नवरात्रोत्सव की कालावधि में रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में श्री कालभैरवपूजन, महाचंडी याग एवं श्री बगलामुखी याग !

रामनाथी (गोवा) : नवरात्रोत्सव की कालावधि में पृथ्वीपर देवीतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना अधिक कार्यरत होता है । ‘देवी की इस कार्यरत शक्ति के द्वारा हिन्दू राष्ट्र-स्थापना में उत्पन्न विविध बाधाएं दूर हों, परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का महामृत्युयोग टले तथा साधकों को विविध कारणों से होनेवाले शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक कष्ट दूर हों, इसके लिए महर्षि भृगु महर्षिजी द्वारा बताए जाने के अनुसार यहां के सनातन आश्रम में श्री कालभैरवपूजन, २ दिनों का ‘महाचंडीयाग’, साथ ही सप्तर्षियों की आज्ञा के अनुसार श्री बगलामुखी यज्ञ किया गया । इन यागों के लिए परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने अपने कक्ष में बैठकर संकल्प लिया । ये सभी याग ५ से ७ अक्टूबर की कालावधि में मंगलमय वातावरण में संपन्न हुए । इस अवसरपर आश्रम के संत एवं साधक उपस्थित थे ।

पूर्णाहूति के समय चंडीयाग का पौराहित्य करते हुए बाईं ओर से श्री. दामोदर वझे, सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी, सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी, श्री. अमर जोशी एवं श्री. ईशान जोशी

नवरात्रि के अष्टी एवं नवमी इन तिथियों के दिन महाचंडीयाग संपन्न हुआ । इस अवसरपर श्री दुर्गादेवी का षोडशोपचार पूजन, कुमकुमार्चन, साथ ही सप्तशति के १३ अध्यायों का पाठ किया गया । पूर्णाहुति के साथ चंडीयाग का समापन हुआ । सनातन पुरोहित पाठशाला के संचालक तथा ६२ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त श्री. दामोदर वझेगुरुजी, पुरोहित श्री. अमर जोशी एवं श्री. ईशान जोशी ने इस याग का पौराहित्य किया । सभी साधकों ने नवरात्रि के समय संपन्न इस याग के कारण श्री दुर्गादेवी की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त होने के लिए श्री दुर्गादेवी एवं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरणों में भावपूर्ण कृतज्ञता व्यक्त की ।

 

सप्तशति के पाठ का महत्त्व

चंडी श्री दुर्गादेवी का एक नाम है । मार्कंडेय पुराण में चंडीदेवी की महिमा विशद की गई है, साथ ही उनके अवतार एवं पराक्रम के संदर्भ में विस्तार से वर्णन किया गया है । चंडीयाग के समय सप्तशति के १३ अध्यायों का पाठ किया जाता है ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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