भोजनका समय एवं उनका महत्त्व

उचित समयपर भोजन न करनेसे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य असंतुलित हो सकता है । परिणामस्वरूप आध्यात्मिक स्वास्थ्यपर भी इसका दुष्परिणाम होता है ।

भोजनका महत्त्व एवं भोजनसंबंधी कुछ नियम

‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् ।’ अर्थात साधनाके लिए शरीर आवश्यक है । शरीर हेतु अन्न आवश्यक है । अन्नसे प्राप्त शक्तिका उपयोग केवल आत्मोन्नतिके लिए नहीं, अपितु समाजकी उन्नतिके लिए भी किया जा सकता है ।