पंचांग एवं ज्योतिषशास्त्र के पूर्वकल्पना दिए अनुसार बाढ आना, यह बुद्धिवादियों को करारा तमाचा !

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में आज इतना विकास हुआ है कि आज हम भारतीय अंतरिक्ष में चंद्रयान भी भेज सकें । ऐसा होते हुए भी कौन से क्षेत्र में अतिवृष्टि होगी, यह विज्ञान अथवा प्रौद्योगिकी निश्चितरूप से बता नहीं सके । मौसम विभाग के अनुमान तो इतने चूक जाते हैं कि सार्वजनिक रूप से मौसम विभाग का उपहास किया जाता है ।

ज्योतिष के बारे में सामान्य प्रश्न

पुराने और नई जन्मतिथि के अनुसार संपूर्ण भविष्य में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं आता । तिथि के बदलने से केवल तिथि का फल बदलता है ।

१०० प्रतिशत अचूक भविष्य के लिए स्त्री बीज फलित होने का समय ज्ञात होना आवश्यक !

सामान्यरूप से आजकल जन्मकुंडली के आधारपर ज्योतिषी जो बताते हैं, उसमें का केवल ३० से ३५ प्रतिशत भविष्यवाणी अचूक होती है ।

ज्योतिषशास्त्र – वेदों का अंग !

‘ज्योतिष’ शब्द ज्योति + ईश से बना है । ‘ज्योति’ का अर्थ ‘तेज’ तथा ‘ईश’ का अर्थ ‘ईश्वर’ अर्थात ‘ईश्वर के तेज से युक्त शास्त्र ज्योतिषशास्त्र है ।

हर्षल, नेपच्युन तथा प्लुटो ये अंग्रेजी नामवाले ग्रह भारतीय ज्योतिषशास्त्र में कैसे ?

हर्षल, नेपच्युन तथा प्लुटो इन ग्रहों का शोध चाहे आधुनिक युग में किया गया हो; परंतु उससे पहले भी उनका अस्तित्व था और ग्रंथों में उनका उल्लेख भी मिलता है ।