समष्टि कार्य की लगन रखनेवाले पू. नीलेश सिंगबाळजी (आयु ५५ वर्ष) सद्गुरु पद पर विराजमान !

सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी

फोंडा (गोवा) – उत्तर भारत में प्रतिकूल परिस्थिति में भी धर्मप्रचार का कार्य अत्यंत लगन से करनेवाले और प्रेमभाव से हिन्दुत्वनिष्ठों को अपना बनानेवाले विनम्र वृत्ति के पू. नीलेश सिंगबाळजी सद्गुरु पद पर विराजमान हुए । यह आनंदवार्ता यहां हुए एक भाव समारोह में घोषित की गई । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी द्वारा यह आनंदवार्ता घोषित करने के उपरांत उपस्थित सभी सद्गुरु, संत और समन्वयक भावविभोर हो गए । गुरुकृपायोगानुसार साधना कर पू. नीलेश सिंगबाळजी ने सद्गुरु पद प्राप्त किया । इस समय परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी और सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी की पत्नी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने उनका सम्मान किया । इस समय उनके पुत्र श्री. सोहम् सिंगबाळ भी उपस्थित थे ।

धर्मकार्य की तीव्र लगन से युक्त और
सहजावस्था में रहनेवाले पू. नीलेश सिंगबाळजी सद्गुरु पद पर विराजमान

मूलतः गोवा के पू. नीलेश सिंगबाळजी ने वर्ष १९९६ में साधना आरंभ की । आज्ञापालन, स्वयं में परिवर्तन करने की लगन एवं त्याग, इन गुणों के कारण उन्होंने वर्ष १९९९ से पूर्णकालीन साधना आरंभ की ।

वर्ष २००४ में वे उत्तर भारत के वाराणसी में सेवा हेतु गए । वाराणसी की प्रतिकूल परिस्थिति में रहना कठिन है । ऐसे में ईश्वर के प्रति श्रद्धा के कारण उन्होंने दृष्टिकोण रखा कि ‘यह कर्मभूमि स्वयं की प्रगति हेतु पोषक है ।’ और सकारात्मक रहकर सेवा की । वाराणसी सेवाकेंद्र में रहकर वहां के आश्रमजीवन का उन्होंने साधना हेतु पूर्ण लाभ उठाया । आरंभ में सेवाकेंद्र में साधकसंख्या अल्प थी । तब उन्होंने ‘दिखाई दे वह कर्तव्य’ यह दृष्टिकोण रख वहां की सर्व प्रकार की सेवाएं आनंद से और कृतज्ञभाव में रहकर कीं । इससे उनकी ध्येयनिष्ठा और सेवाभावी वृत्ति झलकती है । इस सबसे उनकी मन एवं बुद्धि का अर्पण होकर उनकी आध्यात्मिक उन्नति शीघ्रता से होने लगी और वर्ष २०१२ में उन्होंने ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया ।

साधना में साधकों की सहायता करते हुए उनमें विद्यमान धर्मकार्य की तीव्र लगन के कारण उन्होंने हिन्दुओं को संगठित करने के लिए भी लगन से प्रयास किए । उनके मार्गदर्शन से पूर्वोत्तर भारत में हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य भारी मात्रा में बढने लगा । तत्त्वनिष्ठा, सेवा में परिपूर्णता, प्रीति, अहंशून्यता आदि गुणों के कारण वर्ष २०१७ में वे संतपद पर विराजमान हुए ।

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु हिन्दू संगठनों को एकत्र करना और साधकों का साधना में मार्गदर्शन करना, यह उनका कार्य व्यापक स्तर पर और अखंड जारी है । वर्ष २०२१ की गुरुपूर्णिमा के समय उनका आध्यात्मिक स्तर ७८ प्रतिशत था और आज के शुभदिवस पर ८१ प्रतिशत स्तर साध्य कर वे ‘समष्टि सद्गुरु’ के रूप में सद्गुरु पद पर विराजमान हुए ।

त्याग और समर्पण के आदर्श सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी का पूरा परिवार ही आदर्श है । उनकी माताजी श्रीमती सुधा सिंगबाळजी संतपद पर विराजमान हैं । उनकी पत्नी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी सर्व साधकों की साधना का विशाल आधारस्तंभ हैं और संपूर्ण भारत के साधकों को वे साधना संबंधी मार्गदर्शन और सहायता करती हैं । उनका बेटा सोहम् (आयु २४ वर्ष) सनातन के रामनाथी आश्रम में रहकर साधना करता है ।

६१ प्रतिशत से ८१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर तक की यात्रा केवल १० वर्षाें में साध्य करनेवाले सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी की आगे की आध्यात्मिक प्रगति भी शीघ्र गति से होगी’, इसकी मुझे निश्चिति है ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले (२९.६.२०२२)

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