शरीर का भार बढाने के आयुर्वेदिक उपचार

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शरीर का भार बढाने के लिए प्रतिदिन तेल मालिश करें, व्यायाम करें और पौष्टिक आहार का सेवन करें । जिन्हें भूख नहीं लगती, वे भूख बढानेवाली औषधि लें । इस प्रकार प्रयत्न करने पर शरीर पुष्ट और बलवान होता है । यह विषय आगे विस्तार से बता रहे हैं ।

 

वैद्य मेघराज पराडकर

 

१. तेल मालिश

व्यायाम से १५ मिनट पूर्व तेल से पूरे शरीर का मालिश करें । इसके लिए आगे बताए किसी भी तेल का उपयोग करें ।

अ. नारियल का तेल

आ. तिल का तेल

इ. सरसों का तेल

ई. माष (उडद) का तेल : एक कटोरी उडद रात में थोडे पानी में भिंगा दें । सवेरे इसमें २ प्याला पानी और मिलाकर इतना पकाएं कि एक प्याला पानी बच जाए । यह काढा छानकर इसमें एक लोटा (१ लीटर) तिल का तेल मिलाकर इतना पकाएं कि केवल तेल रह जाए । तेल जब गरम रहे, तभी लोहे अथवा स्टील के छन्ने से छान लें और ठंडा होने पर बोतल में भरकर रख लें । इस माष तेल का उपयोग मालिश के लिए करें तथा सवेरे खाली पेट गरम पानी के साथ १-२ चम्मच तेल पी लिया करें । इससे स्नायु (नाडी) पुष्ट और बलवान होंगे ।

 

२. व्यायाम – सूर्यनमस्कार

सूर्यदेवता से प्रार्थना कर, सूर्यनमस्कार करें । पहले दिन एक नमस्कार करें; पश्चात प्रतिदन एक बढाते जाएं । अभ्यास हो जाने पर प्रतिदिन न्यूनतम २४ सूर्यनमस्कार करें ।

 

३. औषधि

शरीर का भार बढाने के लिए पौष्टिक आहार का महत्त्व होता है । परंतु पाचनशक्ति मंद होने तथा पाचन-संबंधी विकार होने पर खाया हुआ पौष्टिक आहार नहीं पचता । इससे लाभ के स्थान पर हानि ही होती है । ऐसा न हो, इसके लिए जिन्हें भूख नहीं लगती अथवा जिनमें पाचन-संबंधी कोई विकार हो, वे आगे बताई किसी एक औषधि का सेवन करें । जब भूख अच्छी लगने लगे, तभी पौष्टिक आहार लेना आरंभ करें ।

अ. सवेरे खालीपेट तुलसी के ४ पत्ते धोकर खाएं । पश्चात, पानी से कुल्ला कर दांत स्वच्छ कर लें ।

आ. भोजन से आधा घंटा पहले अदरक का अधा इंच लंबा टुकडा नमक के साथ चबाकर खाएं ।

 

४. पौष्टिक आहार

आहार में मीठा, खट्टा, खारा, तीखा, कटु (कडवा) और कसैला इन छह रसों का समावेश करें । इनमें, मीठे पदार्थ अपेक्षाकृत अधिक खाएं । आगे पौष्टिक पदार्थाें की सूची दी है । उनमें से अपनी रुचि के १-२ पदार्थ खाएं । प्रतिदिन एक ही पदार्थ खाते रहने से मन ऊब जाता है । कोई पदार्थ खाने की इच्छा न करे, तब सूची का अन्य पदार्थ चुन सकते हैं । कोई पौष्टिक पदार्थ तभी खाएं, जब अच्छी भूख लगी हो । बिना भूख लगे खाने पर स्वास्थ्य बिगड सकता है ।

अ. सवेरे व्यायाम के आधे घंटे पश्चात एक मुट्ठी मूंगफली के दाने और सुपारी के बराबर गुड एक साथ चबाकर-चबाकर खाएं । अथवा मूंगफली और गुड से बना लड्डू खाएं ।

आ. एक मुट्ठी काले अथवा श्वेत तिल चबाकर खाएं ।

इ. रात में एक मुट्ठी श्वेत तिल पानी में भिंगाएं । सवेरे पीसकर उसमें एक कप पानी मिलाकर छान लें । यह तिल का दूध तैयार है । इसमें थोडा गुड मिलाकर प्रतिदिन सवेरे पीएं ।

ई. गुनगुने पानी में ३ चम्मच साबूत उडद अथवा छिलकेवाली उडद की दाल भिगो दें । ३ घंटे पश्चात यह उडद और एक कटोरी नारियल की गरी मिक्सर में एक साथ पीसकर उसका रस निकालें । इस रस में गुड मिलाकर पीएं ।

उ. आटे में दसवां भाग उडद का आटा मिलाकर रोटी बनाएं । यह रोटी देसी घी, मट्ठा अथवा बैंगन की -सब्जी के साथ खाएं ।

ऊ. सप्ताह में दो दिन दोपहर के समय भोजन में उडद के आटे में इमली के बीज का चूर्ण मिलाकर रोटी बनाएं और उडद की रसदार भाजी के साथ खाएं ।

ए. सेम के बीज अंकुरित कर उसकी रसदार -सब्जी बनाकर खाएं ।

ऐ. केला, खजूर और अंजीर में से जो उपलब्ध हो उसमें एक चम्मच मध मिलाकर भूख के अनुसार खाएं । जिन्हें बार-बार -सर्दी होती रहती है, वे केला और अंजीर न खाएं, केवल मध और खजूर खाएं ।

ओ. अल्पाहार (नाश्ता) के साथ दही खाएं ।

औ. मलाई और मिश्री का मिश्रण भूख के अनुसार खाएं ।

अं. १ मास (महीना) प्रतिदिन सवेरे चाय के २ चम्मच (१० ग्राम) खोवा खाकर १ प्याला दूध पीएं ।

क. प्रतिदिन सवेरे चाय के २ चम्मच बराबर घिसा पनीर, १ बडा चम्मच मधु और १ लौंग के साथ अल्पाहार (नाश्ता) करें ।

ख. प्रतिदिन पनीर खाएं ।

४ अ. दुबलापन (कृशता) के साथ अन्य विकार होने पर प्रमुखता से लेने का पौष्टिक आहार :

४ अ १. भूख न लगना, नींद की समस्या, चिडचिडापन, यकृत (लीवर) और हृदय को शक्ति मिलने के लिए : आम के दिनों में प्रतिदिन १ आम खाकर, एक प्याला दूध पीएं । यह कार्य ३ मास (महीना) करें । आम के अतिरिक्त, दूसरा फल दूध के साथ कभी न खाएं ।

४ अ २. पेट में जलन होना : लोबिया की रसदार भाजी खाएं अथवा उसके रसा में धनिया पत्ता मिलाकर पीएं ।

४ अ ३. मल कठिन और मूत्र अल्प होना : आधी कटोरी अधजमा (आधा जमा) दही और सुपारी के बराबर गुड मिला कर भोजन के साथ खाएं । यह उपचार एक सप्ताह करें और एक सप्ताह बंद रखें । इस ढंग से ३ सप्ताह दही खाएं । इससे शरीर की वसा में वृद्धि होकर, भार बढेगा ।

४ अ ४. शौच पतला होना : बोडा (लोबिया समान) सब्जी के रसा (सूप) में धनियापत्ता मिलाकर पीएं ।

४ अ ५. संग्रहणी (कभी पतला तथा तो कभी ठीक और चिकना मलयुक्त होना) : थोडे पीले रंग की और अधिक बीजोंवाली पुरानी लौकी लें । उसे छीलकर घिसें । पश्चात, उसे घी में तलकर स्वाद के अनुसार उसमें मिश्री, जीरे का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर खाएं । इससे शरीर पुष्ट होगा ।

४ अ ६. मूत्र की समस्या, त्वचा रोग : एक मुट्ठी चना थोडे पानी में पूरी रात भिगोकर रखें । सवेरे व्यायाम के आधा घंटा पश्चात खाएं । इससे, त्वचा निरोग रहेगी ।

४ अ ७. वीर्य कम होना : कटहल के पके कोए खाने से मांस, मेद और शुक्रधातु (वीर्य) पुष्ट होते हैं ।

— वैद्य मेघराज माधव पराडकर, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा (२०.५.२०१६)

(संदर्भ : सनातन की आगामी ग्रंथमाला, भावी आपातकाल की संजीवनी — आयुर्वेद)

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