धनतेरस के उपलक्ष्य में धर्मप्रसार कार्य हेतु सत्पात्र दान देकर श्री लक्ष्मीजी की कृपा संपादन करें !

 

१. धनत्रयोदशी का महत्त्व

‘धन’ का अर्थ शुद्ध लक्ष्मी ! इस दिन मनुष्य का सुचारू रूप से पोषण हेतु सहायता करनेवाले धन (संपत्ति) का पूजन किया जाता है । व्यापारी वर्ग की दृष्टि से धनत्रयोदशी से नववर्ष का आरंभ होने से वे इस दिन तिजोरी का पूजन करते हैं । सत्कार्य हेतु धन समर्पित करना ही लक्ष्मीजी का वास्तविक पूजन है ! धर्मशास्त्र के अनुसार ‘मनुष्य को अपनी आय का १/६ भाग का प्रभु कार्य हेतु व्यय करना चाहिए’, ऐसा कहा जाता है ।

धनत्रयोदशी के शुभमुहूर्तपर प्रभु कार्य हेतु अर्थात ईश्‍वर के धर्मसंस्थापना के कार्य हेतु धन समर्पित करें । धन का विनियोग सत्कार्य हेतु होने से धनलक्ष्मी लक्ष्मीरूप में सदैव आपके साथ रहेंगी !

 

२. सत्कार्य हेतु अर्थात धर्मप्रसार के कार्य हेतु
धन का विनियोग हो; इसके लिए ‘सत्पात्रे दान’ करें !

आजकल धर्म की स्थिति दयनीय बनी हुई है । धर्मशिक्षा के अभाव के कारण हिन्दुओं का धर्माभिमान नष्ट हो चुका है । इसलिए ‘धर्म के पुनरुत्थान का कार्य करना’, इस काल का प्रभुकार्य है और उसे प्रधानता से करना आवश्यक बन गया है । अतः धर्मप्रसार करनेवाले संत, साथ ही राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु कार्य करनेवाली संस्थाएं अथवा संगठनों के कार्य हेतु दान देना काल के अनुसार सर्वश्रेष्ठ दान है । विगत कई वर्षों से सनातन संस्था निरपेक्ष वृत्ति से धर्मजागृति का कार्य कर रही है । अतः अर्पणकर्ताओं द्वारा दिए गए दान (अर्पण) का विनियोग धर्म के पुनर्स्थापन हेतु ही होगा, यह निश्‍चित है !

धनत्रयोदशी के उपलक्ष्य में दान देने के इच्छुक दाता अपनी जानकारी भेजें ।

नाम एवं संपर्क क्रमांक : श्रीमती भाग्यश्री सावंत – ७०५८८८५६१०

संगणकीय पता : [email protected]

डाक के लिए पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, २४/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा. पीन – ४०३४०१

https://www.sanatan.org/en/ donate पर भी दान दान (अर्पण) देने की सुविधा उपलब्ध है ।’

– श्री. वीरेंद्र मराठे, कार्यकारी न्यासी, सनातन संस्था

Leave a Comment