छत्रपति शिवाजी महाराजजी की प्रेरक शक्ति : राजमाता जिजाऊ !

राजमाता जीजाबाई को छायाचित्रात्मक अभिवादन

वर्ष १५९५ में विदर्भ के सिंदखेडराजा नामक स्थान पर जीजाबाईका जन्म हुआ । उन्हें रामायण-महाभारत और पुराण की कथाएं अत्यंत प्रिय थीं । महाराष्ट्र तथा संपूर्ण भारत में मुगल और विजापूर के सुलतान ने कोहराम मचा रखा था । तब जीजाबाई ने भवानीदेवी से प्रार्थना की राष्ट्ररक्षा के लिए सुपुत्र दीजिए । बाल शिवाजी के जन्म के पश्‍चात उनपर बचपन से ही राष्ट्र और धर्म के संस्कार करने के लिए, जीजाबाई उन्हें प्रभु श्रीराम, हनुमान, श्रीकृष्ण इत्यादि देवताओं  तथा महाभारत और रामायण की कथाएं सुनाती थीं । जब वे पूना में रहने के लिए आई, तब उन्होंने कसबे में भगवान गणेश की स्थापना की । साथ ही जोगेश्‍वरी तथा केदारेश्‍वर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया । तत्कालीन राजनीति और समाज व्यवस्था पर जीजाबाई का ध्यान रहता था । राजमाता जीजाबाई के पांच पुत्रों की मृत्यु हुई थी । अकेले शिवाजी महाराज ही जीवित थे । उनपर भी अनेक संकट आते थे । ऐसी स्थिति में भी मन कठोर कर, वे शिवाजी महाराज को सफल होने के आशीर्वाद देती थीं । छत्रपति शिवाजी महाराज ने आगरा जाते समय, राज्य का संपूर्ण कामकाज जीजाबाई को सौंप दिया था । जीजाबाई शिवाजी महाराज की केवल माता ही नहीं, अपिंतु प्रेरक शक्ति भी थीं । छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का सुवर्ण क्षण देखने के पश्‍चात केवल बारह दिनों में ही वर्ष १६७४ में उन्होनें पाचाड नामक स्थान में देहत्याग किया । जीजाबाई के कारण ही महाराष्ट्र को शिवाजी मिले और हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना हुई । उनकी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में उन्हें विनम्र अभिवादन !

(भारतीय संस्कृतिकोष)

शिवनेरी किले के इस पालने में माता जीजाबाई ने शिवाजी को क्षात्रतेजपूर्ण लोरियां सुनाई थीं ।

 

रायगड के नीचे स्थित पाचाड गांव में स्थित राजमाता जीजाबाई की समाधि

अत्यंत प्रतिकूल परिस्थिति में पांच राज्यशासकों को परास्त कर, हिन्दवी स्वराज्य स्थापित करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज हिन्दुओं के वास्तविक प्रेरणास्रोत हैं ! ३५० वर्षों के पश्‍चात भी छत्रपति शिवाजी महाराज का केवल नाम लेते ही, नस-नस में हिन्दुत्व का संचार होता है और अन्याय के विरुद्ध लडने की प्रबल इच्छा निर्माण होती है । ऐसे युगपुरुष को जिन्होंने संस्कारित किया, वे राजमाता जीजाबाई धन्य हैं ! उनके कारण हमें हिन्दूसूर्य छत्रपति शिवाजी महाराज प्राप्त हुए । उनकी पाचाड (जिला रायगड) की समाधि तथा जुन्नर (जिला पूना) के शिवनेरी किले में छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्म स्थान की छायाचित्र के माध्यम से उनकी स्मृतियां जागृत करने का प्रयास कर रहे हैं ।

शिवनेरी किले में स्थित बाल शिवाजी और मातोश्री जीजामाता का स्मारक

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