दंगलसदृश भीषण परिस्थिति का सामना करना संभव हो, इस उद्देश्य से स्वयंसूचना देकर अपना मनोबल बढाएं !

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आज अनेक वर्ष संपूर्ण भारतभर में छोटी-छोटी बातों को लेकर विशेषतः हिन्दुओं के त्योहार के समय दंगे करवाते हैं । बाबरी मस्जिद गिराने पर मुंबई में हुए दंगे, धुळे दंगे, आजाद मैदान के दंगे, सीएए कानून पर हुए आंदोलन के उपरांत देहली में हुए दंगे और कृषि आंदोलन के उपरांत २६ जनवरी को हुए दंगे, ये कुछ उदाहरण हैं । दंगों में होनेवाली हत्या, आगजनी, मारपीट, स्त्रियों पर अत्याचार, पुलिस पर प्राणघातक आक्रमण आदि देखने पर सर्वसामान्य जनता का दिल दहल जाता है । आनेवाले आपातकाल में भी पूर्वनियोजित दंगे हो सकते हैं, इस विचार से तनाव आ सकता है ।

बाढ, भूकंप, दंगे, महायुद्ध इत्यादि आपत्तियों के समय अत्यंत प्रतिकूल परिस्थिति निर्माण होती है । ऐसे समय पर सर्वत्र विध्वंस होना, आग लगना, गली-गली मृतदेहें पडी होना, ऐसी स्थिति सर्वत्र दिखाई देती है । ऐसी घटना देखकर अथवा सुनकर अनेकों का मन अस्थिर होना, तनाव आना, चिंता लगना, भय लगना, परिस्थिति न स्वीकार पाना इत्यादि कष्ट होते हैं । अनेक लोगों को भविष्यकाल में संभाव्य आपत्तियों की कल्पना से भी ऊपर दिए गए कष्ट होते हैं । इसके साथ ही सगे-संबंधियों में भावनिकदृष्टि से अटकना होता है । ऐसे कष्ट न हों, अर्थात मन का संतुलन बिगडने ने देते हुए प्रतिकूल परिस्थिति का धैर्य से सामना कर सकें, इस हेतु स्वयंसूचना ले सकते हैं । आपातकाल में ऐसी भीषण परिस्थिति का सामना कर पाएं, अपना मनोबल बढे, इस हेतु स्वयंसूचना-उपचारपद्धति का उपयोग करें । इससे मन पर आया तनाव दूर होगा !

 

१. स्वसूचना सत्र क्या है और वे कैसे करें ?

स्वभावदोषों पर आवश्यक सूचना बाह्यमन से अंतर्मन को देने की प्रक्रिया को स्वसूचना सत्र कहते हैं । उपास्यदेवता अथवा गुरु से प्रार्थना करें, ‘स्वसूचना मेरे अंतर्मन तक पहुंचने दें ।’ मन एकाग्र होने हेतु २ मिनट नामजप कर स्वयंसूचना दें और अंत में कृतज्ञता व्यक्त करें । यह सूचना ५ बार एकाग्रता से पढें अथवा मन ही मन में बालें । ऐसी सूचना के ५ से १० सत्र करें । इससे ध्यान में आएगा कि अल्पावधि में ही मन पर से तनाव दूर हो गया है ।

अ. अपने घर के समीप दंगे होंगे, इस विचार से आया तनाव दूर होने के लिए दी जानेवाली स्वसूचना

उदाहरण १

आपातकाल की तीव्रता अब बढती ही जानेवाली है । इसलिए अगले १-२ वर्ष में मेरे घर के निकट दंगे होंगे और उसका प्रभाव मुझपर एवं मेरे कुटुंबियों पर भारी मात्रा में होगा, इस विचार से श्री. प्रभाकर को तनाव आता है ।

स्वसूचना : जिस समय मेरे मन में विचार आएंगे कि मेरे घर के समीप दंगे होंगे और उसकी आंच मुझे और मेरे कुटुंब को भी लगेगी, तब मुझे भान होगा कि मैंने स्वसंरक्षण प्रशिक्षण लिया है; इसलिए अब मुझमें इतना आत्मविश्वास है कि मैं दंगाइयों को रोक सकूंगा । मैं और मेरा परिवार के साधना करने से संरक्षक-कवच भी हमारे सर्व ओर है । यह सब ध्यान में रख मैं अपनी साधना पर ध्यान केंद्रित करूंगा ।

आ. मेरे घर के निकट दंगे होने पर….इस विचार पर स्वयंसूचना

उदाहरण २

स्वसूचना

१. कल शहर में आरंभ हुए दंगों का प्रतिसाद हमारी गली में दिखाई देने लगा है । हमारे घर के निकट दंगे आरंभ हो गए हैं ।

२. मैंने स्वसंरक्षण प्रशिक्षण लिया है; इसलिए मैं दंगाइयों को रोक सकूंगा, इतना आत्मविश्वास मुझमें आ गया है ।

३. हम अपने घर का प्रवेशद्वार, अन्य दरवाजे एवं खिडकियां बंद कर रहे हैं ।

४. मेरे बडे भाई पुलिस को दूरभाष कर दंगों के विषय में बता रहे हैं ।

५. संकटनिवारण के लिए नामजप, स्तोत्रपठण इत्यादि जो जो प्रयत्न करना संभव है, वह सब हम कर रहे हैं ।

६. संकटकाल में भगवान सदैव ही मेरे साथ हैं और वे मेरी और मेरे परिवार का ध्यान रखने ही वाले हैं । इस बात पर मेरा विश्वास और श्रद्धा बढ रही है ।

७. भगवान की कृपा से दंगाइयों का ध्यान हमारे घर की ओर नहीं गया है ।

८. थोडे ही समय में ऐसा लग रहा है कि पुलिस वहां आ गई है ।

९. कुछ ही समय में पुलिस ने दंगों को नियंत्रण में ले लिया ।

१०. भगवान ने दंगों की आंच तक हमें नहीं लगने दी । उन्होंने मेरा और मेरे परिवार की रक्षा की । इसके लिए मैं भगवान के श्रीचरणों में कृतज्ञता व्यक्त कर रहा हूं ।

अधिक जानकारी के लिए संदर्भ : सनातन का ग्रंथ आपातकाल सुसह्य होने के लिए मानसिक, आध्यात्मिक स्तरों पर की जानेवाली तैयारी

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