नारियल पूर्णिमा

नारियल पूर्णिमा प्राकृतिक परिवर्तनपर आधारित त्यौहार है । वर्षाकालके आरंभमें प्रथम दो महीने समुद्री व्यापार अथवा समुद्री-यात्रा करना संभव नहीं होता है । परंतु श्रावण पूर्णिमाके कालमें वर्षाका परिमाण घटता है ।

नारियल पूर्णिमा (श्रावण पूर्णिमा)

वरुणदेवता की कृपा हम पर एवं हमारे परिजनों पर सदैव बनी रहे, इसलिए समुद्र के किनारे रहनेवाले और समुद्र के माध्यम से अपना चरितार्थ चलानेवाले लोग श्रावण पूर्णिमा के दिन वरुणदेवता की पूजा कर समुद्र को नारियल अर्पण करते हैं ।

रक्षाबंधन (राखी)

पाताल के बलिराजा के हाथ पर राखी बांधकर, लक्ष्मी ने उन्हें अपना भाई बनाया एवं नारायण को मुक्त करवाया । वह दिन था श्रावण पूर्णिमा ।

दशहरा (विजयादशमी)

आश्विन शुक्ल दशमीकी तिथिपर दशहरा मनाते हैं । दशहरेके पूर्वके नौ दिनोंमें अर्थात नवरात्रिकालमें दसों दिशाएं देवीमांकी शक्तिसे आवेशित होती हैं ।