सोलापुर में ‘साधनावृद्धि शिविर’ में साधना की दिशा प्राप्त होने का, सम्मिलित वाचकों का प्रतिपादन !

सोलापुर, ३ जुलाई – यहां हिन्दू जनजागृति समिति तथा सनातन संस्था की ओर से १ जुलाई को दैनिक सनातन प्रभात के वाचक, हितचिंतक,अर्पणदाता इन सभी के लिए ‘साधनावृद्धि शिविर’ का आयोजन किया गया था । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शनानुसार प्रत्येक जीव को यह ज्ञात होना चाहिए कि, साधना कैसे करनी चाहिए ?, साथ ही साधना का जीवन में महत्त्व ज्ञात हो तथा प्रत्येक व्यक्ति आनंदी जीवन व्यतीत करें, इसलिए इस शिविर के माध्यम से मार्गदर्शन किया गया । वाचकों ने अपना मनोगत व्यक्त करते समय बताया कि, ‘आज साधना की दिशा प्राप्त हुई । उचित प्रकार से साधना कैसे करें, इसका पता चला ।’

उस समय समिति के श्री. राजन बुणगे ने ‘साधना एवं प्रार्थना का महत्त्व’, श्री. दत्तात्रय पिसे ने ‘नामजप की परिणामकारक पद्धति तथा उसके लाभ’, श्री. हिरालाल तिवारी तथा श्रीमती अनिता बुणगे ने ‘आध्यात्मिक उपाय कैसे करें ?’, तो श्रीमती राजश्री तिवारी ने ‘स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन का दैनंदिन जीवन में महत्त्व’ यह विषय प्रस्तुत किया । शिविर साढेचार घंटे चल रहा था, अपितु वाचन ऊठने के लिए सिद्ध नहीं थे ।

वाचक एवं हितचिंतकों के अभिप्राय

१. यहां केवल तीन मिनट नामजप करते ही अनुभूतियां आई । घर में नामजप करते समय इस प्रकार की शांति का अनुभव प्राप्त नहीं होता । ऐसा प्रतीत हो रहा था कि, ‘नामजप चलता ही रहें ।’

२. घर में दूरचित्रवाणी देखने के पश्चात् सिर दर्द होता है; किन्तु यहां उत्साह तथा अच्छा प्रतीत हुआ ।

३. स्वभावदोष कैसे न्यून कर सकते हैं, इस का आज पता चला । हमारे स्वभावदोष एवं अहंभाव न्यून करने का हम प्रयास करेंगे ।

४. ऐसा मार्गदर्शन हमें निरंतर प्राप्त हो ।

५. तीन वाचकों ने बताया कि, ‘मेरी साधना को आज दिशा प्राप्त हुई, साथ ही इस बात का पता चला कि, उचित साधना कैसी करें ?’

६. एक वाचक ने यह खंत व्यक्त की कि, ‘मुझे साधना के बारे में जानकारी प्राप्त होने में अधिक देर हुई ।’

वर्ष २०१२ से मैं सनातन संस्था से परिचित हूं । दैनिक सनातन प्रभात निरंतर मैं पढती हूं । साधकों ने मुझे साधना एवं सेवा का महत्त्व बताया था; किन्तु इस बात का मुझे अत्यंत दुःख है कि, पारिवारिक अडचनों के कारण वह करना संभव नहीं हुआ । अब १५ दिनों से मैंने सेवा आरंभ की है । अब ईश्वरचरणों में यह प्रार्थना है कि, शिविर के पश्चात् उसमें नियमितता आएं ! – श्रीमती मिश्रा

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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