शुण्ठी (सौंठ/सुंठ) चूर्ण

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वैद्य मेघराज पराडकर

सौंठ चूर्ण का गुणधर्म उष्ण है तथा वह कफ एवं वात नाशक है ।

 

१. गुणधर्म एवं संभावित उपयोग

‘सौंठ चूर्ण का गुणधर्म उष्ण है तथा वह कफ एवं वात नाशक है । विकारों में इसका संभावित उपयोग आगे दिया है; प्रकृति, प्रदेश, ऋतु एवं अन्य विकारों के अनुसार उपचारों में परिवर्तन हो सकता है । इसलिए वैद्यों के मार्गदर्शन में ही औषधि लें ।

 

उपयोग औषधि लेने की पद्धति अवधि
अ. शीत ऋतु समाप्त होकर आनेवाली वसंत ऋतु में, साथ ही वर्षा ऋतु में वातावरण में हुए परिवर्तन के कारण होने वाले विकार न हो, इस हेतु १ लीटर पीने के पानी में चौथाई चम्मच सौंठ चूर्ण डालकर पानी को उबालें और यह पानी बोतल अथवा ताम्रपात्र में भरकर रखें । प्यास लगे, तब यह पानी थोडा थोडा पीएं । शीत ऋतु की ठंड न्यून होने के अगले १५ दिन, साथ ही पूर्ण वर्षा ऋतु में
आ. पीनस (सर्दी), खांसी एवं छाती में कफ होना चौथाई चम्मच सौंठ, आधा चम्मच घी तथा १ चम्मच मधु (शहद) एकत्र कर दिन में २ – ३ बार चाटकर खाएं । ५ से ७ दिन
इ. पीनस के कारण (सर्दी के कारण) सिर दर्द पर्याप्त मात्रा में सौंठ का चूर्ण लेकर उसमें गरम पानी मिलाकर ललाट पर पतला लेप करें । ५ से ७ दिन
ई. मुंह में स्वाद न होना, भूख न लगना, पेट में वेदना होकर शौच होना, आव गिरना, अतिसार (जुलाब) एवं अपचन होना सौंठ, घी और गुड सभी चौथाई चम्मच लेकर उनका मिश्रण दिन में २ – ३ बार संभवत: भोजन के आधा घंटा पहले चूसकर खाएं । २ – ३ दिन
उ. गले एवं छाती में जलन होना, गले में खटास लगना, मितली और उल्टी होना दिन में ३ – ४ बार चौथाई चम्मच सौंठ और १ चम्मच पिसी हुई शक्कर का मिश्रण चूसकर खाएं । ७ दिन
ऊ. गैस के कारण छाती में वेदना होकर अस्वस्थ लगना और बार-बार डकारें आना जब कष्ट हो तब चौथाई चम्मच सौंठ और आधा चम्मच शहद बार-बार चाटें । २ – ३ दिन
ए. आमवात (कंधे अकडना, साथ ही विशेषतः सुबह के समय में कंधे दुखना एवं सूजन आना) दोपहर और रात्रि के भोजन के पहले चौथाई चम्मच सौंठ तथा १ चम्मच अरंडी का तेल पी कर उस पर आधी कटोरी गरम पानी पीएं । तदुपरांत शीघ्र भोजन करें । साथ ही रात्रि के भोजन के उपरांत पर्याप्त मात्रा में सौंठ का चूर्ण लेकर उसमें गरम पानी मिलाकर वेदनावाले कंधे पर मोटा लेप लगाएं । १५ दिन
ऐ. गर्भवती स्त्री को आया ज्वर एवं श्‍वेतप्रदर (स्त्रियों के योनीमार्ग से श्‍वेत स्राव होना) सुबह खाली पेट आधा चम्मच सौंठ, आधी कटोरी दूध और १ कटोरी पानी उबालकर यह मिश्रण १ कटोरी शेष रहने पर छानकर पीएं । यह औषधि लेने के लगभग १ घंटे तक कुछ न खाएं-पीएं । १५ दिन
ओ. थकान एवं वजन अल्प होना, साथ ही वीर्यवृद्धि के लिए सुबह खाली पेट आधा चम्मच सौंठ और आधा चम्मच जायफल को घिसकर बनाया लेप, १ कप दूध तथा २ चम्मच घी में मिला लें । यह औषधि लेने के लगभग १ घंटे तक कुछ न खाएं-पीएं । ३ माह
औ. सौंठ के अन्य उपयोग १. भोजन बनाते समय मसाले के रूप में सौंठ का उपयोग किया जाता है ।

२. सामान्य चाय में स्वादानुसार सौंठ डालें ।

३. दोपहर के भोजन में छाछ पीना हो तो उसमें स्वादानुसार सौंठ और काला नमक डालकर पीएं ।

 

२. सूचना

अ. आयुवर्ग ३ से ७ के लिए चौथाई एवं ८ से १४ के लिए चूर्ण आधी मात्रा में लें ।

आ. मधुमेह (डायबीटिज) हो तो औषधि शहद के साथ न लेकर पानी के साथ लें अथवा केवल चूसकर खाएं ।

इ. उष्णता के लक्षण (उष्ण पदार्थ सहन न होना, मुंह में छाले होना, देह में जलन होना, मूत्रमार्ग में जलन होना, देह पर फोडे-फुंसी होना, चक्कर आना आदि) होने पर तथा ग्रीष्म एवं वर्षा के उपरांत आनेवाली शरद ऋतु (अक्टूबर हीट) की अवधि में सौंठ का उपयोग अल्प करें अथवा न करें ।

ई. उष्णता बढ जाए, तो सौंठ बंद कर १ – २ दिन, दिन में २ बार १ गिलास नींबू शरबत पीएं ।

उ. सौंठ का लेप सूखने पर पानी से धो लें । उस स्थान की जलन सहन न हो रही हो, तो पुनः लेप न लगाएं । जलन रोकने के लिए उस स्थान पर नींबू का रस मलें ।

ऊ. चूर्ण में कीडे होने से रोकने के लिए उसे फ्रिज में रखें; अन्यथा एक मास में समाप्त करें ।

 

३. औषधि का सुयोग्य परिणाम होने हेतु यह न करें !

मैदा और बेसन के पदार्थ; खट्टे, नमकीन, अति तैलीय और तीखे पदार्थ, आईस्क्रीम, दही, पनीर, चीज, बासी, असमय और अति भोजन, धूप में घूमना तथा रात्रि जागरण

 

४. औषधि लेते समय उपास्य देवता से प्रार्थना करें !

हे देवता, यह औषधि मैं आपके चरणों में अर्पण कर आपका ‘प्रसाद’ समझकर ग्रहण कर रहा हूं । इस औषधि से मेरे विकार दूर होने दें ।

– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (११.६.२०२१)

संदर्भ : सनातनका ग्रंथ ‘आयुर्वेदानुसार आचरण कर बिना औषधियाेंके निरोगी रहें !’

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