प्रदर्शनी से भारतीय संस्कृति की वास्तविक जानकारी मिलते देखकर प्रसन्नता प्रतीत हुई ! – महामंडलेश्‍वर डॉ. स्वामी प्रेमानंद महाराज

बाईं ओर से पू. नीलेश सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी को ‘श्री विश्‍व धर्मशास्त्र’ ग्रंथ भेंट करते हुए महामंडलेश्‍वर डॉ. स्वामी प्रेमानंद महाराज तथा स्वामी दिलीप योगीराज महाराज

प्रयागराज (कुंभनगरी, उत्तर प्रदेश) : सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की प्रदर्शनी देखनेपर मुझे बहुत अच्छा लगा । सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी हमारे पुराने मित्र हैं । मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं । इस प्रदर्शनी में भारतीय संस्कृति की वास्तविक जानकारी दिए जाने का देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता लग रही है । संत नामःभारत साधु समाज के राष्ट्रीय संगठनमंत्री महामंडलेश्‍वर डॉ. स्वामी प्रेमानंद महाराज ने २४ जनवरी को ऐसा प्रतिपादित किया ।

१. महामंडलेश्‍वर डॉ. स्वामी प्रेमानंद महाराज ने सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी का अवलोकन किया । उसमें वे मार्गदर्शन कर रहे थे । इस अवसरपर जगद्गुरु विश्‍वकर्मा शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगीराज महाराज, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी तथा उत्तर-पूर्व भारत के मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळजी उपस्थित थे ।

२. इस अवसरपर सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने महामंडलेश्‍वर डॉ. स्वामी प्रेमानंद महाराज को, तो पू. नीलेश सिंगबाळजी ने स्वामी दिलीप योगीराज महाराज को माल्यार्पण कर सम्मानित किया ।

३. तत्पश्‍चात डॉ. स्वामी प्रेमानंद महाराज एवं स्वामी दिलीप योगीराज महाराज ने सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी तथा पू. नीलेश सिंगबाळजी को ‘श्री विश्‍व धर्मशास्त्र’ ग्रंथ भेंट किया ।

बाईं ओर से चर्चा करते हुए पू. नीलेश सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी, महामंडलेश्‍वर डॉ. स्वामी प्रेमानंद महाराज एवं स्वामी दिलीप योगीराज महाराज

परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी साहित्य के माध्यम से सनातन धर्म
का प्रसार कर रहे हैं ! -जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगीराज महाराज

इस अवसरपर जगद्गुुरु विश्‍वकर्मा शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगीराज महाराज ने कहा, ‘‘सनातन का अर्थ ‘कभी नाश न होनेवाला’ होता है । परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने सनातन धर्म को आगे कर भारतसहित विश्‍व में भी बिना साहित्य के हम कुछ नहीं कर सकते, इसका भान करवा दिया है, साथ ही वैदिक परंपरा क्या होती है, यह भी बताया है । भारत एक धर्मप्रधान देश है और इस देश में साहित्य का सर्वाधिक महत्त्व है । इस साहित्य को लेकर ही सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति बडा प्रसार कर रहे हैं । लोग इस साहित्य को पढकर उसका अनुभव करेंगे । साहित्य के कारण हमें क्या करना चाहिए और हम क्या कर रहे हैं, इसका मार्गदर्शन होता है और इसके लिए मैं सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी को बहुत शुभकामनाएं देता हूं । भारत के साथ संपूर्ण विश्‍व में भी सनातन धर्म की ध्वजा फहरनी चाहिए और सनातन संस्था इसी प्रकार से साहित्य का प्रसार करती रहे ।’’

भारतीय संस्कृति एवं सनातन संस्था दैन्यता और पलायनवाद
को रोकने के लिए सक्षम हैं ! – महामंडलेश्‍वर डॉ. स्वामी प्रेमानंद महाराज

इस अवसरपर महामंडलेश्‍वर डॉ. स्वामी प्रेमानंद महाराज ने कहा, ‘‘गीता में ‘न दैन्यं न पलायनम्’ अर्थात न दैन्य दिखाऊंगा और पलायन भी नहीं करूंगा, इस अर्थ का एक श्‍लोक है । महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन की ये २ प्रतिज्ञाएं थीं । इसलिए भारतीय संस्कृति और सनातन संस्था दैन्यता और पलायनवाद को रोकने में सक्षम हैं ।’’

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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