ज्योतिषशास्त्र को झूठा बोलनेवाले बुद्धिवादियों को तमाचा !

‘ज्योतिषशास्त्र मन और स्वभाव का भी वेध ले सकता है । इसलिए जाने-अनजाने में जिनके अपराध की ओर मुडने की संभावना हो, उन्हें समय रहते ही सावधान कर, इसके साथ ही जो पहले ही अपराधी जगत में प्रवेश कर चुके हैं, उन्हें अच्छे मार्ग पर लाने के लिए उनका मार्गदर्शन कर समाज में अपराध नियंत्रित करने में यह शास्त्र सहायता कर सकता है ।’

कैरियर’ और ‘धनयोग’ का ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से विश्लेषण !

‘जन्मकुंडली के अनुसार जिस क्षेत्र में अर्थप्राप्ति अच्छी होगी, उसका विचार कर शिक्षा लेना अधिक उचित होता है । ‘कौन-सा व्यवसाय करने पर अधिक पैसा मिलेगा ?’, इसके लिए कुंडली में स्थित धनत्रिकोण, अर्थात २, ६ और १० स्थान तथा इस राशि में ग्रहों की स्थिति व्यवसाय की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है ।

भगवान कार्तिकेय के स्वरूपवाला तेजस्वी नक्षत्र : कृत्तिका !

भारतीय कालगणना में चैत्रादी मास के नाम खगोल शास्त्र पर आधारित है । कार्तिक मास में सूर्यास्त होने पर कृत्तिका नक्षत्र पूर्वक्षितिज पर उदय होता है; साथ ही कार्तिक मास में पूर्णिमा तिथि के समय चंद्र कृत्तिका नक्षत्र में होता है ।

मनुष्य जीवन पर ग्रहदोषों के प्रभाव को सहनीय बनाने के लिए ‘साधना करना’ ही सर्वाेत्तम उपाय

ग्रहदोष का अर्थ कुंडली में ग्रहों की अशुभ स्थिति ! कुंडली में कोई ग्रह दूषित हो, तो उस व्यक्ति को उस ग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं,

जन्मकुंडली, हस्तसामुद्रिक और पादसामुद्रिक में भेद

हाथ और पैर की रेखाओं का संबंध पूर्वजन्म के कर्मों से होता है; इसलिए उन्हें ‘कर्मरेखा’ कहा गया है । कर्म करने से इन रेखाओं में सूक्ष्म परिवर्तन होते हैं । पश्चात, ये परिवर्तन स्थूलरूप में दिखाई देते हैं ।

वारों का क्रम ‘सोमवार से रविवार’ क्यों ?

‘वार यह शब्द ‘होरा’ शब्द से बना है । होरा अर्थात ‘अहोरात्र ।’ इसका अर्थ है ‘सूर्योदय से अगले दिन के सूर्योदय तक !’ होरा अर्थात घंटा ।

नाखून किस दिन काटने चाहिए, इस विषय में ज्योतिषशास्त्र का दृष्टिकोण

आजकल के स्पर्धा और भाग-दौड-भरे जीवन में सात्त्विकता बचाने के लिए छोटी-से-छोटी क्रिया शास्त्रानुसार करने से लाभ निश्चित होता है ।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्याधि (बीमारी) निवारण के लिए औषधि(दवाई) लेने का उचित मुहूर्त और रोगी की सेवा करनेवाले सेवक की कुंडली के योग

शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो; इसलिए ज्योतिषशास्त्रानुसार व्याधि से ग्रस्त व्यक्ति को धन्वंतरी देवता को प्रार्थना करके औषधि लेनी चाहिए ।