हिन्दुओं, आप गाय को ही ‘गोग्रास’ देते हैं न ?

भारतीय गाय

हिन्दू धर्म में गोग्रास को पुण्यप्रद माना गया है । त्योहार के दिन गोग्रास दिए बिना भोजन न करनेवाले कई हिन्दू हैं, साथ ही नियमित रूप से गोग्रास दिए बिना भोजन ग्रहण न करनेवाले हिन्दू भी हैं; किंतु यह गोग्रास गाय को ही खिलाया जा रहा है ना ?, इसे देखने की आवश्यकता है । मुंबई के कई मंदिरों के पास पैसे लेकर गाय को गोग्रास खिलाने के लिए गायें बांधी जाती हैं; किंतु उनमें से ९९ प्रतिशत गायें नहीं, अपितु जर्सी पशु हैं । हम जिसे जर्सी गाय समझते हैं, वह गाय नहीं, अपितु मूलतः युरोप का होल्स्टेन फ्रीजियन नामक पशु है । यह पशु गाय जैसा दिखता है; इसलिए भारतीय भाषांतरकर्ताओं ने उसे अंग्रेजी में ‘काऊ’ कहना आरंभ किया । अब इस पशु को भारत में गाय के रूप में जाना जाता है । इसकी कई लोगों को जानकारी नहीं है और जो इसे जानते हैं, उन हिन्दुओं के पास अन्य कोई विकल्प नहीं है । इसलिए अज्ञान एवं हतबलता के कारण हिन्दू इस जर्सी पशु को गोग्रास खिलाने में संतोष मान रहे हैं; किंतु घोडा और गधा इनमें जितना अंतर है, उतना ही अंतर देसी एवं जर्सी गाय में है ।

होल्स्टेन फ्रीजियन नामक पशु

भारतीय देसी गाय मूलतः सात्त्विक और शांत होती है । उसका रंभाना श्रवणीय होता है और सोना भी शांत होता है, तो दूसरी ओर जर्सी गाय का रंभाना अश्रवणीय होता है । वह सुअर जैसे पैर लंबे कर नींद लेती है । देसी गाय का दूध प्रथिनों से युक्त होता है । साथ ही देसी गाय का दूध, घी, मख्खन, गोबर एवं गोमूत्र से बनाया जानेवाला पंचगव्य औषधिय होता है । इसके विपरीत जर्सी पशु का दूध विष के समान होता है । इस दूध के कारण दमा, अस्थमा, हृदयकिर आदि रोगों की संभावना होती है; किंतु इसकी जानकारी न होने से अधिकांश लोग गाय समझकर इस जर्सी पशु का पालन कर रहे हैं । भारतीय वंश की गाय के सान्निध्य में रहने से तनाव दूर होता है, जिसपर विदेश में शोध चल रहा है; किंतु भारत में इन अमूल्य कामधेनुओं की संख्या तीव्रगति से अल्प हो रही है । धर्मांधों के तुष्टीकारण के कारण गायों की गर्दनपर चलाए जानेवाले चाकू कांग्रेस ने नहीं रोके । गाय केवल हिन्दुओं की आस्थातक सीमित विषय नहीं, अपितु राष्ट्र की समृद्धी का प्रतीक है ।

महाराष्ट्र में गोवंश हत्याबंदी का कानून होते हुए भी गाय और गोवंश की हत्या के समाचार नियमितरूप से सुनने में आते हैं । गुजरात में गीर गायों की संख्या बढाने हेतु केंद्र शासन अब ब्राजील देश से १ लाख भारतीय वंश के गोवंश का वीर्य मंगानेवाला है । भाजपा सरकार का यह उपक्रम अत्यंत प्रशंसनीय है । भारतीय वंशो की गायों के संवधर्न हेतु और बडी मात्रा में प्रयास करने होंगे; परंतु साथ में गोसंवर्धन करते हुए गोमाता की गर्दनपर चाकू चलानेवाले हाथों को रोकना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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