आश्विन पूर्णिमा (कोजागरी पूर्णिमा) को खंडग्रास चंद्रग्रहण, ग्रहण में किए जानेवाले कर्म और ग्रहण की राशिनुसार मिलनेवाला फल !

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‘आश्विन पूर्णिमा, २८ एवं २९.१०.२०२३ को होनेवाला चंद्रग्रहण भारत सहित सर्वत्र खंडग्रास दिखाई देनेवाला है । (चंद्र का केवल कुछ भाग पृथ्वी की छाया के नीचे आए, तो खंडग्रास चंद्रग्रहण की स्थिति निर्माण होती है । इसे ही अंग्रेजी में ‘पार्शल् लूनर् एक्लिप्स्’, कहते हैं । यह छाया कितनी बडी है, उतना उसका प्रभाव दिखाई देता है । इस अवसर पर चंद्र पर गहरे लाल रंग की अथवा मटमैले रंग की छटा दिखाई देती है ।)

१. चंद्रग्रहण दिखाई देनेवाले प्रदेश

‘यह चंद्रग्रहण भारत के साथ संपूर्ण एशिया खंड, ऑस्ट्रेलिया, रूस, संपूर्ण यूरोप और अफ्रीका खंड के प्रदेशों में दिखाई देगा ।

२. ग्रहण का वेध

अ. यह ग्रहण रात्रि के तीसरे प्रहर में होने से उसके ३ प्रहर पहले अर्थात शनिवार, २८ अक्टूबर को दोपहर ३.१४ से ग्रहण के वेध का पालन करें ।

आ. बालक, वृद्ध, कमजोर और बीमार व्यक्ति, इसके साथ ही गर्भवती स्त्रियां शनिवार को सायं ७.४१ से वेध का पालन करें ।

इ. वेध में स्नान, नामजप, देवपूजा, श्राद्ध इत्यादि कर सकते हैं । इसके साथ ही पानी पीना, सोना, मलमूत्रोत्सर्ग आदि कर सकते हैं । वेधकाल में भोजन न करें ।

ई. ग्रहण पर्वकाल में, अर्थात रात्रि १.०५ से २.२३, इस काल में पानी पीना, सोना, मलमूत्रोत्सर्ग कर्म भी न करें ।

३. चंद्रग्रहण के समय (भारतीय प्रमाण समयानुसार)

३ अ. स्पर्श (आरंभ) : रात्रि १.०५ (२८.१०.२०२३ उत्तररात्रि १.०५)

३ आ. मध्य : रात्रि १.४४ (२८.१०.२०२३ उत्तररात्रि १.४४)

३ इ. मोक्ष (अंत) : रात्रि २.२३ (२८.१०.२०२३ उत्तररात्रि २.२३) (इस समय संपूर्ण भारत के लिए हैं और वह भारतीय प्रमाण समय अनुसार है ।)

३ ई. ग्रहणपर्व (टिप्पणी १) (ग्रहण आरंभ से लेकर अंत तक की कुल अवधि) १ घंटे १८ मिनट

टिप्पणी १ : पर्व अर्थात पुण्यकाल ! ग्रहण स्पर्श से लेकर ग्रहण मोक्ष तक के काल को पुण्यकाल कहते हैं । शास्त्रों के अनुसार इस काल में ईश्वरीय सान्निध्य में रहने से आध्यात्मिक लाभ होता है ।

४. ग्रहण में कौन से कर्म करने चाहिए ?

अ. ग्रहण स्पर्श होते ही स्नान करें ।

आ. पर्वकाल में देवपूजा, तर्पण, श्राद्ध, नामजप, होम एवं दान करें ।

इ. पूर्व में कुछ कारणवश खंडित हुए मंत्र के पुरश्चरण का आरंभ इस अवधि में करने पर उसका फल अनंत गुना मिलता है ।

ई. ग्रहणमोक्ष के उपरांत स्नान करें ।

उ. किसी व्यक्ति को अशौच हो, तो ग्रहणकाल में ग्रहणसंबंधी स्नान और दान करने तक उसकी शुद्धि होती है ।

५. ग्रहण का राशि अनुरूप फल

५ अ. शुभ फल : मिथुन, कर्क, वृश्चिक एवं कुंभ

५ आ. अशुभ फल : मेष, वृषभ, कन्या एवं मकर

५ इ. मिश्र फल : सिंह, तुला, धनु एवं मीन

जिन राशियों को अशुभ फल है, वे और गर्भवती महिलाएं यह ग्रहण न देखें ।’

(संदर्भ : दाते पंचांग)

६. कोजागरी पूर्णिमा और चंद्रग्रहण

इस वर्ष शनिवार, २८.१०.२०२३ को कोजागरी पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण होने से रात्रि १.०५ से २.२३ तक ग्रहण का पर्वकाल है । उससे पूर्व वेधकाल में प्रतिवर्ष समान रात्रि के समय माता लक्ष्मी और इंद्रदेव का पूजन कर उन्हें दूध-शक्कर का नैवेद्य दिखा सकते हैं; परंतु प्रसाद के रूप में केवल एक चम्मचभर दूध प्राशन करें । शेष दूध का सेवन अगले दिन कर सकते हैं ।

– श्रीमती प्राजक्ता जोशी, ज्योतिष फलित विशारद, कुडाल, जिला सिंधुदुर्ग. (२८.९.२०२३)

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