सनातन आश्रम, ऋषि-मुनियों का तपोस्थान !

पंडित लालदेव शास्त्री तथा उनकी धर्मपत्नी

सनातन के रामनाथी आश्रम का स्थान ऋषि-मुनियों का तपोस्थान है । मेरे आश्रम निवास में मुझे इसकी प्रतीती हो रही है । मेरे जीवन का यह काल, एक महान कार्य के लिए दिया गया है । इसलिए यह सार्थक हुआ है ।

पंडित लालदेव शास्त्री ने सनातन धर्म संबंधी किया मार्गदर्शन

१. सनातन धर्म सृष्टि के आरंभ से है और आगे भी रहनेवाला है । अनिष्ट शक्तियों का धर्मविरोधी कार्य भी जारी रहता है । इस धर्म पर आपदाएं आती ही रहेंगी । इन आपदाआें का सामना बुद्धि एवं बल के आधार पर करना पडेगा ।

२. कलियुग में सभी को साथ में लेकर कार्य करना होगा । ध्यान रहे कि, जिसकी लाठी उसकी भैंस, यह सत्य होने पर भी सत्यमेव जयति भी सत्य है ।

३. सनातन धर्म पर अनेक शक्तियों ने आक्रमण किया; परंतु सनातन धर्म नष्ट नहीं हुआ ।

४. लोभ के कारण अनेक लोग इस महान हिन्दू धर्म का त्याग कर रहे हैं । बीरबल ने अकबर को धर्मपरिवर्तन करने के लिए दृढता से नकार दिया था । उन्होंने अकबर को कहा था, यदि ऐसा संभव हो कि आप के धर्म में आकर मैं मरूंगा नहीं, तो मैं धर्मपरिवर्तन करने के लिए तैयार हूं ।

५. हमें संगठित रहना होगा । सर्व प्रकार के भेदभाव, अस्पृश्यता को दूर हटाकर हिन्दुआें को संगठित करना होगा । अनेक लोग इसी भेदभाव के कारण हिन्दू धर्म से दूर चले गए हैं ।

६. सभी को साथ लेकर नहीं चलेंगे, तो सफलता नहीं मिलेगी । हमें ध्यान में रखना होगा कि धर्म जोडता है, तोडता नहीं ।

संदर्भ : हिन्दी सनातन प्रभात

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