शाक-सब्जियों (भाजी-तरकारी) को धूप की आवश्यकता

Article also available in :

अनेक बार सभी को, विशेषरूप से नए बागकर्मियों को कुछ प्रश्न हमेशा होते हैं कि किन भाजी-तरकारियों को कितनी धूप लगती है ? तरकारी को बोने से लेकर उसे काटने तक, इस संपूर्ण जीवनचक्र में उसे धूप की कितनी आवश्यकता होती है एवं हमारे पास जो उपलब्ध धूप है, फिर वह सीधे धूप हो अथवा सूर्यप्रकाश, हम कौन-कौनसी शाक-तरकारी लगा सकते हैं ?’ इन प्रश्नों के उत्तर इस लेख में हैं ।

श्री. राजन लोहगांवकर

 

१. आवश्यक धूप की मात्रा में भिन्नता एवं उसके कारण

‘अपने उद्यान में दिनभर में पडनेवाली धूप का समय, मात्रा, स्थान एवं उसकी तीव्रता, ये सभी अलग-अलग होती हैं । इसमें सूर्य के उत्तरायण एवं दक्षिणायन के कारण तो वर्षभर सतत परिवर्तन होते ही रहते हैं; परंतु आस-पडोस में होनेवाले निर्माणकार्य, साथ ही हमारे द्वारा ही लगाए पेड-पौधों की सतत होनेवाली वृद्धि के कारण धूप के घंटे न्यून-अधिक होते रहते हैं । इसके साथ ही उसकी तीव्रता भी न्यून-अधिक होती रहती है । इसपर अपना कुछ भी नियंत्रण नहीं होता । अधिक से अधिक हम अपने बगीचे के बढे हुए पेड-पौधों को छांट सकते हैं; परंतु अन्य विषयों में मात्र हमें एवं हमारे द्वारा लगाए गए पौधों को जितनी मिले उतनी धूप अथवा सूर्यप्रकाश पर ही संतोष करना पडता है ।

प्रतीकात्मक छायाचित्र

 

२. धूप की आवश्यकता अनुसार भाजी-तरकारी का वर्गीकरण

हम कितनी धूप में कौन-कौनसी भाजी-तरकारी लगा सकते हैं, यह अब देखेंगे । इसके लिए हम ३ प्रमुख गुटों में भाजी-तरकारी का विभाजन करेंगे ।

वे गुट इसप्रकार हैं –

अ. ६ से ८ घंटे धूप आवश्यक है, ऐसी भाजी-तरकारी (सब्जियां)

आ. ४ से ६ घंटे धूप आवश्यक है, ऐसी भाजी-तरकारी (सब्जियां)

इ. २ ते ४ घंटे धूप आवश्यक है, ऐसी भाजी-तरकारी (सब्जियां)

यहां एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि किसी भी वनस्पति की वृद्धि के लिए धूप न्यून-अधिक मात्रा में आवश्यक ही होती है । इसी से फलों का स्वाद एवं फूलों को रंग मिलता है; परंतु कुछ तरकारियां अल्प धूप में भी भली-भांति फलती-फूलती हैं । अर्थात ऐसी तरकारिया यदि धूप में होतीं और पूरा ध्यान देकर अपनी देख-रेख में उन्हें बढाया होता, तो उनके रंगरूप एवं स्वाद में निश्चितरूप से अंतर पडा होता; परंतु तब भी ‘कुछ नहीं, इसकी अपेक्षा थोडा-बहुत ही सही’, इस न्याय से वे बढती हैं एवं अपने अन्न की आवश्यकता की आपूर्ति होती है ।

२ अ. ६ से ८ घंटे सीधे धूप की आवश्यकता है, ऐसी तरकारियां

टमाटर, बैंगन, ककडी, मिर्ची, मका, लौकी, लाल कद्दू, भिंडी, चवली एवं अन्य फलीवर्गीय अर्थात जिसमें फलियां आती हैं ऐसी सब्जियां, इसके साथ ही सर्व बेलवर्गीय सब्जियों को जितनी अधिक धूप मिलेगी, उतनी उनकी वृद्धि उत्तम ढंग से होती है । कडी धूप के दिनों में दोपहर के समय, अर्थात लगभग सवेरे साढे ग्यारह से दोपहर ढाई से-तीन बजे तक इन सब्जियों पर छाया आए, ऐसी व्यवस्था करने पर अधिक लाभदायक होगा । जितनी धूप अधिक, उतनी ही पानी की आवश्यकता अधिक, यह निश्चित है; कारण गमले में लगाईं सब्जियां पानी के लिए पूर्णरूप से हम पर निर्भर होती हैं । इसलिए इन सब्जियों को पानी की कमतरता नहीं होनी चाहिए ।

२ आ. ४ से ६ घंटे धूप आवश्यक है, ऐसी सब्जियां

चुकंदर, बंदगोभी, फूलगोभी, गाजर, प्याज, लहसुन, मटर, आलू, मूली, अदरक इत्यादि सब्जियां, अर्थात बहुतांश कंदवर्गीय सब्जियां आधी छाया में उनकी बढत भली-भांति होती है । तीव्र धूप एवं आवश्यकता से बहुत अधिक धूप होने पर उनकी बढत ठीक से नहीं होती । गोभी, फ्लावर जैसी सब्जियां कडी धूप में ठीक से नहीं होतीं । इसके साथ ही उनके स्वाद में भी अंतर पडता है । जिस भाग में धूप कडी होती है, वहां बडे वृक्षों की छाया में लगाने पर उपलब्ध भूमि का उपयोग भी होता है और सब्जियां भी मिलती हैं ।

२ इ. २ से ४ घंटे धूप आवश्यक, ऐसी सब्जियां

मेथी, पालक, सोया, धनिया इत्यादि सर्व हरी सब्जियां, लेट्यूस जैसी विदेशी सब्जियों के लिए अल्प धूप होने पर उनकी बढत उत्तम होती है । साधारणतः हरी सब्जियों का सेवन जब वे कोमल (नई) होती हैं, तब ही किया जाता है । इसलिए यदि उन्हें अल्प धूप में उगाएं, तो उनके सर्व गुण एवं स्वाद अबाधित रहते हैं ।

 

३. बाग में कहां, कब एवं कितनी मात्रा में
धूप आती है, इसका अभ्यास कर योग्य नियोजन कर बागवानी करें !

अपने उद्यान में कितनी धूप आती है, दिन में किस समय और बाग के किस भाग में एवं कितनी मात्रा में एवं तीव्रता की होती है, इसका अभ्यास आरंभ के कुछ दिन, इसके साथ ही वर्षभर में विविध ऋतुओं में कर उस अनुसार नियोजन कर सब्जियां लगाने का स्थान निश्चित करें । अर्थात हम भले ही कितना भी अभ्यास करें और उस अनुसार निश्चित करें, तब भी अंत में वह प्रकृति है ! इसलिए, इसके साथ ही आसपास की इमारतें, बडे वृक्ष इत्यादि के कारण हर दिन एकसमान धूप निश्चित ही नहीं मिलती । इसके लिए उपलब्ध जगह के अनुसार वृक्षों एवं गमलों की रचना कर उस अनुसार मिलनेवाली धूप एवं छांव में सब्जियां लगाकर, उनके लिए धूप की आवश्यकता की आपूर्ति कर सकते हैं । जिन सब्जियों के लिए कडी धूप आवश्यक है, उन्हें खुली जगह में लगाना अथवा उस स्थान पर गमले रखकर बडे वृक्षों की पडनेवाली छाया में हम अल्प धूप एवं सूर्यप्रकाश की आवश्यकतावाली सब्जियां लगा सकते हैं । बाग में ऐसा भाग होता ही है जहां छाया रहती है । उस भाग में छाया में बढनेवाली सब्जियां लगाकर वह जगह भी हम उपयोग में ला सकते हैं । बाग के जिस भाग में सीधी धूप ही नहीं, साथ ही सूर्यप्रकाश भी कम है, वहां हम फूल के पौधे अथवा शोभा के पौधे लगा सकते हैं । शोभा के अथवा घर में रखे जानेवाले (इन्डोर) पौधों की बढत ऐसे भाग में अच्छी होती है । जिन सब्जियों के लिए भरपूर धूप आवश्यक होती है एवं जो हम एक पंक्ति में लगा सकते हैं, ऐसे पौधों को उत्तर-दक्षिण दिशा में कतार में रखें, तो सभी पौधों को सवेरे से शाम तक समान धूप मिलेगी । धूप में बढनेवाली सब्जियों की जडों के पास गमलों में थोडी छाया में बढनेवाली सब्जियां लगाने पर, एक ही खत में दो सब्जियां लगाने पर दो सब्जियां मिलने के साथ-साथ अल्प जगह में अधिक सब्जियां मिल सकती हैं ।

 

४. धूप की न्यूनता के कारण उत्पन्न
न्यून हो, तब भी उसके लिए किया गया परिश्रम महत्त्वपूर्ण है !

पूर्ण धूप की आवश्यकता हो, ऐसी सब्जियां आधी धूप में एवं आधी धूप में होनेवाली सब्जियां यदि छाया में लगाईं, तो ऐसा नहीं है कि वे नहीं फलेंगी । केवल इतना होगा कि उन्हें लगनेवाले फलों का रंग एवं आकार अल्प होगा । स्वाद वही होगा; परंतु संख्या न्यून होगी एवं सब्जी के कली से लेकर पकने तक का समय भी अधिक होगा । कारण एक ही है कि ‘उनकी बढत के लिए आवश्यक धूप अल्प मात्रा में मिलना एवं उससे मिलनेवाले जीवनसत्त्व एवं अन्नद्रव्य न्यून पडना’ । इन जीवनसत्त्वों की कमी हम खाद के उपयोग से दूर कर सके हैं; इसलिए अपनी जगह के अनुसार क्या लगाना है वह निश्चित करें एवं उसीप्रकार उद्यान से अपेक्षा रखें । अंत में अपने बगीचे में पका टमाटर हाट के टमाटर समान भले ही २ इंच व्यास का न हो, तब भी ‘वह हमने स्वयं उगाया है और उसे कौनसी खाद एवं पानी दिया, यह हमें पता है । इसके साथ ही उसपर हमारा अंकुश है’, यह महत्त्वपूर्ण है !

– राजन लोहगांवकर (vaanaspatya.blogspot.com)

Leave a Comment