रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में स्थित ध्यानमंदिर की देवताएं जागृत होकर उनके संदर्भ में विविध अनुभूतियां प्राप्त होना तथा उसका शास्त्र !

रामनाथी, गोवा के सनातन के आश्रम में विद्यमान देवताआें की मूर्तियां तथा प्रतिमाएं पहले की अपेक्षा बडी मात्रा में जागृत हुई हैं । उससे ध्यानमंदिर में नामजप करते समय अथवा केवल देवताआें के दर्शन करते समय भी देवताआें की मूर्तियां तथा प्रतिमाआें के संदर्भ में अनेक साधकों को विविध अनुभूतियां प्राप्त होती हैं ।

कु. मधुरा भोसले

 

१. ध्यानमंदिर में विद्यमान देवताआें के जागृत होने के कारण

ध्यानमंदिर में विद्यमान देवताआें के जागृत होने का कारण मात्रा (प्रतिशत)
१. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का चैतन्यदायक अस्तित्व ४०
२. साधक एवं संतों का भक्तिभाव ३०
३. संकटकाल की तीव्रता बढने से साधकों की रक्षा हेतु काल के अनुसार देवताआें का तत्त्व जागृत हो जाना ३०
कुल १००

– कु. मधुरा भोसले (सूक्ष्म से प्राप्त ज्ञान), सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा (१८.११.२०१८, रात ११.३०)

 

२. ध्यानमंदिर में विद्यमान विविध देवताआें में विविध
तत्त्व कार्यरत होने से उनमें विद्यमान देवत्व का जागृत हो जाना

श्री भवानीदेवी की मूर्ति पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति मुरलीधर श्रीकृष्णजी की मूर्ति
१. कार्यरत पंचतत्त्व तेज वायु आकाश
२. किस पाताल की अनिष्ट शक्तियों से युद्ध करते हैं ? पाताल क्र. ५ पाताल क्र. ६ पाताल क्र. ७
३. मूर्ति की ओर देखकर आनेवाली अनुभूति मूर्ति में देवी की शक्तिमय तेजतरंग कार्यरत होकर उनका प्रवाह पाताल की ओर जा रहा है, ऐसा प्रतीत होना मूर्ति में सूक्ष्म से हलचल प्रतीत होकर बडी मात्रा में चैतन्य का प्रक्षेपण होते हुए दिखाई देना मूर्ति जिवंत हुई है तथा ‘भगवान श्रीकृष्णजी बांसुरी बजा रहे हैं’, ऐसा प्रतीत होना तथा कुछ समयतक सूक्ष्म से बांसुरी का सुमधुर नाद भी सुनाई देना

– कु. मधुरा भोसले (सूक्ष्म से प्राप्त ज्ञान), सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा (१८.११.२०१८, रात ११.४०)

 

३. ध्यानमंदिर में विद्यमान देवताआें के संदर्भ
में प्राप्त अनुभूतियां रामनाथी आश्रम का ध्यानमंदिर

रामनाथी आश्रम का ध्यानमंदिर

३ अ. श्री भवानीमाता के संदर्भ में प्राप्त अनुभूतियां

१०.११.२०१८ को मैं जब ध्यानमंदिर में गई, तब मेरा ध्यान श्री भवानीदेवी की मूर्ति की ओर गया । उस समय उनके दाहिने चरण से बडी मात्रा में मारक शक्ति का प्रवाह पाताल की ओर प्रक्षेपित होता हुआ प्रतीत हुआ । तब लाल रंग की शक्ति का प्रवाह बिजली की भांति उनके दाहिने चरण के अंगुठे से नीचली दिशा में पाताल की ओर जाता हुआ दिखाई दिया ।

३ आ. श्रीपंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति मे संदर्भ में प्राप्त अनुभूति

१२.११.२०१८ को जब मैं ध्यानमंदिर में नामजप कर रही थी, तब साधिका कु. रितु देशमुख ने मुझे वहां की श्रीपंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति को देखने के लिए कहा । मैं जब उस मूर्ति को देख रही थी, तब मुझे मूर्ति में सूक्ष्म से हलचल हो रही है तथा मूर्ति में वायुतत्त्व बडी मात्रा में प्रबल होकर मूर्ति जागृत हुई है, ऐसा प्रतीत हुआ ।

३ इ. मुरलीधर श्रीकृष्णजी की मूर्ति के संदर्भ में प्राप्त अनुभूति

१८.११.२०१८ को ध्यामंदिर में नामजप करते समय मुझे वहां चल रहे एक पंखे से स्थूल से बांसुरी का नाद सुनाई दिया । ‘यह नाद ध्यानमंदिर में विद्यमान श्रीकृष्णजी के हाथ में स्थित बांसुरी का है’, ऐसा मुझे प्रतीत हुआ ।

कृतज्ञता !

‘परात्पर गुुरुमाता, आपकी कृपा से मुझे ध्यानमंदिर में विद्यमान देवताआें के संदर्भ में उपर्युक्त ज्ञान मिला तथा अनुभूतियां प्राप्त हुईं; इसके लिए मैं आपके चरणों में कृतज्ञ हूं ।’

– कु. मधुरा भोसले (सूक्ष्म से प्राप्त ज्ञान), सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा (१८.११.२०१८, रात ११.४५)

टीप : ध्यानमंदिर में विद्यमान देवताआें के जागृत होने के कारण साधकों के भाव के अनुरूप उन्हें अनुभूतियां प्राप्त होती हैं । साधकों द्वारा किए गए आत्मनिवेदन तथा प्रार्थना के पश्‍चात देवताएं उन्हें सूक्ष्म से प्रत्युत्तर करते हैं । कभी-कभी विशिष्ट देवताएं सूक्ष्म से बातें कर साधकों के मन में उठ रहे प्रश्‍नों का उत्तर देकर उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है ।

इस अंक में प्रकाशित की गई अनुभूतियां ‘जहां भाव, वहां ईश्‍वर’, इस वचन के अनुसार साधकों को प्राप्त व्यक्तिगत अनुभूतियां हैं । वो सभी को ही प्राप्त होंगी, ऐसा नहीं है । – संपादक

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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