भारतीय कृषि परंपरा का महत्त्व एवं इस परंपरा को टिकाकर रखने की आवश्यकता

पुरातन भारतीय कृषि परंपरा प्रकृति के लिए अनुकूल थी । स्थानीय परिस्थिति के अनुरूप देशी बीजों का उपयोग करना, मिट्टी की उर्वरता टिकाए रखना एवं खेत के जीवाणु, कीटक एवं फसलों की जैवविविधता (बायोडायवर्सिटी) की ठोस नींव पर यह व्यवस्था खडी थी ।

घर में उपलब्ध सामग्री से सहजता से होनेवाला शाक-तरकारी का रोपण

हाट (बाजार से) लाया गया पालक अथवा पुदीना, कई बार उनमें कुछ जडसहित होते हैं जिसे मिट्टी में खोंसने पर उनसे नए पौधे आते हैं । अदरक, प्याज, आलू, शकरकंद, सूरन, अरबी जिनमें अंकुर आ गए, उनसे नया रोपण करना सहज संभव है ।’

किसानो, साधना मानकर खेती करें एवं समृद्ध हों !

इसलिए सनातन संस्था की सीख है कि किसानों की आत्महत्या की समस्या पर कर्जमाफी जैसे ऊपरी-ऊपर उपाय करने के स्थान पर प्रत्येक किसान को ईश्वरप्राप्ति के लिए साधना करना सिखानी चाहिए ।

घर के घर में ही पौधों की निर्मिति कर रोपण कैसे करें ?

किसी पेड अथवा पौधे से नया रोप तैयार करने के लिए यह जानना महत्त्वपूर्ण है कि उस पेड का कौनसा भाग उपयोगी है । कुछ पौधे टहनियों से, कुछ बीजों से, कुछ जडों से, तो कुछ पत्तों से किए जा सकते हैं ।

रासायनिक अथवा जैविक कृषि नहीं, अपितु प्राकृतिक कृषि अपनाइए ! (भाग ४)

आपको प्राकृतिक खेती का प्रकल्प देखकर आश्चर्य होगा कि ‘यह ऐसे कैसे हो सकता है ?’, ऐसा प्रश्न आपके मन में आ सकता है । (इन प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए ही) हम इन प्रकल्पों में विविध शास्त्रज्ञों को, इसके साथ ही असंख्य किसानों को जोडा है । शास्त्रज्ञों द्वारा किए गए शोध के शोधनिबंध तैयार हैं ।

घर के घर में ही आलू का रोपण

रोपण कैसे करें, यह समझने के लिए यूट्यूब पर वीडियो पाठकों की सुविधा के लिए यहां दे रहे हैं । इस वीडियो में कुछ भाग उपरोक्त लेख में दी हुई जानकारी से भिन्न हो सकता है ।

घर के घर ही में धनिया और पुदीना का रोपण

‘धनिया भले ही बीजों से होता है, तब भी इन बीजों को हमें किसी रोपवाटिका से खरीद कर लाने की आवश्यकता नहीं होती । अपनी रसोई में ही ये बीज होते हैं । धनिया बोने की विविध पद्धतियां हैं ।