क्या गुरु द्वारा बताई साधना करना ही आवश्यक है ?

मन का कार्य ही है विचार करना । इस कारण मन में सदैव संकल्प और विकल्प आते रहते हैं । इस कारण जब तक साधना करके मनोलय की स्थिति नहीं आती, तब तक मन में संदेह उत्पन्न होना स्वाभाविक है ।

क्या गुरु बदल सकते हैं ?

कुछ लोगों की मोहमाया की इच्छाएं तृप्त ही नहीं होतीं । वे गुरु के पास सतत कुछ ना कुछ मांगते ही रहते हैं । वे लोग भूल जाते हैं कि मन की इच्छा नष्ट कर मनोलय करवाना ही गुरु का खरा कार्य है ।

गुरुमंत्र किसे कहते हैं ? इससे आध्यात्मिक प्रगति शीघ्र होती है ! ऐसा क्यों?

गुरुमंत्र में केवल अक्षर ही नहीं; अपितु ज्ञान, चैतन्य एवं आशीर्वाद भी होते हैं, इसलिए प्रगति शीघ्र होती है । उस चैतन्ययुक्त नाम को सबीजमंत्र अथवा दिव्यमंत्र कहते हैं । उस बीज से फलप्राप्ति हेतु ही साधना करनी आवश्यक है ।

गुरुप्राप्ति पश्‍चात पूजाघर में क्या परिवर्तन करें ?

पूजाघर में गुरु का छायाचित्र अथवा मूर्ति रखनी चाहिए । उसे प्रतिदिन पोंछकर, देवताओं की पूजा करते समय जब अगरबत्ती दिखाते हैं, तो उन्हें भी अगरबत्ती दिखाएं तथा पूजा समाप्त होने पर जब नमस्कार करते हैं तो उन्हें भी नमस्कार करें ।

साधना में अति शीघ्र प्रगति का मार्ग कौन सा है ?

घर-द्वार का त्याग कर गुरुसान्निध्य में रहना साधना में अति शीघ्र प्रगति का मार्ग है । गुरु के प्रति खरे प्रेम की उत्पत्ति हेतु इस सान्निध्य की आवश्यकता है । गुरु के साथ रहने पर ही विषयों पर अंकुश रहता है ।