घर में उपलब्ध बीजों से हरे शाक-तरकारी का रोपण आरंभ करें !

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घर में उपलब्ध सामग्री से सहजता से लगनेवाली हरे शाक-तरकारी का रोपण

इस लेख द्वारा हमने घर के घर ही में शाक-तरकारी के लिए लगनेवाली सामग्री के विषय में समझ लिया । अब प्रत्यक्ष रोपण की उचित पद्धति समझ लेंगे । घर में उपलब्ध मेथी के दाने अथवा धनिया के रोपण से शुभारंभ कर सकते हैं !

श्रीमती राघवी कोनेकर

 

१. रोपण के लिए स्थान निश्चित करना

‘रोपण के लिए जहां कम से कम ४ – ५ घंटे धूप आती हो, ऐसा स्थान चुनें । ‘उपलब्ध जगह के अनुसार रोपण के लिए थैलियां (ग्रो-बैग), ईंटों से कंपार्टमेंट) अथवा गमलों में से किसमें रोपण करनेवाले हैं’, यह निर्धारित करें ।

 

२. गमले अथवा ईंटों के कंपार्टमेंट्स में मिट्टी भरना

इस विषय में विस्तृत वीडियो जालस्थल पर उपलब्ध है । (इसकी मार्गिका लेख के अंत में दी है ।) उस अनुसार कंपार्टमेंट्स अथवा गमले भरवा लें । गमले भरते समय उसके तले में सूखे पत्तों की सतह अवश्य होनी चाहिए । घन जीवामृत उपलब्ध हो, तो वह भी ‘एक गमले में एक मुट्ठी’ इतनी मात्रा में मिट्टी में मिलाएं । गमला एकदम ऊपर तक न भरते हुए लगभग ४ अंगुल छोड दें । गमले भर जाने पर जीवामृत छिडकें । (जीवामृत, यह देशी गाय के गोबर, गोमूत्र, बेसन एवं गुड से बनाई प्राकृतिक खाद है । इसे १० गुना पानी में मिलाकर उपयोग करना होता है । ‘घन जीवामृत’ जीवामृत का ही एक टिकाऊ प्रकार है । – संकलक)

 

३. भरे हुए गमले अथवा कंपार्टमेंट्स ढककर रखना

बीजों का रोपण करने से पूर्व भरे हुए गमले अथवा कंपार्टमेंट्स ऊपर दिए अनुसार जीवामृत छिडककर पुरानी सूती साडी से अथवा चुनरी से ४८ घंटे ढककर रखें । ऐसा करने से उसमें पौधों की बढत के लिए उपयुक्त सूक्ष्म जीवाणुओं की अच्छी वृद्धि होने में सहायता होती है ।

 

४. घर में उपलब्ध बीजों से रोपण करना

प्रत्येक के ही घर में मेथी, धनिया, राई, मूंग, चौली, चना इत्यादि उपलब्ध होते हैं । ये उन वनस्पतियों के बीज होते हैं । आरंभ में ऐसे बीजों से रोपण करें । बोने से पहले बीजों पर भी बीजामृत का संस्कार अवश्य करें ।

 

५. शाक-तरकारी के बीज लगाने की पद्धति

मेथी, पालक, लाल शाक, धनिया, राई इत्यादि सभी हरे शाक-तरकारी के बीज आकार में छोटे होते हैं । ये बीज लगाने के लिए २ – ३ इंच ऊंचे और फैले बर्तन (ट्रे का भी) उपयोग कर सकते हैं । हरे शाक-तरकारी के बीजों को बीजामृत लगाकर छाया में रखें । तदुपरांत उसमें बीज की दुगुनी मात्रा में घन जीवामृत अथवा बालू मिलाएं । ऐसा करने से इन छोटे बीजों को बोते समय वे एक ही स्थान पर पास-पास नहीं गिरते, अपितु थोडे-थोडे अंतर पर गिरते हैं और इससे आगे पौधों की बढत भी अच्छी होती है । हरे शाक के बीज लगाने से पहले मिट्टी में लगभग ६ इंच के अंतर पर रेखाएं खींच लें । ऊपर दिए अनुसार बालू मिले बीज चिमटी में लेकर जैसे रंगोली बनाते हैं, उसीप्रकार धीरे से बोएं । तदुपरांत रेखा खींचते समय एक ओर हटी हुई मिट्टी को हलके हाथों से बीजों को ढक दें । कुछ दिनों में एक ही कतार में पौधे उग जाते हैं ।

छायाचित्र ‘१’ : छायाचित्र में ईंटों से बने कंपार्टमेंट में उगाई हुई मेथी देखें । मेथी की कतार के बीच में कुछ स्थानों पर मूली के बीज बोए थे । वहां मूली के पौधे दिखाई दे रहे हैं ।

धनिया बोना हो तो उसे बोने से पहले थाली में कटोरी की सहायता से हलके हाथों से रगड कर, दो भागों में विभाजित कर लें । (ध्यान रखें कि दाब जोर से नहीं पडे अन्यथा बीज कुचल जाएंगे ।) ऐसा करने से अंकुरण शीघ्र होता है । अन्य शाक-तरकारी ३ से ४ दिनों में लग जाती हैं । धनिया लगने के लिए १० से १२ दिनों की अवधि लग सकती है ।

हरे शाक-तरकारी के बीज बोने के पश्चात पानी डालने के पश्चात ग्रो-बैग अथवा गमला पुरानी सूती कपडे से ढककर रखें, अर्थात अंकुरण शीघ्र होता है और बीजों का पक्षियों से संरक्षण भी होता है । प्रतिदिन कपडा हटाकर मिट्टी में नमी होने की निश्चिती करें । पानी उतना ही डालें, जिससे नमी बनी रहे । अधिक पानी देने से बीज सड जाता है; इसलिए वैसा न करें । ३ – ४ दिनों में अंकुरण आरंभ होने पर कपडा हटा दें । ऐसा न करने पर सूर्यप्रकाश के अभाव में अंकुर पीले पड जाते हैं ।

बीजों का चींटियों से संरक्षण हो, इसलिए एक थाली में पानी लेकर उसमें गमला रखें अथवा गमले के सर्व ओर चींटी प्रतिबंधक खडिया लगा दें और समय-समय पर उसका निरीक्षण करते रहें ।

शाक-तरकारी के अंकुर कोमल होते हैं । इसलिए स्प्रे की बोतल से ध्यानपूर्वक पानी डालें । छायाचित्र ‘१’ के उदाहरण में मेथी के पास की खाली जगह में अथवा मूली के पौधों पर पानी डालें । १० गुना पानी मिला हुआ जीवामृत डालना हो, तो वह भी इसी स्थान पर डालें । ऐसा करने से मेथी की कोमल जडों को धक्का नहीं लगता । सभी शाक-तरकारी के बीज बोने के एक से सवा माह पश्चात तैयार हो जाते हैं । (छायाचित्र ‘२’ में अन्य शाक-तरकारी के साथ सवा माह पश्चात निकाली गई मेथी एवं मूली का शाक दिखाई दे रहा है ।)

छायाचित्र ‘२’

 

६. यह लेख केवल पढकर छोड न दें ! इस अनुसार कृति करें !

घर में उपलब्ध बीजों से रोपण करना बहुत सरल है । इसके लिए अधिक समय भी नहीं देना पडता । चलिए फिर ! आज कम से कम एक गमले में मेथी के बीज बोकर देखें । सवा माह के उपरांत आप अपने हाथों से लगाई शाक-तरकारी, अपने हाथों से लगाई मेथी का शाक (साग) खा सकेंगे । इस मेथी का स्वाद बाजार की मेथी के साग की तुलना में निश्चित ही अच्छा होगा; कारण उसमें आपके परिश्रम का आनंद होगा । इस आनंद को अनुभव करने के लिए कृति का शुभारंभ करें । विषमुक्त अन्न के लिए सनातन की घर-घर रोपण मुहिम में सम्मिलित हों !’

– श्रीमती राघवी मयूरेश कोनेकर, ढवळी, फोंडा, गोवा. (३.९.२०२२)

गमले भरना, बीजामृत इत्यादि की जानकारी के लिए नीचे दी गई मार्गिका पर जाएं !

मार्गिका : https://www.sanatan.org/hindi/a/34832.html

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