विश्वयुद्ध, भूकंप इत्यादि आपदाओं का प्रत्यक्षरूप से सामना कैसे करें ? (भाग ७)

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अन्य समय पर देश में ठंड के मौसम में शीतलहर आती है । हिमालय में तो तापमान शून्य के नीचे ४० डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है । आज के आपातकाल में शीतलहर आने की संभावना को भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता । कुछ दिन पूर्व ही अमेरिका के टेक्सास में भारी मात्रा में बर्फ गिरी । उसमें वहां की बिजली की आपूर्ति प्रभावित होने से नागरिक हीटर का उपयोग नहीं कर सके । नल का पानी जम जाने से पानी की आपूर्ति भी बंद थी । भोजन बनाने हेतु बिजली के उपकरणों का उपयोग करना संभव न होने से वहां के नागरिकों को कुछ दिनोंतक बहुत कष्ट सहने पडे । इसे आपातकाल ही कहना होगा । भविष्य में ऐसी स्थिति सर्वत्र हुई, तो उसके कारण बडी मात्रा में प्राणहानि भी हो सकती है । इस लेख में भारत में शीतलहर आने पर सामान्यतः क्या उपाय किए जा सकते हैं, इसकी जानकारी दी गई है ।

 

६. शीतलहर

६ अ. शीतलहर क्या होती है ?

‘सामान्यरूप से वातावरण में तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने से उसे ‘शीतलहर’ कहते हैं ।

६ आ. शीतलहर के कारण होनेवाले कष्ट

६ आ १. ‘हाइपोथर्मिया’ से सतर्क रहना चाहिए !

अधिक ठंड के कारण कुछ लोगों को ‘हाइपोथर्मिया’ का कष्ट हो सकता है । प्रत्येक व्यक्ति के शरीर का एक सामान्य तापमान होता है, जिसे शरीर के द्वारा नियंत्रित किया जाता है । जब शरीर का तापमान इस सामान्य तापमान से नीचे गिरता है, तब उसे ‘हाइपोथर्मिया’ कहते हैं । यह प्राणघातक सिद्ध हो सकता है; क्योंकि इस तापमान का सामना करने हेतु शरीर आवश्यक गर्मी उत्पन्न नहीं कर सकता, विशेषरूप से नवजात बच्चों और प्रौढ लोगों को इसका संकट अधिक होता है । इसलिए किसी को अधिक ठंड लगने से यदि वह कांपता हो, तो उसके शरीर में अधिक गर्मी उत्पन्न होने हेतु उसे पर्याप्त वस्त्र और कंबल दें । उसके वस्त्र गीले हों, तो उन्हें परिवर्तित कर दें । ऐसे व्यक्ति को गर्मी उत्पन्न करनेवाला पेय पीने के लिए दें । आवश्यकता के अनुसार आधुनिक वैद्य की सलाह लें ।

६ इ. शीतलहर से बचाव हेतु करनी आवश्यक तैयारी

ठंड के दिनों में गर्म वस्त्रों का पर्याप्त संग्रह कर रखें, उदा. स्वेटर अथवा जैकेट; मफलर, शॉल, कानटोपी, हाथमोजे (दास्ताने) अथवा मोजे, कंबल (ब्लैंकेट) इत्यादि । परिवार के प्रत्येक सदस्य को ऐसे वस्त्र मिलें, इसकी ओर ध्यान दें । वृद्ध लोगों को ठंड से अधिक कष्ट होता है; इसलिए उनके लिए पर्याप्त गर्म वस्त्र हैं न, इसकी ओर ध्यान दें ।

६ ई. प्रत्यक्षरूप में शीतलहर होने के समय क्या करना चाहिए ?

अ. ठंड के कारण जलवाहिनियों में पानी जम जाने की संभावना होने से इस अवधि में घर में पानी का पर्याप्त संग्रह करें ।

आ. गीले वस्त्र न पहनें । कुछ कारणवश वस्त्र गीले हुए, तो उन्हें बदलकर सूखे वस्त्र पहनें ।

इ. नियमितरूप से गर्म पेय एवं गर्म पदार्थ खाएं ।

ई. मदिरापान न करें, उससे शरीर की गर्मी अल्प होती है ।

उ. ठंड के कारण हाथ-पैर की उंगलियां, कान, नाक का सिरा आदि सुन्न पड सकते हैं; इसलिए इस पर ध्यान देकर उन्हें गर्मी कैसे मिले; इसकी ओर ध्यान दें ।

ऊ. ठंड के कारण सुन्न पडे अंगों का मर्दन न करें, उससे हानि हो सकती है ।

ए. सुन्न पडा हुआ अंग, उदा. हाथ-पैर आदि को गुनगुने पानी में डुबाकर रखा जा सकता है ।

ऐ. शीतलहर की अवधि में संभवतः घर से बाहर न निकलें । बाहर निकलने पर शरीर कांपना आरंभ हो, तो तत्काल घर वापस आ जाएं ।

ओ. संभव हो, तो घर में हीटर का उपयोग करें ।

औ. दूरचित्रवाणी अथवा आकाशवाणी पर मौसम की दी जानेवाली जानकारी, साथ ही उसके संदर्भ में दी जानेवाली सूचनाओं की ओर ध्यान देकर उनका पालन करें ।’

संदर्भ : pocketbook-do-dont-hindi

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