यज्ञ का प्रथमावतार ‘अग्निहोत्र’के विषय में वैज्ञानिक शोध !

विज्ञान के माध्यम से अग्निहोत्र का वातावरणपर क्या परिणाम होता है ?, इसके अध्ययन हेतु महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय की ओर से एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण हेतु यू.टी.एस्. (युनिवर्सल थर्मो स्कैन) उपकरण का उपयोग किया गया । इस परीक्षण का स्वरूप, किए गए मापन की प्रविष्टियां तथा उनका विवरण आगे दिया गया है ।

 

१. परीक्षण का स्वरूप

इस परीक्षण में अग्निहोत्र करने से पहले तथा अग्निहोत्र के पश्‍चात यू.टी.एस्. उपकरण द्वारा किए गए मापनों की प्रविष्टियां की गईं । उसके पश्‍चात इन प्रविष्टियों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया ।

पाठकों को सूचना : स्थान के अभाव में इस लेख में ‘यू.टी.एस्. उपकरण का परिचय’, ‘उपकरण के द्वारा किए जानेवाले परीक्षण के घटक तथा उनका विवरण’, ‘घटक के प्रभामंडल का मापन’, ‘परीक्षण की पद्धति’ तथा ‘परीक्षण में समानता आने हेतु बरती गई सावधानियां’, इन सामान्य सूत्रों के विषय में सनातन संस्था की  goo.gl/B5g5YK इस लिंकपर जानकारी दी गई है । इस लिंक में कुछ अक्षर कैपिटल (Capital) हैं ।

 

२. किए गए मापन की प्रविष्टियां

२ अ. नकारात्मक ऊर्जा का न होना

अग्निहोत्र-पात्र में नकारात्मक ऊर्जा दिखाई नहीं दी ।

२ आ. अग्निहोत्र के पश्‍चात अग्निहोत्र-पात्र की सकारात्मक ऊर्जा में बढोतरी होना

सभी व्यक्ति, वास्तू अथवा वस्तुओ में सकारात्मक ऊर्जा होगी ही, ऐसा नहीं होता । अग्निहोत्र-पात्र में आरंभ में अल्प मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा थी; किंतु वह इतनी नहीं थी कि उसका प्रभामंडल नापा जा सके । (इस संदर्भ में यू.टी. स्कैनर की भुजाओ ने ९० अंश का कोन किया । स्कैनर की भुजाओ द्वारा १८० अंश का कोन करने से ही प्रभामंडल की गणना की जा सकती है ।) अग्निहोत्र के पश्‍चात अग्निहोत्र-पात्र की सकारात्मक ऊर्जा में बढोतरी हुई । उसका प्रभामंडल १.७० मीटर था ।

२ इ. अग्निहोत्र के पश्‍चात अग्निहोत्र-पात्र के कुल प्रभामंडल में (टीप) बहुत बढोतरी होना

साधारण व्यक्ति अथवा वस्तु का कुल प्रभामंडल लगभग १ मीटर होता है । अग्निहोत्र आरंभ करने से पहले अग्निहोत्र-पात्र का कुल प्रभामंडल १.१९ मीटर तथा । अग्निहोत्र के पश्‍चात उसमें ३.०५ मीटर की बढोतरी होकर वह ४.२४ हुआ ।

टीप : कुल प्रभामंडल : व्यक्ति के संदर्भ में उसकी लार, साथ ही वस्तु के संदर्भ में उसपर जमें धुलिकण अथवा उसका थोडासा अंश को प्रारूप के रूप में उपयोग कर उस व्यक्ति अथवा उस वस्तु के प्रभामंडल की गणना की जाती है ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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