मंगलदोष – धारणा एवं गलतधारणाएं

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श्री. राज कर्वे

‘विवाह निश्चित करते समय वधु-वर की जन्मकुंडलियों में मंगलदोष का विचार किया जाता है । अनेक बार व्यक्ति का विवाह केवल ‘मंगलदोष है’ इसलिए सहजता से मिलान नहीं होता । मंगलदोष के विषय में समाज में गलतधारणा दिखाई देती है, यद्यपि उसकी मात्रा अल्प हो रही है । मंगलदोष संबंधी धारणा एवं गलतधारणा, इस लेख द्वारा समझकर लेंगे ।

 

१. मंगलदोष क्या है ?

व्यक्ति की जन्मकुंडली में १, ४, ७, ८ एवं १२, इन स्थानों पर मंगल ग्रह होने से कुंडली में ‘मंगलदोष’ होता है । वैवाहिक जीवन के लिए इसे कष्टदायक माना जाता है । वैवाहिक जीवन में स्त्री एवं पुरुष का भावनिक संबंध प्रेममय होना आवश्यक होता है । इसलिए जीवन में सौख्य (सुख) मिलता है । सौख्य, यह ‘पृथ्वी’ एवं ‘आप’ तत्त्वों से संबंधित है । (पृथ्वी तत्त्व ‘स्थैर्य’ प्रदान करता है और आपतत्त्व ‘आनंद’ (हर्ष) प्रदान करता है; इसलिए जीवन में सौख्य रहता है ।) इसके विपरीत मंगल ग्रह ‘अग्नितत्त्व’ होता है और उसके प्रबल होने से वह सौख्य के लिए मारक सिद्ध होता है । क्रोध, अहंकार, कलह, अपघात, विच्छेद इत्यादि मंगल ग्रह के अनिष्ट परिणाम हैं ।

 

२. मंगलदोष के कारण होनेवाली हानि

‘मंगलदोष के कारण अधिकतर विवाह मिलान में अडचनें आने से विवाह होने में विलंब होता है’, ऐसा अनुभव है ।’ इसके साथ ही मंगल ग्रह कुंडली में जिस स्थान पर होगा, उस स्थान से संबंधित समस्याएं निर्माण होती हैं । मंगल ग्रह प्रथम स्थान में होने से व्यक्ति का स्वभाव आक्रमक होना, चतुर्थ स्थान में होने से कौटुंबिक सुख न मिलना, सप्तम स्थान में होने से पति-पत्नी में अनबन, अष्टम स्थान में होने से अपघात के प्रसंग आना एवं बारहवें स्थान में होने से आर्थिक अथवा आरोग्य की हानि होना, ऐसा परिणाम सामान्यतः होता है; परंतु ऐसा परिणाम होना, यह ‘कुंडली में मंगल ग्रह कितना बलवान है ? एवं उनसे अन्य ग्रहों का योग कैसा है ?’, इस पर निर्भर होता है । इसलिए मंगलदोष जिसे है, ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को तीव्र अनिष्ट फल मिलेंगे ही, ऐसा कदापि नहीं है ।

 

३. ‘कुंडली में मंगलदोष है क्या ?’ इसकी ज्योतिष से निश्चति करें !

कुंडली की १, ४, ७, ८ एवं १२, इन स्थानों पर विद्यमान मंगल ग्रह बलवान न होने से उसका परिणाम सौम्य होता है । पंचांग में ऐसे अनेक अपवाद दिए हैं, जिससे मंगलदोष ग्राह्य नहीं माना जाता, उदा. मंगल की उसके नीच राशि में (कर्क राशि में) होना, मंगल मिथुन अथवा कन्या राशि में होना, मंगल पर शुभ ग्रह की दृष्टि होना इत्यादि । इन अपवादों के कारण मंगळदोष से युक्त ६० से ७० प्रतिशत जन्मकुंडलियों में मंगलदोष सौम्य होता है । इसलिए मंगलदोष के संदर्भ में ‘कुंडली में वास्तव में दोष हैं ?’ इसकी ज्योतिष से निश्चती कर लें ।

 

४. उपाय करने से क्या मंगलदोष नष्ट होता है ?

कुंडली में प्रबल मंगलदोष होने से मंगल ग्रह की शांति एवं जप किया जाता है । यह उपाय करने से मंगल ग्रह का दूषित प्रभाव अल्प होकर विवाह निर्विघ्नता से संपन्न होने में सहायता होती है । शांति एवं जप का परिणाम ५ से ६ माह टिकता है । शांति एवं जप के कारण मंगलदोष कायमस्वरूपी नष्ट नहीं होते; कारण ग्रहदोष अर्थात हमारे द्वारा पूर्वजन्मों में किए अनुचित कर्मों लेखा जोखा होता है ।

 

५. मंगलदोष होने से व्यक्ति को ध्यान रखने योग्य बातें

मंगलदोष अधिकतर वैवाहिक जीवन में कष्टदायक होने से व्यक्ति को संयम एवं सहनशीलता बढाना आवश्यक होता है । दूसरों को समझकर लेना, उनके मतों का आदर करना, स्वयं ही सहायता करना, खुले मन से बोलना आदि गुण बढाने के लिए प्रयत्न करने पर वैवाहिक जीवन सुखमय होगा । इसके साथ ही परिवारजनों को समय देना, आर्थिक निर्णय विचारपूर्वक लेना और शस्त्र, यंत्र, वाहन आदि वस्तुओं का सावधानी से उपयोग करना आवश्यक है ।’

– श्री. राज कर्वे, ज्योतिष विशारद, गोवा. (२१.११.२०२२)

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