कुंभपर्व में वंदनीय उपस्थित परमहंस धाम, वृंदावन के महामंडलेश्‍वर भैया दासजी महाराज के मन में सनातन संस्था के प्रति विद्यमान विश्‍वास !

कुंभपर्व में वंदनीय उपस्थित परमहंस धाम, वृंदावन के महामंडलेश्वर भैया दासजी महाराज ने कहा, ‘‘प्रत्येक कुंभपर्व के पश्चात मुझपर ऋण हो जाता है; किंतु इस कुंभ में पहली बार ही मुझपर किसी प्रकार का ऋण नहीं हुआ है ।

‘सनातन संस्था द्वारा किया जा रहा कार्य बहुत ही उच्च श्रेणी का है ।’ – स्वामी रामरसिकदासजी महाराज

‘यदि संपूर्ण कुंभ में प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता, तो आपकी संस्था को ही पहला क्रम देना पडता; क्योंकि आपकी प्रदर्शनी और नियोजन उत्कृष्ट है, साथ ही आपके द्वारा किया जा रहा कार्य बहुत ही उच्च श्रेणी का है ।’

सनातन संस्था का कार्य उत्कृष्ट है ! – श्री रमेशगिरी महाराज, जनार्दन आश्रम, कोपरगांव (महाराष्ट्र)

‘इस प्रदर्शनी के अवलोकन के पश्;चात यह ध्यान में आता है कि सनातन संस्था का कार्य उत्कृष्ट है । मैं यह अपेक्षा करता हूं कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से हिन्दू समाज में जागृति आएगी’, ऐसा प्रतिपादित कोपरगाव (महाराष्ट्र) के जनार्दन आश्रम के श्री रमेशगिरी महाराज ने किया ।

विद्यालय और महाविद्यालयों में सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी का आयोजन किया जाना चाहिए ! – स्वामी रामरसिकदास महाराज

सभी नागरिक और बच्चों को आध्यात्मिक ग्रंथों की जानकारी होने हेतु सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी अत्यंत बोधप्रद एवं शिक्षाप्रद है । विद्यालय और महाविद्यालयों में इस प्रदर्शनी का अवश्य आयोजन किया जाना चाहिए, ऐसा प्रतिपादित अयोध्या के स्वामी रामरसिकदास महाराज ने किया ।

विश्‍व का सबसे बडा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महापर्व !

सनातन के साधकों द्वारा ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम ।’, ‘हर हर महादेव’, ‘जय जय श्रीराम’ ऐसा जयघोष किया गया । अनेक साधुओ ने भी ‘सनातन की जय’, ‘सनातन धर्म की जय’, ऐसा जयघोष किया ।

प्रयागराज कुंभमेले के माध्यम से ‘सनातन संस्था’ का व्यापक धर्मप्रचार !

कुंभक्षेत्र की सीमा २५ किमी. है । इसके हृदयस्थान संगमक्षेत्र के समीप स्थित मोरी मार्ग के पास ‘सनातन संस्था’ को स्थान मिलना, केवल गुरुकृपा थी । कुंभक्षेत्र में आनेवाले श्रद्धालुओं में ३० प्रतिशत लोगों को इस क्षेत्र से जाना पडता है ।

कुंभपर्व की तिसरी गंगा ‘सरस्वती नदी’ सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी के रूप में बह रही है ! – श्री प्रभु नारायण करपात्री

संत श्री. प्रभु नारायण करपात्री ने कहा, ईशान्य भारत के मिजोरम, मेघालय, असम, त्रिपुरा और मणिपुर में लाखों हिन्दुओं ने धर्मांतरण कर ईसाई पंथ को अपनाया है । वहां हिन्दुओं को पैसों के लालच देकर धर्मांतरित किया गया है ।

कुंभपर्व मे सनातन की धर्मशिक्षा एवं राष्ट्र-धर्मरक्षा से संबंधित फलक प्रदर्शनी का जिज्ञासु, साधु-संत-महंतों द्वारा उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर !

मुझे सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी बहुत अच्छी लगी । इस प्रदर्शनी को देखकर हम निशब्द हो गए हैं । संपूर्ण कुंभपर्व में ऐसा धर्मज्ञान कहां होगा, ऐसा हमें नहीं लगता ।

विदेशी नागरिकों के लिए श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र बना कुंभपर्व !

कुंभपर्व केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं, अपितु विदेशी नागरिकों के लिए भी श्रद्धा का परमोच्च शिखर है । अखिल मनुष्यजाति का उद्धार करनेवाले इस कुंभपर्व में सहभागी होना सौभाग्य है !

सनातन के साधकों के संतसेवा में लीन होने से उनके मुखमंडलपर संतसंगती का आनंद झलकता है ! – श्री श्री १००८ श्री महामंडलेश्‍वर महंत रघुवीरदास महात्यागी महाराज

सनातन के सभी साधकों की ओर देखकर बहुत प्रसन्न लगता है । उसके कारण यह है कि वे संतसेवा में लीन हैं; इसलिए संतसंगती का आनंद उनके मुखपर झलकता है ।