हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अनमोल विचार !

किसी भी कार्य के लिए उचित समय आवश्यक होता है । सन्तों को पता रहता है कि किस कार्य के लिए कौन-सा समय उपयुक्त है । अभी ऐसी कोई स्थूल घटना नहीं हो रही, जिससे अनुमान लगाया जा सके कि ‘भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ।’ परंतु काल की पदचाप सुननेवाले संत जान गए हैं कि ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना होगी ! निम्नांकित सूत्रों से सभी को काल का महत्त्व ध्यान में आएगा ।

श्री गणेशकी पूजा पूरे भावसे करें, यह भगवान श्रीकृष्णद्वारा सिखाना

‘गणेशचतुर्थीके दिन भगवान श्रीकृष्ण मुझे सिखा रहे हैं कि श्री गणेशजीकी पूजा भावपूर्णरीतिसे कैंसे करनी चाहिए ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में साधक द्वारा की गई पूजा के फूलों की विविधतापूर्ण रचना

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन के कारण साधकों पर जीवन का प्रत्येक कृत्य कलात्मक रूप से तथा सत्यम् शिवम् सुंदरम् करने का संस्कार हो गया है ।

कला के माध्यम से साधकों को ईश्‍वर की ओर ले जानेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की अनुभव की आनंददायी सिख !

‘कला की शिक्षा लेते समय मुझे जो सिखने को नहीं मिली, ऐसी सूक्ष्मताएं (बारीकीयां) परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने मुझे साधना में आने पर सिखायी । ‘कला से संबंधित सेवा साधना ही है’, यह भी उन्होंने हमारे मन पर प्रतिबिंबित किया ।

चित्रके विषयमें मनमें किसी भी प्रकारकी मूर्त (स्पष्ट) कल्पना न होते हुए भी श्रीकृष्णने ऊपर उठाया है, ऐसा चित्र साकार होना

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के सम्मोहन उपचार विशेषज्ञ परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने २४ मार्च १९९९ को सनातन संस्था की स्थापना की । उन्होंने शीघ्र ईश्‍वरप्राप्ति के लिए गुरुकृपायोग बताया ।

श्रीमती उमा रविचंद्रन् द्वारा बनाए व्यष्टि और समष्टि भाव दर्शानेवाले चित्र एवं उन चित्रोंकी विशेषताएं

साधनापथपर मार्गक्रमण करते समय साधककी साधना एक स्तरतक बढनेपर उसका ईश्वरके प्रति भाव जागृत होता है । ईश्वरकी ओर देखनेका दृष्टिकोण साधकके भावानुरूप भिन्न होता है, उदा. अर्जुनका भगवान श्रीकृष्णके प्रति सख्यभाव, हनुमानजीका दास्यभाव आदि ।

प्रभु श्रीराम के चरणस्पर्श से पावन हुए चित्रकूट पर्वत के दर्शन !

प्रभु श्रीराम, १४ वर्ष का वनवास समाप्त कर और रावण को पराजित कर, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को अयोध्या लौटे थे । तब अयोध्यावासियों ने नगर को तोरण-पताकाआें से सजाकर उनका आनंदपूर्वक स्वागत किया था ।

आयुर्वेद में प्रतिपादित सरल घरेलु औषधियां एलोपैथी से श्रेष्ठ !

अप्रैल २०१४ में सद्गुरु राजेंद्र शिंदेजी ने मुझे नमक पानी के उपचार करने को कहा । उन्होंने कहा, ‘‘रात में सोते समय जीभ के पिछले भाग में जहां गले में खिचखिच होती है, वहां १ चुटकीभर नमक रगडकर ५ मिनट रुककर उसे थूक डालें ।’’

अन्य पंथीय व्यक्ति को हिन्दू धर्म में प्रवेश का अध्यात्मशास्त्र !

मैंने अन्य पंथ की लडकी से विवाह किया है । इसलिए हमारे परिजन हमारा विरोध कर रहे हैं । हमने अपने घरवालों को बहुत समझाने का प्रयत्न किया; परंतु घर के सदस्य पत्नी और उसके स्पर्शित अन्न को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं ।

उज्जैन, मध्यप्रदेश के श्री सप्तऋषि गुरुकुल के संस्थापक, परमाचार्य डॉ. देवकरण शर्मा (देव) एवं श्री. रामकृष्ण पौराणिक का गोवा के सनातन आश्रम में आगमन !

यहां स्थित सनातन आश्रम में उज्जैन के श्री सप्तऋषि गुरुकुल के संस्थापक, परमाचार्य डॉ. देवकरण शर्माजी (देव) तथा गुरुकुल के न्यासी श्री. रामकृष्ण पौराणिकजी १० मार्च को सनातन आश्रम में पधारे ।