वाफसा : पेडों को पानी देने की आवश्यक स्थिति !

‘भूमि में मिट्टी के २ कणों के मध्य की रिक्ति में पानी का अस्तित्व न होकर ५० प्रतिशत भाप और ५० प्रतिशत हवा का मिश्रण होना ‘वाफसा’ है ।

जीवामृत : सुभाष पाळेकर प्राकृतिक खेतीतंत्र का ‘अमृत’ !

‘पद्मश्री’ पुरस्कारप्राप्त सुभाष पाळेकर ने ‘सुभाष पाळेकर प्राकृतिक कृषितंत्र’ की खोज की । आज भारत सरकार ने इसका अनुमोदन कर इस तंत्र का प्रसार करने का निश्चय किया है । इस कृषितंत्र में ‘जीवामृत’ नामक पदार्थ का उपयोग किया जाता है ।

बाजार में मिलनेवाली किसी भी प्रकार की खाद का उपयोग न कर जीवामृत का उपयोग कर उपजाऊ मिट्टी कैसे बनाएं ?

सूखी घास, विघटनशील कचरा, पत्तों का कचरा, नारियल की शिखाएं, रसोईघर का गीला कचरा, इन सभी का विघटन कर हम पेडों के लिए आवश्यक ‘उपजाऊ मिट्टी’ बना सकते हैं ।

घर पर ही सब्जियों के रोपण के लिए आवश्यक घटक

जिस प्रकार कीडे प्राणियों को कष्ट पहुंचाते हैं अथवा काटते हैं, उस प्रकार वनस्पतियों को भी कीडों से कष्ट होता है । सब्जियों के रोपण के लिए हवा और सूर्यप्रकाश प्रकृति से उपलब्ध होते हैं, तो मिट्टी, उर्वरक, कीटनाशक, फफूंदनाशक इत्यादि का प्रबंध हमें करना पडता है ।

कालमेघ वनस्पति और विकारों में उसके उपयोग

कालमेघ वनस्पति संक्रामक रोगों के लिए अत्यंत उपयुक्त है । यह बहुत ही कडवी होती है । इसका उपयोग ज्वर और कृमियों के लिए किया जाता है । यह सारक (पेट को साफ करनेवाली) होने से कुछ स्थानों पर वर्षा ऋतु में और उसके उपरांत आनेवाली शरद ऋतु में सप्ताह में एक बार इसका काढा पीने की प्रथा है । इससे शरीर स्वस्थ रहता है ।

रासायनिक, जैविक और प्राकृतिक कृषि में अंतर !

आपातकाल में रासायनिक अथवा जैविक खाद उपलब्ध होना कठिन है । प्राकृतिक कृषि पूर्णतः स्वावलंबी कृषि है तथा आपातकाल के लिए, साथ ही सदैव के लिए भी अत्यधिक उपयुक्त है ।

सनातन का ‘घर-घर रोपण’ अभियान

आजकल बाजार में मिलनेवाले हरी सब्जियां, फल इत्यादि पर हानिकारक रसायनों के फव्वारे किए जाते हैं । ऐसी सब्जियां एवं फल खाने से प्रतिदिन विषैले पदार्थ हमारे पेट में जाते हैं । इससे रोग होते हैं । साधना के लिए शरीर स्वस्थ रखना आवश्यक है ।

आपातकाल में आधार देनेवाली छतवाटिका (Terrace Gardening – टेरेस गार्डनिंग) भाग २

अपने घर में घर के लिए आवश्यक सब्जी, फल उगाना संभव हो, तो क्यों न उस हेतु प्रयास करें ? इससे घर की उत्कृष्ट सब्जी भी मिलेगी, साथ ही पैसे और श्रम की भी बचत होगी । वर्तमान में जैविक अथवा प्राकृतिक खेती के अंतर्गत छत पर खेती (टेरेस गार्डनिंग) की नई संकल्पना उदित हो रही है । इस विषय

आपातकाल में आधार देनेवाली छतवाटिका (Terrace Gardening) भाग-१

वर्तमान में जैविक अथवा प्राकृतिक खेती के अंतर्गत छत पर खेती (टेरेस गार्डनिंग) की नई संकल्पना उदित हो रही है । इस लेख से हम अपने घर शाक-तरकारी कैसे उगाएं ? इस विषय में जानकार लेंगे ।