भाग्यनगर के हैदराबाद बुक फेयर में लगाई गई सनातन की ग्रंथ प्रदर्शनी का जिज्ञासुओं द्वारा उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर !

भाग्यनगर : प्रतिवर्ष की भांति हाल ही में हैदराबाद बुक फेयर (ग्रंथ मेला) का आयोजन किया गया था । इस पुस्तक मेले में सनातन के तेलुगु, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा के ग्रंथ, साथ ही सात्त्विक उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई थी । इस प्रदर्शनी का जिज्ञासुओं ने उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर किया । प्रतिदिन सहस्रों जिज्ञासुओं  ने इस मेले का अवलोकन किया । इस मेले में कुल ३५० प्रदर्शनी कक्ष लगाए गए थे । उनमें सनातन की प्रदर्शनी जिज्ञासुओं  के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा ।

१. प्रदर्शनस्थलपर धर्मशिक्षा फलक लगाए गए थे, जिसका सहस्रों जिज्ञासुओं  ने लाभ उठाया ।

२. प्रदर्शनी के दर्शनी भाग में सनातन के ग्रंथोंपर आधारित एक फलक रखा गया था । इस फलक को पढकर अनेक जिज्ञासुओं के ग्रंथों का क्रय किया ।

३. पिछले वर्ष इस मेले में जिन जिज्ञासुओं ने ग्रंथों का क्रय किया था, उन्होंने सनातन के ग्रंथ अच्छे लगने की बात कही और इस बार भी अन्य नए ग्रंथों का क्रय किया ।

४. ग्रंथ तथा सात्त्विक उत्पादों का क्रय करनेवाले अनेक जिज्ञासुओं ने सनातन के ग्रंथ प्रदर्शनीके अवलोकन करने के लिए दूसरों को भी प्रेरित किया ।

५. प्रदर्शनस्थलपर सनातन संस्था के साधकों द्वारा दी जानेवाली अध्यात्म की जानकारी सुनकर अनेक जिज्ञासु अपने परिजनों को यहां लेकर आ रहे थे और साधकों को उन्हें भी अध्यात्म की जानकारी देने का अनुरोध कर रहे थे ।

६. जिज्ञासुओं ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सनातन के ग्रंथप्रदर्शन कक्षपर जिस प्रकार से जानकारी दी जाती है, उस प्रकार से अन्य प्रदर्शनी कक्षोंपर नहीं दी जाती । आप निष्काम भाव से और मन से यह सेवा कर रहे हैं ।

७. कुछ जिज्ञासुओं ने पूछा कि आपके उत्पाद अच्छी गुणवत्तावाले हैं और आप इतने अल्प मूल्य में उनका क्रय कर रहे हैं । आपके गुुरु कौन हैं ?

८. सात्त्विक उत्पादों का सुगंध जिज्ञासुओं को सनातन की प्रदर्शनी की ओर खींच ला रहा था, ऐसा ध्यान में आया ।

९. प्रदर्शनी के अंतिम दिन बाजू की प्रदर्शनी कक्षपर कार्यरत व्यक्ति ने सनातन के तेलुगु भाषा के सभी ग्रंथ और प्रत्येक सात्त्विक उत्पादों का क्रय किया ।

१०. पुस्तक मेले में एक ईसाई प्रचारक बाईबल का निःशुल्क वितरण कर रहा था । इस विषय में प्रदर्शनीपर आए एक जिज्ञासुओं  ने आयोजकों के प्रति अप्रसन्नता व्यक्त की ।

११. प्रदर्शनस्थलपर एक सुफी पंथ के मार्गदर्शक आए थे । उन्होंने साधना विषय के सभी ग्रंथों का क्रय किया और कहने लगें, ‘‘मैं हिन्दू धर्मग्रंथों की जानकारी पढकर उसे मेरे अनुयायियों को सिखाता हूं ।’’

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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