अयोध्यामें श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ ने लिए प्रभु श्रीरामजी की कुलदेवी श्री देवकालीमाता के आशीर्वाद !

‘सप्तर्षि जीवनाडीपट्टी के माध्यम से सप्तर्षियों ने श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ को आदेश दिया था कि वे ३१ जुलाई को अयोध्या जाकर, २ अगस्त को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जन्मनक्षत्र (उत्तराषाढा नक्षत्र) को श्रीरामजी की कुलदेवी श्री देवकालीमाता के मंदिर में दर्शन के लिए जाएं और ३ अगस्त को उत्तराषाढा नक्षत्र समाप्त होकर श्रीविष्णु के श्रवण नक्षत्र आरंभ होने पर श्रीरामजन्मभूमि जाकर श्रीराम की मूर्ति के दर्शन लें । उसी अनुसार श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळ ने २ अगस्त को श्रीराम की कुलदेवी श्री देवकालीदेवी के मंदिर जाकर दर्शन लिए । इसके साथ बालकरूप में श्रीराम के मंदिर जाकर भी दर्शन लिए ।

 

सूर्यवंशी राजाओं की कुलदेवी श्री
देवकालीदेवी जो ‘अयोध्याकी देवी’ के रूप में भी प्रचलित हैं ।

श्री देवकालीदेवी (बाएं से श्री महाकाली, मध्य में श्री महालक्ष्मी और दाएं श्री महासरस्वतीदेवी का मुख है ।)

अयोध्यानगरी सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी है । उनकी कुलदेवी श्री देवकालीदेवी है । त्रेतायुग में सूर्यवंशी दशरथ राजा के घर में श्रीराम का जन्म हुआ । श्रीरामजन्म के पहले से ही अयोध्या में देवकालीदेवी विराजमान हैं । आज भी लोग इस देवी को ‘अयोध्या की देवी’ मानते हैं । इस मंदिर में पारिवारिक शुभकर्म, छोटे बच्चों का उपनयन आदि संस्कार किए जाते हैं । श्री देवकालीदेवी की मूर्ति में तीन देवियों का समावेश है । बाएं से श्री महाकाली, मध्य में श्री महालक्ष्मी और अंत में श्री महासरस्वती देवी हैं । इन्हें स्थानीय लोग ‘बडी देवकाली’ कहते हैं । विवाह के उपरांत अयोध्या आते समय सीतामाता अपनी मायके की कुलदेवी श्री गिरिजादेवी की मूर्ति लेकर आईं थीं; अयोध्या में  इनका भी मंदिर है । उन्हें स्थानीय लोग ‘छोटी देवकाली’ कहते हैं ।

 

श्री देवकाली मंदिर जानेपर हुई अनुभूति और मिले ईश्‍वरीय संकेत

श्री देवकालीमाता को भावपूर्ण नमस्कार करते हुए श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ

१. श्री कालभैरव के दर्शन होने के संदर्भ में हुई विशेष घटना

१ अ. श्‍वान के रूप में श्री कालभैरव के दर्शन देना

श्री देवकाली मंदिर में प्रवेश करते ही श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ के सामने एक काला कुत्ता आया । तब उन्होंने उसे भावपूर्ण नमस्कार किया । काला कुत्ता श्री कालभैरव का प्रतीक माना जाता है ।

श्री देवकाली मंदिर के परिसर में कालभैरव के प्रतीक श्‍वान को नमस्कार करती हुईं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ
१ आ. मंदिर के पुजारी का स्वयं ही श्री कालभैरव मंदिर ले जाना

पृथ्वी पर जितने शक्तिपीठ हैं, ऐसे प्रत्येक आदिशक्ति जगदंबा के मंदिर के बाहर श्री कालभैरव का मंदिर होता है । ऐसा कहा जाता है कि देवी के स्थानों की रक्षा के लिए वहां कालभैरव देवता अवश्य होते हैं । श्री देवकाली के दर्शन होने पर वहां के पुजारी गर्भगृह से बाहर आए और वे स्वयं ही श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ को मंदिर परिसर में स्थित श्री कालभैरव मंदिर ले गए ।

–  श्री. विनायक शानभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश. (४.८.२०२०)
निद्राधीन बालकरूप में श्रीराम की विलोभनीय मूर्ति के दर्शन

पुजारी श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळ को श्रीराम के बालकरूप के मंदिर में दर्शन के लिए भी लेकर गए । इस मंदिर की विशेषता यह थी कि यहां श्रीराम की मूर्ति बालकरूप और निद्राधीन मुद्रा में है । इस मूर्ति को देख श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ की भावजागृति हुई । उस मूर्ति को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो बालकरूप में प्रभु श्रीराम प्रत्यक्ष वहां सो रहे हैं । श्री देवकाली देवी, कुलदेवी हैं अर्थात वे सभी की माता हैं । श्रीराम की मूर्ति को देखकर ऐसा लगता है कि साक्षात भगवान ही यहां माता की गोद में सो रहे हैं ।

कोरोना के कारण निर्माण हुई कठिन परिस्थिति में भी केवल परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की कृपा से हमें दर्शन का सौभाग्य मिला है । श्रीरामजन्मभूमि पर श्रीराममंदिर के भूमि पूजन समारोह के उपलक्ष्य में  इन देवताओं के दर्शन लेकर रामराज्य की स्थापना के लिए प्रार्थना की गई । उसके लिए प्रभु श्रीराम, महर्षि और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञता !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment