निःशुल्क आयुर्वेदिक न्यूरो थेरपी वैद्यकीय शिविर में सम्मिलीत हुए वैद्यों की सनातन के आश्रम को सदिच्छा भेंट !

सनातन प्रभात नियतकालिक के संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करते हुए
दाएं से डॉ. कुणाल, डॉ. जनक राज तथा जानकारी प्रदान करते हुए डॉ.दुर्गेश सामंत

रामनाथी (फोंडा), २ जुलाई – म्हापसा में २४ से ३० जून इस कालावधी में संपन्न हुए निःशुल्क आयुर्वेदीक न्यूरो थेरपी वैद्यकीय शिविर में सामाजिक कर्तव्य के रूप में सेवाभावी वृत्ती से साqम्मलित हुए वैद्यों ने २ जुलाई को यहां के सनातन के आश्रम को सदिच्छा भेंट की । उस समय हरियाणा के डॉ.जनक राज, अमृतसर के डॉ.कुणाल, राजस्थान के आयुर्वेदाचार्य डॉ.नवनीत कटारे, आयुर्वेदाचार्य डॉ.अंजु कटारे; कोटा, राजस्थान की कु.ज्योती शर्मा, डॉ.रोहित कुमार, बिलवाडा (राजस्थान) के डॉ.अशोक जोशी, मेडता (नागौर, राजस्थान) के डॉ.पुष्कर राठोड तथा मध्यप्रदेश के बेतुल के डॉ.कमल किशोर कावडे इस प्रकार कुल मिलाकर २३ वैद्यों ने सनातन के आश्रम में किया जानेवाला राष्ट्र एवं धर्म का कार्य, सूक्ष्म तथा कला के संदर्भ में किए जानेवाले संशोधन की जानकारी प्राप्त की । आश्रम में उपस्थित सर्व वैद्य न्यूरोथेरपीस्ट हैं ।

 

वैद्यों द्वारा उत्स्फूर्त रूप से व्यक्त किए गए अभिप्राय !

अ. डॉ.जनक राज तथा डॉ.कुणाल ने आश्रम तथा आश्रम के साधकों के प्रति व्यक्त किए गए विशेष अभिप्राय

१. डॉ.जनक राज तथा डॉ.कुणाल ने आश्रम में प्रवेश करते ही प्रतिक्रिया व्यक्त की । वह इस प्रकार है, ‘यहां कितने सकारात्मक स्पंदनं प्रतीत होते हैं ?’

२. सनातन के फिजीओरपी उपचार करनेवाले कुछ साधक शिविर में उपचारों की पद्धति सीखने हेतु गए थे । डॉ. जनक राज तथा डॉ. कुणाल ने आश्रम का दर्शन करते समय यह वक्तव्य किया कि, ‘शिविर में आप के साधकों को हम डॉक्टर के रूप में सीखा रहे थे; विंâतु अब आश्रम में साधक के रूप में सीखाएंगे ।

३. आश्रम के श्रीकृष्ण के छायाचित्र की ओर देखकर आनंद प्रतीत हुआ तथा दिवारों को स्पर्श करने के पश्चात् हलचल प्रतीत हुई ।

आ. ऐसा व्यवस्थापन अन्यत्र कहीं भी नहीं देखा है ! – श्री. दीपक जागा, कोटा, राजस्थान

१. आश्रम में आकर मुझे अत्यंत अच्छा प्रतीत हुआ । अब जब मैं गोवा आऊंगा, तब प्रथम आश्रम में आऊंगा । मुझे गोवा घूमने में बिलकुल रस नहीं है; विंâतु आश्रम में आने के पश्चात् मुझे गोवा में घूमने के समान प्रतीत हुआ ।

२. मैं अधिक पढालिखा नहीं हूं अथवा मैंने वैद्यकीय पदवी भी प्राप्त नहीं की है; विंâतु आज तक मैं जैसा हूं, वह केवल ईश्वर की कृपा के कारण ही हूं । आश्रम में प्रवेश करने के पश्चात् मुझे प्रथम हनुमंत का मंदिर दिखाई दिया । वह देखकर मेरा भाव जागृत हुआ ।

३. परात्पर गुरु डॉ.आठवलेजी पहले जिस कक्ष में रहते थे, वहां नामजप करने हेतु बैठने के पश्चात् यह प्रतीत हुआ कि, आतंरिक चेतना जागृत हुई है ।

४. आश्रम के सभी साधक साधना के रूप में प्रत्येक कार्य कर रहे हैं, अतः वे परिपूर्ण हैं । आश्रम के व्यवस्थापन के समान व्यवस्थापन मैंने अन्यत्र कहीं भी नहीं देखा ।

इ. आश्रम देखने के पश्चात् मन को शांति एवं समाधान प्राप्त हुआ । आश्रम के सभी साधकों के चेहरे पर आनंद प्रतीत होता है । सभी के चेहरे पर हास्य दिखाई देता है । सूक्ष्म जगत् से संबंधित प्रदर्शनी देखकर सकारात्मक तथा नकारात्मक स्पंदन स्पष्ट हुए । – कु.सुशिला मीणा, डुंगला, चित्तोडगड, राजस्थान ।

डॉ. जनक राज तथा डॉ. कुणाल के संदर्भ में विशेषताएं

१. डॉ.जनक राज तथा डॉ.कुणाल का अनुक्रम से हरियाना तथा अमृतसर में अपना स्वयं का रुग्णालय है । आश्रम में आने के पश्चात् मैं सभी वैद्यों को कक्ष में लेकर गया तथा बताया कि, ‘कुछ समय के लिए आराम करेंगे तत्पश्चात् आश्रमदर्शन करेंगे ।’ इस बात पर उन्होंने बताया कि, ‘शिष्य निरंतर कार्यरत रहता है । हनुमंत अविरत श्रीराम की सेवा में कार्यरत रहता था । हम भी सेवा के लिए अभी आरंभ करेंगे ।

२. म्हापसा से आश्रम इस भ्रमणयात्रा में दोनों भी वर्तमान में हिन्दुओं पर हो रहे विभिन्न संकटाें के संदर्भ में ही बातचीत कर रहे थे ।

– श्री. सिद्धेश करंदीकर, सनातन आश्रम, रामनाथी

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