कोरोना विषाणु (वाईरस) का संक्रमण टालने हेतु उपयुक्त जानकारी

१. नोवेल कोरोना विषाणु (वाईरस) क्या है ?

कोरोना विविध विषाणुओं का एक बडा समूह है तथा इन विषाणुओं के कारण सरदी जैसे सामान्य विकार से लेकर श्‍वसनतंत्र के गंभीर विकारों का संक्रमण हो सकता है ।

 

२. यह विषाणु किन माध्यमों द्वारा फैलता है ?

अ. यह विकार ८० प्रतिशततक हाथों के माध्यम से फैलता है ।

आ. इन विषाणुओं के कारण प्रदूषित बने विदेशगमन कक्ष, टिकट कक्ष, दरवाजों की हैंडल्स, सीढी अथवा लिफ्ट के हैंडल्स को हाथ लगाने से, साथ ही हाथ न धोकर मुख, आंखें अथवा नाक को स्पर्श करने से यह विकार फैलता है ।

इ. सीधे हवा से विषाणु संक्रमण की संभावना केवल २० प्रतिशत से भी अल्प है ।

ई. यह विषाणु भीडवाले स्थानोंपर फैलता है । विद्यालय, संस्थाएं, विमान, वातानुकूलित बसें, वातानुकूलित रेल के डिब्बे आदि स्थानोंपर इन विषाणु के संक्रमण की संभावना अधिक होती है ।

 

३. विकार के लक्षण

इस बीमारी का संक्रमण होने के न्यूनतम २ दिनों में तथा अधिकतम १४ दिनोंतक बुखार आना, खांसी और दस्त लगना आदि लक्षण दिखाई देते हैं ।

 

४. बीमारी न हो; इसके लिए प्रतिदिन करने आवश्यक प्रतिबंधात्मक उपाय

४ अ. बिना हाथ धोए आंखें, नाक और मुंह को स्पर्श न करें ।

४ आ. नल के नीचे साबुन से हाथ धोएं

अन्न पकाने से पहले, रसोई बनाते समय और रसोई बन जाने के पश्‍चात, भोजन से पूर्व, शौचालय में जाकर आने के पश्‍चात, जब हाथोंपर बहुत धूल जमती है, तब बहते नल के नीचे साबुन से हाथ धोना अथवा अल्कोहोलयुक्त हैंड वॉश का उपयोग करना, पशुओं अथवा पशुखाद, पशुओं का मल के संपर्क आने से, हाथ मिलानेपर, साथ ही खांसी अथवा छींक आनेपर, रोगी की सेवा के पश्‍चात हाथ धोएं । जब हाथपर बहुत धूल जमी हो, अधिक मात्रा में अल्कोहोल युक्त साबुन से हाथ धोएं ।

४ इ. खांसी आते समय अथवा छींक आते समय निम्न सावधानियां बरतनी आवश्यक

४ इ. १. खांसते समय अथवा छींकते समय मुखपर टिश्यू पेपर अथवा रूमाल अथवा कुर्ते की बांही पकडें । (इसके लिए हाथ का कभी भी उपयोग न करें ।)
४ इ. २. उपयोगित टिश्यू पेपर को तुरंत ही कूढेदान में फेंककर उसका ढक्कन बंद करें ।
४ इ. ३. जो रोगी की सेवा करते हैं, वे खांसी अथवा छींक आनेपर साबुन और पानी का उपयोग कर अथवा हाथ को अल्कोहोलमिश्रित तरल से हाथ धोएं ।
४ इ. ४. भोजन को पकाते समय आवश्यक सावधानी

अ. कच्चा और पके हुए अन्न की प्रक्रिया के मध्य में हाथ धोएं ।

आ. बीमार पशु एवं खराब हो चुके मांस से संपर्क टालें ।

इ. घूमते पशु, बाजार के अपशिष्ट पदार्थ एवं तरल पदार्थों से संपर्क टालें ।

ई. जीवित जंगली, पालतू अथवा कृषि के लिए उपयोगी पशुओं से असुरक्षित संपर्क टालें ।

उ. पशुओं अथवा पशुओं से प्राप्त उत्पादों से संपर्क के समय उचित कुर्ता, हाथमोजे (ग्लोव्ज) अथवा मास्क पहनें ।

ऊ. जिन क्षेत्रों में संक्रमण अधिक हो, वहां मांस से बने पदार्थ खाते समय सावधानी बरतें । ऐसे पदार्थ उचित पद्धति से पकाए गए हैं न, इसकी आश्‍वस्तता करें । पदार्थ बनाए जानेपर उनका उचित पद्धति से उपयोग करें ।

ए. रोगी व्यक्ति से संपर्क टालें ।

ऐ. सार्वजनिक स्थानोंपर थूकना टालें ।

ओ. कामपर होते समय काम समाप्त होनेपर गणवेश को निकालकर, उन्हें प्रतिदिन धोकर काम के स्थानपर ही रखें ।

औ. काम से लौटने के पश्‍चात भिगे हुए कपडे और बूट के साथ परिवार के अन्य सदस्यों का संपर्क टालें ।

अं. चीन अथवा दक्षिण एशिया जैसे रोग के संक्रमणों के क्षेत्रों में यात्रा करना टालें ।

 

५. बीमारी के लक्षण दिखाई देनेपर क्या करना चाहिए ?

अ. बुखार, खांसी अथवा सांस लेने में कष्ट होनेपर तुरंत चिकित्सा लें ।

आ. रोगी की यात्रा के संदर्भ में जानकारी लें ।

 

६. प्रतिबंधात्मक उपाय के रूप में और उचित पद्धति से मास्क पहनने की पद्धति

अ. शस्त्रकर्म करते समय उपयोग किया जानेवाला त्रिस्तरीय मास्क ९० प्रतिशत प्रभावशाली होता है ।

आ. जब हम बीमार होते हैं अथवा किसी बीमार व्यक्ति के साथ संपर्क होनेवाला हो अथवा हम किसी भीडवाले स्थानपर जाना हो, तो मास्क का उपयोग करें ।

इ. मास्क को ४ से ६ घंटोंतक उपयोग करने के पश्‍चात फेंक दें ।

 

७. कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण सावधानियां

अ. बीमार व्यक्ति से एक हाथ से भी अधिक दूरी बनाकर खडे रहें ।

आ. प्राकृतिक प्रकाश अथवा अच्छी हवावाले स्थानपर रहें ।

इ. हम जिन वस्तुओं का उपयोग करते हैं, उनका पृष्ठभाग १ प्रतिशत आयसोल नामक तरल पदार्थ से निर्जुंतुकीकरण (डिस्इनफेक्ट) करें ।

ई. पर्याप्त नींद लें ।

उ. पर्याप्त पानी पीएं और पोषक आहार लें ।

– डॉ. पांडुरंग मराठे, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.

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