरणों में सविनय अर्पण करते हैं !


जीव-शिव की भेंट ! परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने १८.२.२००५ को परात्पर गुरु पांडे महाराज से अकोला (महाराष्ट्र) में उनके घर जाकर भेंट की । इस भेंट के समय परात्पर गुरु पांडे महाराज का भाव जागृत हुआ । वे इस दिन को अपना जन्मदिन समझते थे । 

योगविशेषज्ञ दादाजी वैशंपायनजी का उनके ९१वें जन्मदिवसपर उनका औक्षण करते हुए परात्पर गुरु पांडे महाराज ! (मई २०१०)

योगविशेषज्ञ दादाजी वैशंपायन ने अपनी भविष्यवाणी में कहा था कि परात्पर गुरु पांडे महाराज देवद आश्रम में आकर साधकों के लिए आध्यात्मिक उपाय बताएंगे और हुआ भी वैसा ही !

परात्पर गुरु पांडे महाराज द्वारा संकलित ग्रंथ ‘श्री गणेश अध्यात्म दर्शन’ के लिए इंदौर के स्वामी श्री विष्णुतीर्थ प्रतिष्ठान की ओर से १६.१०.२००५ को परात्पर गुरु पांडे महाराज को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया । उस पुरस्कार का स्वीकार करते समय का यह अनमोल क्षण !

 

१. एक आनंदित परिवार !

बाईं ओर से (बैठी हुईं) उनकी धर्मपत्नी श्रीमती आशा पांडेदादी तथा परात्पर गुरु पांडे महाराज, बाईं ओर से (खडे) पुत्रवधु श्रीमती देवयानी पांडे, पौत्र कु. सौरभ, पौत्री कु. गौरी पांडे तथा पुत्र श्री. अमोल पांडे (वर्ष २००७)

वर्ष २०१२ में परात्पर गुरु पांडे महाराज के शुभहस्तों संकेतस्थल सनातन शॉप का लोकार्पण किया गया था । साथ ही उन्होंने सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के विविस संकेतस्थल और एन्ड्रॉईड एप का भी लोकार्पण किया था ।

परात्पर गुरु पांडे महाराज एवं श्रीमती आशा पांडेदादी के विवाह की वर्षगांठ के अवसरपर देवद आश्रम में उन्हें श्रीकृष्णार्जुन का चित्र भेंट कर सम्मानित किया गया था । (वर्ष २०१२) 

परात्पर गुरु पांडे महाराज ने विविध आकृतियां और जीवतत्त्ववाले पत्थरों का अनोखा संग्रह किया था । देवद आश्रम में आयोजित इस संग्रह की प्रदर्शनी में पौत्री कु. गौरी तथा पुत्र श्री. अमोल को जानकारी देते हुए प.पू. पांडे महाराज, साथ में श्रीमती आशा पांडेदादी (वर्ष २०१५)

प्रकृति के साथ समरस परात्पर गुरु पांडे महाराज ! महाराज साधकों की भांति प्रकृति से भी अपार प्रेम करते थे । उनके देहत्याग के पश्‍चात यहां के वृक्षों में आए दैवीय परिवर्तन से इसकी प्रचीती हुई । 

परात्पर गुरु पांडे महाराज की ओर से प्रतिवर्ष दशहरे के दिन संत और साधकों को मिलनेवाला प्रसाद था उनके अक्षरों में लेखन किया गया अश्मंतक का पत्ता ! परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को भेजे गए पत्तों में से यह एक पत्ता है । परात्पर गुरु पांडे महाराज प्रतिवर्ष नई-नई संकल्पनाएं बनाकर उसके अनुसार लेखन कर अश्मंतक के पत्ते भेजते थे । 

परात्पर गुरु पांडे महाराज के ९०वें जन्मदिवसपर (वर्ष २०१७) उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रमस्थलपर उनके आगमन के समय साधकों ने उनपर पुष्पवर्षाव किया । वह है यह भावक्षण ! 

परात्पर गुरु पांडे महाराज के देहत्याग के दूसरे दिन उनके द्वारा संकलित ग्रंथ ‘पंढरी का पहला वारकरी (पांडुरंग)’ को उन्हें समर्पित कर उसका लोकार्पण किया गया । इस अवसरपर संत तथा उनके परिजन उपस्थित थे । 

 

२. एक भावस्पर्शी क्षण !

श्रीगुरुदेवजी द्वारा अपनाए जाने के पश्‍चात वे अंततक
किस प्रकार उसके उपर प्रेम की वर्षा करते हैं, इसका उदाहरण

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा स्पर्श की हुई पुष्पमाला को परात्पर गुरु पांडे महाराज के पार्थिव शरीर को समर्पित करते हुए सनातन के संत पू. रमेश गडकरीजी 

देवद आश्रम का मानो आत्मा कहा जानेवाला परात्पर गुरु पांडे महाराज का कक्ष

परात्पर गुरु पांडे महाराज के चैतन्यमय अस्तित्व की प्रचीती देनेवाला उनका कक्ष तथा चैतन्य से भारित उनकी वस्तुओं में विद्यमान चैतन्य की अनुभूति करते हैं !

 

३. परात्पर गुरु पांडे महाराज के अंतिमसंस्कार के समय प्रकट हुईं विविध दैवीय आकृतियां !

परात्पर गुरु पांडे महाराज के पार्थिव शरीर की अग्नि में दिखाई देनेवाली कमरपर हाथ रखी हुई श्री विठ्ठल की मूर्ति
पार्थिव की अग्नि में हाथ जोडी हुई मुद्रा में खडी एक देवता

 

४. परात्पर गुरु पांडे महाराज की दशक्रिया विधि
के लिए बनाए गए पिंड तथा रोटियोंपर ॐ का चिन्ह अंकित हुआ है ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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