‘श्री सिद्धिविनायक मूर्ति प्रतिष्ठापना विधि’का विधि के घटक एवं पुरोहितों पर सकारात्मक परिणाम होना

Article also available in :

अनुक्रमणिका

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’द्वारा ‘युनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यू.ए.एस्)’ नामक उपकरण द्वारा किया वैज्ञानिक परीक्षण

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना शीघ्र से शीघ्र हो, इसलिए मयन महर्षिजी की आज्ञा से ९.१०.२०१९ एवं १०.१०.२०१९ को रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ के शुभहस्तों श्री सिद्धिविनायक मूर्ति की चैतन्यमय एवं भावपूर्ण वातावरण में प्रतिष्ठापना की गई । ‘श्री सिद्धिविनायक मूर्ति प्रतिष्ठापना विधि’का विधि के घटक एवं पुरोहितों पर क्या परिणाम होता है’, विज्ञान द्वारा इसका अध्ययन करने हेतु ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’की ओर से एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के लिए ‘युनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यू.ए.एस्.)’ इस उपकरण का उपयोग किया गया । इस परीक्षण का स्वरूप, किए गए निरीक्षण एवं उनके विवरण आगे दिए हैं ।

श्री सिद्धिविनाय की चैतन्यमय मूर्ति

(यह लेखन वर्ष २०१९ का होने से श्रीसत्‌शक्‍ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ एवं श्रीचित्‌शक्‍ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ का उल्लेख पहले समान ही रखा है । – संकलक)

पाठकों को सूचना : स्थान के अभाव में इस लेख का ‘यू.ए.एस्.’ (‘यू.टी.एस्.’) उपकरण की परिचय’, ‘उपकरण द्वारा किया गया परीक्षण के घटक और उनका विवरण’, ‘घटक का प्रभामंडल का निरीक्षण’, ‘परीक्षण की पद्धति’ एवं ‘परीक्षण में समानता आने के लिए ली गई दक्षता’ ये हमेशा के सूत्र सनातन संस्था के https://www.sanatan.org/hindi/universal-scanner इस लिंक पर दिए हैं ।

 

१. परीक्षण का स्वरूप

इस परीक्षण में आगे दिए घटकों की प्रतिष्ठापना विधि से पूर्व एवं विधि के उपरांत ‘यू.ए.एस्.’ उपकरण द्वारा किए गए निरीक्षणों की प्रविष्टि की गई है ।

डॉ. अमित भोसले

अ. श्री सिद्धिविनायक मूर्ति की शय्या

आ. हलदी के गणपति (मयन महर्षिजी द्वारा बताए अनुसार ९.९.२०१९ को विधि के प्रारंभ से हलदी से गणपति बनाकर उसकी पूजा की गई ।)

इ. प्रतिष्ठापना विधि के अंतर्गत पूजित ३ कलश : ‘निद्रा कलश’, ‘वास्तु कलश’ एवं ‘संपात कलश’

ई. ‘श्वेत गणपति’के चित्र

उ. पुरोहित

किए गए इन सर्व परीक्षणों की प्रविष्टियों का तुलनात्मक अभ्यास किया गया

 

२. किए गए परीक्षणों की प्रविष्टियां और उनका विवेचन

२ अ. नकारात्मक ऊर्जा के संदर्भ मे किए निरीक्षणों की प्रविष्टियों का विवेचन

२ अ १. प्रतिष्ठापना-विधि के उपरांत पुरोहितों में ‘इन्फ्रारेड’ एवं ‘अल्ट्रावायोलेट’ नकारात्मक ऊर्जा काफी न्यून होना
नकारात्मक ऊर्जा का प्रकार पुरोहितों में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल (मीटर)
विधि से पूर्व विधि के उपरांत नकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में हुई घटौती
१. ‘इन्फ्रारेड’ ऊर्जा ४.२२  १.९३ २.२९
२. ‘अल्ट्रावायोलेट’ ऊर्जा २.४४ टिप्पणी २.४४

टिप्पणी – पुरोहितों में ‘अल्ट्रावायोलेट’ नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल इतना कम हो गया कि उसे नापा नहीं जा सका । उस समय पुरोहितों के संदर्भ में ‘ऑरा स्कैनर’ने १६० अंश का कोण बनाया । (‘ऑरा स्कैनर’के १८० अंश का कोण बनाने पर ही उसका प्रभामंडल नापा जा सकता है ।)

२ अ २. परीक्षण के अन्य घटकों में ‘इन्फ्रारेड’ एवं ‘अल्ट्रावायोलेट’ इन दोनों प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा नहीं पाई गईं ।

२ आ. सकारात्मक ऊर्जा के संदर्भ में किए गए परीक्षणों की प्रविष्टियों का विवेचन

सभी व्यक्ति, वास्तु अथवा वस्तुओं में सकारात्मक ऊर्जा होती ही है, ऐसा नहीं ।

२ आ १. प्रतिष्ठापना-विधि के उपरांत पुरोहितों में सकारात्मक ऊर्जा निर्माण होना

पुरोहितों में आरंभ में सकारात्मक ऊर्जा नहीं थी । प्रतिष्ठापना-विधि के उपरांत उनमें सकारात्मक ऊर्जा निर्माण हुई एवं उसका प्रभामंडल ३.२८ मीटर था ।

२ आ २. प्रतिष्ठापना-विधि के उपरांत परीक्षणों के अन्य घटकों का सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होना

 

परीक्षणों के घटक परीक्षणों के घटक घटकों की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल (मीटर)
विधि से पूर्व विधि के उपरांत  सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में हुई वृद्धि
१. श्री सिद्धिविनायक मूर्ति की शय्या २.२५ ८.५४ ६.२९
२. हळदी का गणपति ४.४८ ८.१८ ३.७०
३. निद्रा कलश ३.४७ ८.४२ ४.९५
४. वास्तू कलश २.४२ ७.४३ ५.०१
५. संपात कलश ३.७२ ६.९७ ३.२५
६. ‘श्वेत गणपति’के चित्र ३.०७ ६.५८ ३.५१

 २ इ. कुल प्रभामंडल के (ऑरा) (टिप्पणी) संदर्भ में किए निरीक्षणों की प्रविष्टियों का विवेचन

टिप्पणी – कुल प्रभामंडल (ऑरा) : व्यक्ति के संदर्भ में उसकी लार, वस्तु के संदर्भ में उस पर की धूलकण अथवा वरील धुलीकण किंवा तिचा थोडासा भाग यांचा नमुना म्हणून उपयोग करून त्या व्यक्तीची वा वस्तूची एकूण प्रभावळ मोजतात.

सामान्य व्यक्ति अथवा वस्तु की कुल प्रभामंडल सामान्यत: १ मीटर होती है ।

२ इ १. प्रतिष्ठापना-विधि का उपरांत परीक्षण के सर्व घटकों के कुल प्रभामंडल में वृद्धि होना
परीक्षण के घटक घटकों की कुल प्रभामंडल (मीटर)
विधि से पूर्व विधि के उपरांत कुल प्रभामंडल में हुई वृद्धि
१. श्री सिद्धिविनायक मूर्ति की शय्या ३.९५ ११.६४ ७.६९
२. हलदी का गणपति ६.४७ १२.०५ ५.५८
३. निद्रा कलश ५.३६ १०.७६ ५.४०
४. वास्तु कलश ३.९२ १०.१७ ६.२५
५. संपात कलश ५.७३ ९.८२ ४.०९
६. ‘श्वेत गणपति’के चित्र ५.१६ १०.०६ ४.९०
७. पुरोहित ६.५७ ७.२६ ०.६९

उपरोक्त सर्व सूत्रों के विषय में अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण सूत्र ‘३’ में दिए हैं ।

 

३. किए गए परीक्षणों की प्रविष्टियों का अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण

३ अ. प्रतिष्ठापना विधि से वातावरण में काफी चैतन्य प्रक्षेपित होना

‘श्री सिद्धिविनायक मूर्ति प्रतिष्ठापना विधि’ के लिए मयन महर्षि का संकल्प कार्यरत था । साधकों ने विधि की सर्व तैयारी भावपूर्ण की थी । सद्गुरुद्वयी ने ‘श्री सिद्धिविनायक मूर्ति प्रतिष्ठापना विधि’ अत्यंत भावपूर्ण करने से प्रतिष्ठापना विधि से वातावरण में काफी चैतन्य प्रक्षेपित हुआ ।

३ आ. सद्गरुद्वयी द्वारा किए गए भावपूर्ण पूजन से
श्री सिद्धिविनायक मूर्ति में विद्यमान श्री गणेशतत्त्व जागृत होकर उसका कार्यरत होना

सद्गुरुद्वयी द्वारा किए गए भावपूर्ण पूजन से श्री सिद्धिविनायक मूर्ति में विद्यमान श्री गणेशतत्त्व जागृत होकर वे कार्यरत हो गया । प्रतिष्ठापना विधि के घटकों पर (श्री सिद्धिविनायक मूर्ति की शय्या, हलदी का गणपति, ‘श्वेत गणपति’के चित्र एवं विधि के तीनों कलशों पर) काफी सकारात्मक परिणाम होने से घटकों की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल एवं कुल प्रभामंडल विधि के उपरांत काफी वृद्धि हुई ।

३ इ. पुरोहितों द्वारा प्रतिष्ठापना विधि से निर्माण हुआ
चैतन्य अपनी क्षमतानुसार ग्रहण करने से उन्हें आध्यात्मिक लाभ होना

पुरोहितों द्वारा प्रतिष्ठापना विधि से निर्माण हुआ चैतन्य उनकी क्षमतानुसार ग्रहण करने से उन्हें ‘उनमें विद्यमान नकारात्मक ऊर्जा न्यून होना, उनमें सकारात्मक ऊर्जा निर्माण होना एवं उसका कुल प्रभामंडल बढना’, ऐसा आध्यात्मिक स्तर पर लाभ हुआ ।

संक्षेप में, ‘श्री सिद्धिविनायक मूर्ति प्रतिष्ठापना विधि का विधि के घटक एवं पुरोहितों पर सकारात्मक परिणाम हुआ’, यह इस वैज्ञानिक परीक्षण से ध्यान में आता है ।’

– डॉ. अमित भोसले, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (३१.१०.२०१९)
ई-मेल : [email protected]

Leave a Comment