सनातन संस्था की विशेषताएं

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सनातन संस्था की स्थापना राष्ट्ररक्षा एवं धर्मजागृति हेतु की गई है और ईश्‍वरीय अधिष्ठान के आधार से ही उसका कार्य चल रहा है, इसकी अनेक साधक एवं हितचिंतक अनुभूति कर रहे हैं । इसी भाग को अन्य लोगों को शब्दों के माध्यम से अनुभव करना संभव हो; इसके लिए यहां संक्षिप्त स्वरूप में सनातन संस्था की कुछ विशेषताएं दे रहे हैं । इसके लिए हम इतना ही बता सकते हैं, आई, देखिए और प्रत्यक्ष अनुभव कीजिए !

१. सनातन के साधक हैं निर्गुण भाषा के अधिकारी !

सनातन के साधक कोई बडे ग्रंथ और पुराणों को बिना पढे ही केवल सेवा के कारण उन्हें प्राप्त गुरुकृपा के कारण ही निर्गुण तत्त्वपर आधारित अध्यात्म की भाषा बोलते हैं । यही अनुभव संस्था का निर्माण विभाग, रसोईघर, साथ ही बढईकाम विभाग में सेवारत साधकों का है । अध्यात्म में पांडित्य की अपेक्षा गुरुकृपा की ही आवश्यकता होती है, इसे सनातन संस्था ने प्रमाणित किया है ।

२. प्रकृतिमार्ग के अनुसार साधक बनानेवाली
सनातन संस्था एकमात्र आध्यात्मिक संस्था !

सनातन में नाम, सत्संग, सत्सेवा, त्याग एवं प्रेमभाव इन घटनों को महत्त्व देकर प्रत्येक साधक को उसकी प्रकृति के अनुसार ईश्‍वर के पास जाने का मार्ग उपलब्ध कराया जाता है । नृत्यकला, संगीतकला, मूर्तिकला, चित्रकला आदि विविध प्रकार से संबंधित साधक को आध्यात्मिक स्तरपर मार्गदर्शन कर उसे ईश्‍वरप्राप्ति हेतु कला, इस परिप्रेक्ष्य से सिद्ध किया जाता है ।

३. स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन का महत्त्व जाननेवाली सनातन संस्था !

सनातन में जितना समय आध्यात्मिक उन्नति में बाधा बननेवाले स्वभावदोष निर्मूलन के लिए दिया जाता है, उतना समय अन्य संप्रदायों में नहीं दिया जाता; इसीलिए सनातन के साधक तीव्रगति से आध्यात्मिक उन्नति करवा लेने में सफल हुए और अब तो कई साधक अल्पायु में ही संतपद की ओर अग्रसर हैं ।

४. प्रत्येक बात का अध्यात्मीकरण करने की शिक्षा देनेवाली सनातन संस्था !

सनातन में नित्य जीवन में विद्यमान प्रत्येक बात के अध्यात्मीकरण को महत्त्व दिया जाता है तथा उसका शास्त्र बताया जाता है । इस संदर्भ में सहस्रों अनुसंधानात्मक सूक्ष्म-चित्र, ध्वनिचित्रचक्रिकाएं और ग्रंथों का निर्माण किया जाता है ।

५. अनेक विषयोंपर चौतरफा एवं व्यापक
आध्यात्मिक शोधकार्य, सनातन की अद्वितीयता !

सनातन की भांति अन्य किसी भी आध्यात्मिक संस्था द्वारा अनेक विषयोंपर शास्त्रीय भाषा में व्यापक शोधकार्य नहीं किया जाता; इसलिए वह अद्वितीय है ।

६. प्रत्यक्ष जीवन में अध्यात्म को जीना सिखानेवाली सनातन संस्था !

सनातन में अध्यात्म के तात्त्विक भाग के साथ प्रायोगिक भाग की भी चरणबद्ध पद्धति से शिक्षा दी जाती है और प्रत्येक साधक की ओर व्यक्तिगत स्तरपर ध्यान देकर उसके द्वारा वह कृती अपेक्षित पद्धति से हो रही है अथवा नहीं, इसे देखा जाता है । इसके कारण साधक अपने प्रत्यक्ष जीवन में अध्यात्म जीना सिखते हैं ।

– सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा

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