रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में संत भक्तराज महाराज तथा प.पू. रामानंद महाराज की चरण पादुकाओं का दर्शन समारोह संपन्न

चराचर में व्यापकता जिनकी । निरंतर भेंट मुझे उनकी ।

परमपद संगम पूर्ण हुआ । कैसे भूल जाऊं में गुरुचरणपादुकाओं को ॥

संत भक्तराज महाराज एवं प.पू. रामानंद महाराज की चरण पादुकाएं

 

प.पू. भक्तराज महाराज एवं प.पू. रामानंद महाराज की चरण पादुकाओं का आश्रम में शुभागमन

 

चरण पादुकाओं की आरती उतारते हुए श्री. प्रकाश मराठे तथा पुरोहित

रामनाथी (गोवा), १४ दिसंबर (संवाददाता) : सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के गुुरु तथा सनातन के प्रेरणास्रोत संत भक्तराज महाराज तथा उनके उत्तराधिकारी एवं सनातन के स्फूर्तिस्थान प.पू. रामानंद महाराज की चरणपादुकाओं का १४ दिसंबर को यहां के सनातन के आश्रम में शुभागमन हुआ । तत्पश्‍चात आश्रम के साधकों ने चरणपादुकाओं के दर्शन किए ।

आश्रम में चरण पादुकाओं के आगमन से कुछ समय वातावरण चैतन्यदायक तथा आनंदित बन गया था । सुबह ९.४५ बजे आश्रम के प्रवेशद्वारपर वेदमंत्रों के उच्चारण में आगमन होनेपर सनातन की साधिका श्रीमती वर्धिनी गोरल तथा श्रीमती रोहिणी भुकन के हस्तों औक्षण किया गया । इस समय संत भक्तराज महाराजजी की भक्त श्रीमती स्मिता राव ने संत भक्तराज महाराज की चरण पादुकाएं तथा श्री. भालचंद्र दीक्षित ने प.पू. रामानंद महाराज की चरण पादुकाएं, तो सनातन के ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त श्री. प्रकाश मराठे ने श्री. अनंतानंद साईश, संत भक्तराज महाराज तथा प.पू. रामानंद महाराज के एकत्रित छायाचित्र की प्रतिमा हाथ में लीं थी । तत्पश्‍चात श्री. मराठे ने चरण पादुकाओं का भावपूर्ण पूजन किया । इस  मंगल अवसरपर सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजी, भक्तवात्सल्याश्रम के तथा श्री सद्गुरु अनंतानंद साईश शैक्षणिक एवं पारिमार्थिक सेवा न्यास के अध्यक्ष श्री. शरद बापट, उपाध्यक्ष श्री. अनिल जोग, न्यासी श्री. दिलीप भोसले (तात्या), लेखासेवक श्री. हेमंत पंचभाई, भक्त श्री. दौलतराव लोंडे (धनी), श्री. गिरीश दीक्षित, श्री. अशोक भांड, श्री. संजय घळसासीसहित अन्य भक्तगण, सनातन संस्था तथा स्पिरिच्युल साईन्स रिसर्च फाऊंडेशन (एस्.एस्.आर्.एफ्.) के साधक उपस्थित थे ।

पूजन के पश्‍चात आश्रम के साधकों ने चरण पादुकाओं के दर्शन किए । इस समय साधकों को श्री अनंतानंद साईश, संत भक्तराज महाराज, प.पू. रामानंद महाराज तथा परात्पर गुुरु डॉ.आठवलेजी की कृपा से ही साधना करना संभव होने के विषय में कृतज्ञता लग रही थी ।

क्षणिका : इस मंगल अवसरपर संत भक्तराज महाराज के भक्तगण श्री अनंतानंद साईश, संत भक्तराज महाराज तथा प.पू. रामानंद महाराज का जयघोष कर रहे थे ।

 

चरण पादुकाओं के आगमन के संदर्भ में
सद्गुुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ को प्रतीत विशेषतापूर्ण सूत्र

१. चरण पादुकाओं के आश्रम आगमन का समाचार मिलते ही वातावरण चैतन्यमय बन जाने का प्रतीत होना

संत भक्तराज महाराज एवं प.पू. रामानंद महाराज की चरण पादुकाओं के आश्रम में शुभागमन का समाचार मिलते से ही आश्रम का वातावरण चैतन्यमय और आनंदित हुआ था । इससे पहले अनेक बार आश्रम में चरण पादुकाओं का आगमन हुआ था और प्रत्येक बार साधकों ने आनंद एवं उत्साह का अनुभव किया था; परंतु इस बार वातावरण में एक अलग ही उत्साह एवं आनंद प्रतीत हो रहा था । इस विषय में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को बतानेपर उन्होंने भी ‘‘आज कुछ अलग ही प्रतीत हो रहा है ।’’, ऐसा कहा ।

२. चरण पादुकाओं के आगमन के समय संत भक्तराज महाराज के अस्तित्व का अनुभव होना

चरणपादुकाओं के आगमन के पश्‍चात प.पू. बाबा के भक्त तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी एक-दूसरे से मिलें । प.पू. बाबा के भक्त परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के साथ प.पू. बाबा के समय घटित विविध प्रसंग, उस समय प्राप्त अनुभूतियां तथा पुरानी स्मृतियों में खो गए थे । प.पू. बाबा के महानिर्वाण के पश्‍चात उनके कृपाशिर्वाद के कारण ही सनातन का कार्य बढकर अनेक साधक सनातन के मार्गदर्शन में साधना करने लगे । सनातन के अनेक साधकों को प.पू. बाबा के प्रत्यक्ष सहवास का अनुभव नहीं हुआ; परंतु उसका मन में तनिक भी शल्य मन में न रहे; इसीलिए ईश्‍वर ने प.पू. बाबा एवं प.पू. रामानंद महाराज की चरण पादुकाओं को दर्शन हेतु आश्रम में भेजा, ऐसा प्रतीत हुआ ।

३. ‘प.पू. बाबा के भक्त और साधक अलग नहीं, अपितु एक ही हैं’, ऐसा प्रतीत होना

प.पू. बाबा के भक्तों के साथ बात करते समय वे हाथ में हाथ लेकर और बडी सहजता से बात कर रहे थे और प.पू. बाबा, प.पू. रामानंद महाराज तथा परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी से संबंधित पुरानी स्मृतियों का उल्लेख कर रहे थे, साथ ही वे साधकों को ‘डॉक्टरजी (परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी) की स्वास्थ्य का ध्यान रखें’, ऐसा सुझाव दे रहे थे । तब प.पू. बाबा के भक्त तथा सनातन के साधक प्रेम के एक ही धागे में बंधे हुए हैं और वे और साधक अलग नहीं, अपितु एक ही हैं, ऐसा प्रतीत हुआ । भक्तों के प्रति निकटता एवं प्रेम लग रहा था ।

४. प.पू. बाबा की भांति ही परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति भाव एवं श्रद्धा रखनेवाले प.पू. बाबा के भक्त !

इस अवसरपर पधारे हुए भक्त कह रहे थे,‘डॉक्टरजी (परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी) के कारण ही हममें अनुशासन आ गया । डॉक्टरजी कहतें, ‘‘बाबा जो बताते हैं, उसे केवल सुनना नहीं, अपितु लिखकर लेना चाहिए । बाबाजी का यह अमूल्य ज्ञान आगे जाकर उनकी जीवनी लिखने के लिए तथा लोगों को साधना की ओर मोडने के लिए उपयोगी सिद्ध होगा ।’’ डॉक्टरजी ने हमें  टिपटाप, ठीकठाकपन आदि गुण सिखाए । उनके कारण सिखना और लिखकर लेना क्या होता है ?, यह हम सीख गए ।’ आश्रम से चरण पादुकाओं के प्रस्थान के समय वाहन में बैठे एक भक्त ‘डॉक्टरजी के स्वास्थ्यपर ध्यान दें’, ऐसा पुनःपुनः बता रहे थे । भक्तों के मन में प.पू. बाबाजी की भांति ही परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति भाव, श्रद्धा एवं सम्मान होने का प्रतीत हुआ ।

– सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा

चरणपादुकाओं के पूजन के पश्‍चात श्री. शरद बापट ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को शॉल, कमलपुष्प तथा अंग्रेजी भाषा का‘प.पू. भक्तराज महाराजजी का दैवीय जीवनपट’ ग्रंथ समर्पित कर सम्मानित किया । तत्पश्‍चात परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के करकमलों से श्री भक्तराज महाराज दिनदर्शिका का लोकार्पण किया, साथ ही परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी ने भी श्री.शरद बापट एवं श्री. अनिल जोग को शॉल एवं श्रीफल अर्पण कर सम्मानित किया ।

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment