कुछ अच्छा अथवा बुरा होनेपर इस प्रकार से दृष्टिकोण होना चाहिए !

कुछ अच्छा होनेपर ईश्‍वर की कृपा से हुआ, यह दृष्टिकोण होना चाहिए, तो कुछ बुरा होने से मेरे प्रारब्ध के कारण हुआ, यह विचार होना चाहिए । किसी ने यदि कुछ बुरा किया, तो उसके संदर्भ में मेरे प्रारब्ध का घडा न्यून हुआ तथा बुरा करनेवाले के पापों का घडा शीघ्र ही भरकर ईश्‍वर उसको … Read more

हिन्दू राष्ट्र में भ्रष्टाचार, बलात्कार इत्यादि क्यों नहीं होंगे ?

‘हिन्दू राष्ट्र की पाठशाला में भूगोल, गणित, रसायन शास्त्र जैसे जीवन में जिनका कोई उपयोग नहीं, ऐसे विषयों की अपेक्षा, ‘बच्चे सात्त्विक कैसे हों ?’, इसका अर्थ ‘साधना कैसे करें ?’ इसकी शिक्षा दी जाएगी । इस कारण जिस प्रकार रामराज्य में नहीं थे, उसी प्रकार भ्रष्टाचार, बलात्कार, गुंडागिरी, हत्या इत्यादि भी हिन्दू राष्ट्र में … Read more

हिन्दुआें, बुद्धिजीवि एवं सर्वधर्मसमभावालों द्वारा हिन्दू बच्चों को विद्यालय में हिन्दू धर्म की शिक्षा देने के लिए किए जा रहे विरोध को प्रखरता के साथ विरोध कर उनके प्रयासों को तोड डालिए !

मुसलमान एवं ईसाईयों के विद्यालयों में उनके धर्म की शिक्षा दी जाती है; किंतु इसके विपरीत हिन्दू बुद्धीजीवि एवं सर्वसमभाववाले विद्यालयों में हिन्दू धर्म की शिक्षा देने का विरोध करते हैं । उसके कारण हिन्दुआें की स्थिति केवल भारत में ही नहीं, अपितु विश्‍व में दयनीय हो चुकी है । इसका एकमात्र समाधान यह है … Read more

हिन्दुत्ववादियों की दयनीय सद्यस्थिति !

यदि गायों की हत्या हुई, तो गंगा प्रदूषण रोकने हेतु कार्यरत लोगों पर उस का कोई परिणाम नहीं होता एवं गंगा प्रदूषण रोकने हेतु कार्यरत लोगोंपर पुलिस ने लाठीहल्ला किया, तो गोरक्षकों पर उसका कोई परिणाम नहीं होता ! प्रत्येक को ‘हिन्दुओं के सभी प्रश्‍न मेरे ही हैं, ऐसा प्रतीत होगा, उसी समय ‘हिन्दू राष्ट्र’ … Read more

हिन्दू धर्म का ध्येय

‘कहां पृथ्वी पर शासन करने का ध्येय रखनेवाले अन्य धर्म, तो कहाँ ‘प्रत्येक को ईश्वरप्राप्ति हो’, यह ध्येय रखने वाला हिन्दू धर्म !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

उपयोग करें एवं फेंक दें’ इस तत्त्व को बूढे मां-बाप के संदर्भ में प्रयुक्त करनेवाली युवा पीढी !

उपयोग करें एवं फेंक दें’ (Use and Throw)’ पाश्चात्त्यों की ऐसी जो आधुनिक संस्कृति है, उसे अब अनेक युवकों ने भी आत्मसात कर लिया है । इसलिए जिन मां-बाप ने जन्म दिया, जन्म से लेकर स्वावलम्बी होने तक सभी प्रकार से चिंता की, उदा. बीमारी में सभी सेवा की, शिक्षा दी, उनके विषय में कृतज्ञ … Read more