नामसाधना ही सर्वोत्तम साधना ! – पू. नीलेश सिंगबाळ, पूर्व भारत मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

उपस्थितों को मार्गदर्शन करते समय पू. नीलेश सिंगबाळ

प्रयाग – प्रयाग के पवित्र त्रिवेणी संगम पर संपन्न हुए माघ मेलावा में नई मुंबई सब्जी व्यापारी वेलफेयर असोसिएशन की ओर से आयोजित किए गए प्रवचन में हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्व भारत के मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळ वक्तव्य कर रहे थे । अपने वक्तव्य में उन्होंने यह मार्गदर्शन किया कि, ‘साधना के लिए तीर्थक्षेत्रं अनुकूल रहते हैं । किंतु अधिकांश हिन्दू साधना नहीं करते; इसलिए वे तीर्थक्षेत्रों का लाभ ऊठा नहीं सकते । अतः उनके लिए नामसाधना उपयुक्त है ।’ माघ मेलावा में सनातन के ग्रंथ तथा फलकप्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है ।

शास्त्र धर्मप्रसार सभा के वार्षिक अधिवेशन में भी पू. नीलेश सिंगबाळ का मार्गदर्शन

प्रयाग के लीला निकेतन में शास्त्र धर्मप्रचार सभा का वार्षिक अधिवेशन आयोजित किया गया था । उस समय भी पू. नीलेश सिंगबाळ ने मार्गदर्शन किया । उन्होंने बताया कि, ‘आद्य शंकराचार्यजी ने जिस प्रकार  ज्ञानशक्ति के आधार हिन्दू धर्म की पुनस्र्थापना की, उसी प्रकार हमें भी ज्ञानशक्ति के आधार पर कार्य करना है । उस समय शास्त्र धर्मप्रचार सभा के डॉ. शिवनारायण सेन उपस्थित थे ।

क्षणिकाएं

१. यहां तीव्र मात्रा में ठंडी होते हुए भी श्रद्धालुओं ने पू. नीलेश सिंगबाळ के संपूर्ण प्रवचन का लाभ ऊठाया ।

२. प्रवचन के पश्चात् श्रद्धालुओं ने जिज्ञासा से पू. नीलेश सिंगबाळ को अनेक प्रश्न पूछे ।

३. प्रवचन के स्थान पर भी सनातन के ग्रंथ एवं सात्त्विक उत्पादनी की प्रदर्शनी आयोजित की गई थी । उसे श्रद्धालुओं द्वारा उत्तम प्रतिसाद प्राप्त हुआ ।

४. इस प्रवचन के लिए उपस्थित प्रबोधन दिशा के पत्रकार श्री. दत्तात्रेय सूर्यवंशी ने पू. नीलेश सिंगबाळ का ‘तीर्थक्षेत्रों का महत्त्व तथा उद्देश्य’ इस विषय पर साक्षात्कार लिया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment