बडे शहरों में असुरक्षित वातावरण के साथ-साथ वहां के रज-तम के बढते प्रभुत्व का कारण अपने परिवार के साथ किसी गांव अथवा तालुका में स्थानांतरित होने का विचार करें और वैसी व्यवस्था करें !

महानगरों और बडे शहरों में रहनेवालों के लिए महत्त्वपूर्ण सुझाव !

वर्तमान में, भारत और साथ ही अन्य प्रमुख शहरों में महानगरों की जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है । वहां बढती महामारी सभी के लिए चिंता का विषय बन गई है । शहरों में भीडभाड, अस्वच्छता, बढता प्रदूषण, रज-तम की प्रबलता इत्यादि के कारण नागरिकों में भय और असुरक्षा की भावना है । युद्ध, दंगे, सुनामी, बीमारियां आदि आपदाओं के समय गांवों की तुलना में शहरों में रहना अधिक धोकादायी है ।

 

१. गांव अथवा तालुका में वातावरण अधिक सुरक्षित !

महानगरों की तुलना में, गांवों के साथ-साथ तालुकों में भी खुली हवा, प्राकृतिक संसाधनों (धूप, पेड आदि) की प्रचुरता, अल्प प्रदूषण आदि होने से पर्यावरण सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक है । वहां की जीवनशैली आत्मनिर्भर है । आवश्यक वस्तुओं (पानी, सब्जियां, फल आदि) की उपलब्धता भी गांव में सुलभ है । यदि अपनी खेती है, तो उससे अपना जीवन यापन कर सकते हैं ।

 

२. महानगरों में स्थानांतरित हुए साधक अपने परिवारोंके
साथ गांव अथवा तालुका में रहने का विचार करें और वैसी व्यवस्था करें !

कुछ लोग जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहा करते थे, वे महानगरों और बड़े शहरों में शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय आदि के लिए स्थानांतरित हो गए हैं । आपदा के समय इन शहरों को असीम क्षति होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए, महानगरों में रहनेवालों को अपने परिवारों के साथ एक गांव अथवा तालुका में स्थानांतरित होने का विचार करना चाहिए । किसी सुरक्षित स्थान पर ‘फार्म हाउस’ (खेतों में घर) है, तो इसका भी चयन किया जा सकता है । यदि आपका गांव असुरक्षित है, और आपके वहां रहने की व्यवस्था नहीं हो सकती, तो किसी सुरक्षित वैकल्पिक गांव अथवा तालुका चुनें ।

 

३. आनेवाले आपातकाल में रहने के लिए गांव और
घर चुनते समय निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण मापदंड ध्यान में रखें !

३ अ. गांव अथवा तालुका चुनते समय ध्यान रखने योग्य बातें

१. चुने जानेवाले गांव अथवा तालुका को महानगरों और बडे शहरों के बहुत निकट नहीं होना चाहिए ।

२. ‘आसपास के गांव सुरक्षित हैं न ? ’ यह देखें ।

३. गांव बाढप्रभावी, ज्वालामुखी अथवा भूकंप प्रवण क्षेत्रों में नहीं होने चाहिए । बांध से अतिरिक्त पानी छोडने पर संभावित बाढक्षेत्र के गांवों का चयन नहीं किया जाना चाहिए ।

४. समुद्र और नदी के किनारे के गांवों के बजाय वैकल्पिक गांवों को चुनने के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए । ऐसा इसलिए है कि समुद्र का स्तर, साथ ही नदी में आई बाढ से जल स्तर अपनी उच्चतम सीमा पार कर लेता है । इससे तटवर्ती गांव बाढ की चपेट में आ सकते हैं । इसे टालने के लिए उच्चतम जल स्तर से ४ मीटर की ऊंचाई पर (ग्राऊंड लेवल) वाले गांवों का चयन किया जाना चाहिए ।

५. जिस क्षेत्र में कोयले की खदानें हैं, वहां खदानों के नीचे आग होती है । उससे कोयला जलने से राख बनती है और वहां की भूमि धंस जाती है । इसलिए, ऐसे क्षेत्र में गांव का चयन न करें ।

६. बडे-बडे कारखानों, औद्योगिक संयंत्रों (इंडस्ट्रियल प्लांट) और सिलेंडर गोदामों में तैयार होनेवाले ज्वलनशील पदार्थों का विस्फोट होकर आसपास के क्षेत्र की बहुत हानि हो सकती है । इसलिए, आसपास के क्षेत्र में ऐसे कारखाने अथवा परियोजनाएं नहीं होनी चाहिए ।

७. आपातकाल में गांवों में पानी की प्रचुर आपूर्ति होनी चाहिए, इसके साथ ही आवश्यक वस्तुओं (पानी, सब्जियां, फल इत्यादि) की उपलब्धता भी होनी चाहिए ।

८. कई गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं है, जिससे दूसरों से संवाद करना कठिन हो जाता है । इसलिए ‘गांव में संचार व्यवस्था अच्छी है ना?’ यह देखें ।

९. गांव का वातारवरण साधना, इसके साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन के लिए अनुकूल होना चाहिए । गांव में घर है; परंतु यदि साधना के लिए पूरक वातावरण नहीं है, तो अन्य वैकल्पिक स्थान का विचार करें ।

३ आ. घर के बारे में नीचे दिए अनुसार विस्तृत अध्ययन आवश्यक है !

१. आपका घर हिन्दू-बहुल सुरक्षित क्षेत्र में होना चाहिए ।

२. झुग्गी-झोपडियों के कारण अनधिकृत निर्माणकार्य, भीडवाली बस्तियां, अत्यधिक अस्वच्छता के कारण बीमारियां शीघ्र फैलना, सिलिंडर का विस्फोट, ‘शॉर्ट सर्किट’ आदि के कारण आग लगना आदि दुर्घटनाएं होती हैं । इसलिए घर से लगभग १-२ किमी की दूरी तक झुग्गियां न हों ।

३. हमें जो सहायता कर सकें, आसपास ऐसे लोग रहते हों तो उत्तम है ।

४. ‘धर्मप्रसार, जडी-बूटियों की खेती करना आदि संभव है क्या, इस पर विचार करें ? ’

३ ई. उपरोक्त सभी मापदंड लागू होंगे, ऐसे गांव अथवा तालुका मिले तो उत्तम !

रज-तम प्रधान गांव अथवा तालुका की तुलना में सात्त्विक गांव की रक्षा होगी । इसलिए, आश्रय का चयन करते समय सात्त्विकता के साथ ही उपरोक्त मापदंडों का पालन करने का प्रयास करना चाहिए । यदि यह संभव नहीं है, तो ऐसा गांव और घर चुनें, जहां अधिक से अधिक मापदंड लागू होंगे ।

याद रखें, महानगरों और बडे शहरों की तुलना में सुरक्षित गांव में स्थानांतरित होने का विचार करना, एक प्रकार से आपातकाल की तैयारी है !

आपातकाल की पूर्वतैयारी के लिए गांव के घर पर निम्न व्यवस्था करें !

अपने गांव के घर की मरम्मत करवाकर उसे रहने योग्य बनाएं । उपरोक्त मापदंडों के अनुसार यदि कोई गांव अथवा तालुका चुनना है, तो शीघ्र से शीघ्र उसका चयन करें और वहां रहने की सभी व्यवस्था करें । सौर ऊर्जा उपकरणों को घर पर भी रखा जा सकता है । यदि सभी व्यवस्थाएं पहले से हो जाएं, तो आपातकाल शुरू होते ही बडे शहरों को छोडकर गांव में शरण लेना सुविधाजनक होगा और अपने प्राणों की रक्षा होगी ।

संदर्भ: दैनिक सनातन प्रभात

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