जन्मकुंडली, हस्तसामुद्रिक और पादसामुद्रिक में भेद

टिप्पणी १

जब कोई व्यक्ति अपना भविष्य जानने के लिए ज्योतिषी से प्रश्‍न करता है, तब उसके जीवन में कार्यरत ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार बनाई गई कुंडली को ‘प्रश्‍नकुंडली’ कहते हैं ।

 

टिप्पणी २

कर्म का संबंध हाथ से अधिक और पैर से अल्प
होने के कारण भविष्यकथन प्रायः हस्त-रेखाओं पर से होना

हाथ और पैर की रेखाओं का संबंध पूर्वजन्म के कर्मों से होता है; इसलिए उन्हें ‘कर्मरेखा’ कहा गया है । कर्म करने से इन रेखाओं में सूक्ष्म परिवर्तन होते हैं । पश्‍चात, ये परिवर्तन स्थूलरूप में दिखाई देते हैं । इसलिए, व्यक्ति के तलवों और हथेलियों की रेखाओं में विविध प्रकार के परिवर्तन होते रहते हैं । हमारे कर्मों का संबंध हाथों से अधिक और पैरों से अल्प होने के कारण, प्रायः हाथ की रेखाएं देखकर भविष्य बताया जाता है ।

– कु. मधुरा भोसले, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.

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