‘परात्पर गुरु डॉक्टरजी द्वारा बताए गए उपचार, संभावित संकटकाल में जीवित रहने हेतु प्रदान की गई संजीवनी ही है !’, इसे ध्यान में लेकर गंभीरता के साथ सभी उपचार कीजिए !

साधकों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना

१. साधक नियमित रूप से निम्नांकित आध्यात्मिक उपचार करें ।

अ. किसी को यदि प्रतिदिन कुछ घंटों तक बैठकर नामजप करने के लिए कहा गया हो, तो उस प्रकार से कीजिए । नामजप के समय अनावश्यक अन्य कुछ न करते हुए ‘नामजप कैसे होगा ?’, इसकी ओर एकाग्रता से ध्यान दें ।

आ. सर्वोपयोगी उपचार नियमित रूप से करें । देवताआें के चित्रों का अगरबत्ती से शुद्धीकरण कर उन्हें शरीरपर लगाएं ।

इ. प्रतिदिन देवीकवच सुनें ।

ई. शरीर के आसपास कष्टदायक शक्तियों का आवरण न आए; इसके लिए बीच-बीच में अगरबत्ती की सहायता से आवरण निकालें ।

उ. आवश्यकता के अनुसार इत्र एवं कर्पूर के उपचार करें ।

ऊ. रात में सोते समय बिछौने के आसपास देवताआें के नामजप की पट्टियों का मंडल बनाएं ।

ए. ‘स्वयं को आध्यात्मिक कष्ट हो रहा है’, यह ध्यान में आने पर अथवा कष्ट के कारण मन में नकारात्मक विचार आने पर सोकर न रहते हुए अधिकाधिक आध्यात्मिक उपचार करें ।

ऐ. दैनिक सनातन प्रभात में अमावस्या एवं पूर्णिमा के दिन आध्यात्मिक उपचारों को बढाने के विषय में चौखट प्रकाशित होने पर उस दिशा में प्रयास करें ।

ओ. कष्टों पर स्वयं को उपचार ढूंढना संभव नहीं हुआ, तो अन्य जानकार साधक अथवा संतों से सहायता लें । साधकों को स्वयं में आध्यात्मिक उपचारों के विषय में गंभीरता उत्पन्न करना अपेक्षित है ।

२. उपर्युक्त आध्यात्मिक उपचार न करने से साधकों को होनेवाले कष्ट

अकस्मात ही शारीरिक कष्ट का बढना, थकान लगना, सेवा करते समय कुछ न सूझना, मन एवं बुद्धि पर आवरण आ जाना, मन में ‘सेवा तथा साधना न करें’, इस प्रकार के निराशा एवं नकारात्मकता से भरे विचार आना

३. गुरुदेवजी द्वारा बताए गए उपचारों को नियमित रूप से
और मन से कर साधक संकटकाल का सामना करने के लिए तैयार हो जाएं !

आज की बिगडी हुई समाजव्यवस्था के कारण सर्वत्र रज-तम की मात्रा प्रतिदिन बढ रही है । अतः ‘साधनारत होना’, यह बात अब असंभव बन गई है । ऐसा होते हुए भी केवल गुरुदेवजी की कृपा से सहस्रों साधक गुरुकृपायोग के अनुसार साधना कर स्वयं की आध्यात्मिक उन्नति कर रहे हैं ।

साधना को खंडित करने हेतु अनिष्ट शक्तियां येनकेन प्रकार से प्रयास कर रही हैं । अतः साधकों की रक्षा हेतु सनातन प्रभात नियतकालिकों के माध्यम से गुरुदेवजी समय-समय पर विविध आध्यात्मिक उपचार बता रहे हैं । वास्तविक रूप से ये उपाय केवल ‘उपचार’ न होते हुए वर्तमान समय की ‘संजीवनी’ ही है । अतः सभी साधक गुरुदेवजी द्वारा बताए गए उपचारों को नियमित रूप से और मन से कर आपातकाल का सामना करने के लिए तैयार हो जाएं !– (सद्गुरु) श्रीमती बिंदा सिंगबाळजी, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (१७.९.२०१७)

साधकों की व्यष्टि साधना का ब्योरा लेनेवालेे साधक (ब्योरा सेवक) ‘साधक सभी आध्यात्मिक उपचार नियमित करते हैं न ?, इसका ब्योरा प्रत्येक सप्ताह में लेेंं ।’ 

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