अक्षय्य तृतीया के पर्वपर ‘सत्पात्र दान’ देकर ‘अक्षय्य दान’ का फल प्राप्त करें !

सभी पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमियों से विनम्र अनुरोध !

अक्षय्य तृतीया के पर्वपर ‘सत्पात्र दान’ देकर ‘अक्षय्य दान’ का फल प्राप्त करें !

‘२६.४.२०२० को ‘अक्षय्य तृतीया’ है । ‘अक्षय्य तृतीया’ हिन्दू धर्म के साढेतीन शुभमुहूर्तों में से एक मुहूर्त है । इस दिन की कोई भी घटिका शुभमुहूर्त ही होती है । इस दिन किया जानेवाला दान और हवन का क्षय नहीं होता; जिसका अर्थ उनका फल मिलता ही है । इसलिए कई लोग इस दिन बडी मात्रा में दानधर्म करते हैं ।

 

१. ‘सत्पात्र दान’ का महत्त्व !

हिन्दू धर्म बताता है, ‘सत्पात्र दान करना, प्रत्येक मनुष्य का परमकर्तव्य है ।’ सत्पात्र दान का अर्थ सत् के कार्य हेतु दानधर्म करना ! दान देने से मनुष्य का पुण्यबल बढता है, तो ‘सत्पात्र दान’ देने से पुण्यसंचयसहित व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ भी मिलता है । अक्षय्य तृतीया के दिन निम्न प्रकार से ‘सत्पात्र दान’ दिया जा सकता है ।

 

२. दान के प्रकार

२ अ. धनदान

आज का समय धर्मग्लानि का है । आज धर्मशिक्षा के अभाव में हिन्दू समाज अधर्माचरणी बन गया है । उचित धर्मशिक्षा न देने से हिन्दुओं का धर्माभिमान नष्ट हो चुका है । धर्म की ऐसी दयनीय स्थिति में धर्म के पुनरुत्थान का कार्य करना, काल के अनुसार अनिवार्य बन गया है । अतः धर्मप्रसार करनेवाले संत, साथ ही राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु कार्य करनेवाली संस्थाएं अथवा संगठनों के कार्य हेतु दान देना, यह काल के अनुसार सर्वश्रेष्ठ दान है । सनातन संस्था धर्मजागृति का यही कार्य कर रही है । अर्पणदाताओं द्वारा इस प्रकार की संस्था अथवा संगठन को दिए जानेवाले दान (अर्पण) का विनियोग धर्म की पुनर्स्थापना हेतु ही होनेवाला है ।

२ आ. ज्ञानदान

सनातन संस्था की बहुविध एवं सर्वांगस्पर्शी ग्रंथसंपति चिरंतन ज्ञान की अमूल्य धरोहर है । ये ग्रंथ सरल भाषा में पाठकों को अमूल्य ज्ञान देते हैं, साथ ही उनमें धर्म के प्रति श्रद्ध भी बढाते हैं । धर्म की शाश्‍वत शिक्षा देनेवाली इस ग्रंथसंपत्ति को ज्ञानदान का सर्वोत्तम माध्यम कहा जा सकता है । अतः आप अक्षय्य तृतीया के दिन ऐसे ग्रंथदान के द्वारा ज्ञानदान कर पुण्यसंचयसहित आध्यात्मिक लाभ भी उठाईए । ग्रंथदान के माध्यम से अध्यात्मप्रसार हेतु ये ग्रंथ अपने परिजन, विद्यालय-महाविद्यालय के ग्रंथालय, साथ ही सार्वजनिक वाचनालयों को दिए जा सकते हैं ।

अक्षय्य तृतीया के उपलक्ष्य में दान देने के इच्छुक दाता अपनी जानकारी सूचित करें ।

नाम एवं संपर्क क्रमांक : श्रीमती भाग्यश्री सावंत – ७०५८८८५६१०

संगणकीय पता : [email protected]

डाक के लिए पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, २४/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा. पिन – ४०३४०१

संकेतस्थल https://www.sanatan.org/en/donate पर भी दान (अर्पण) देने की सुविधा उपलब्ध है ।’

– श्री. वीरेंद्र मराठे, व्‍यवस्‍थापकीय न्‍यासी, सनातन संस्‍था. (१०.४.२०२०)

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