क्या बच्चों के लिए गुरुकुल शिक्षापद्धति की आवश्यकता है ?

बच्चों की आध्यात्मिक उन्नति हेतु गुरुकुल शिक्षापद्धति की आवश्यकता

सद्गुरू (डॉ.) वसंत आठवलेजी

१. प्राचीन काल में गुरुकुल में बच्चों को पहले अध्यात्म की शिक्षा और
उसके पश्‍चात कुल ६४ कलाआें में से २-३ कलाआें की शिक्षा दी जाती थी

पहले उपनयन संस्कार के पश्‍चात बच्चों को शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल भेजा जाता था । गुरुकुल में बच्चों को पहले अध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी । तत्पश्‍चात उनकी रुचि तथा योग्यता के अनुसार उनको कुल ६४ कलाआें में से २-३ कलाआें की शिक्षा दी जाती थी । कला की यह शिक्षा उनके लिए गृहस्थी तथा जीविका का साधन बन जाती थी । उनको यह शिक्षा देते समय उसमें आध्यात्मिक दृष्टिकोण कैसे रखना चाहिए, यह भी गुरुकुल में सिखाया जाता था ।

२. बच्चों में अहंभाव बढने के पहले ही उनको अध्यात्म की शिक्षा
देने से उनको सात्त्विक संस्कार मिलकर उनकी आध्यात्मिक उन्नति होना

बच्चों में ६ वर्ष की आयु के पश्‍चात अहं का विकास होता है । एक बार उनमें अहं बढने के पश्‍चात उनको संस्कारित करना लगभग असंभव होता है; इसीलिए उनमें अहंभाव बढने के पहले ही उनको अध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी । इससे उनको सात्त्विक संस्कार मिलते थे । बचपन से ही उनको साधना के संस्कार मिलने के कारण, उनमें साधना के प्रति रुचि उत्पन्न होती थी और उनकी आध्यात्मिक उन्नति होती थी । अहंभाव बढने से पहले ही साधना में आगे जाना सुलभ होता है । साथ ही गुरुकुल का वातावरण सात्त्विक होने के कारण साधना के लिए पोषक होता था ।

३. आज बच्चों को धर्म की शिक्षा न मिलने से उनका पतन होना

आज कहीं पर भी बच्चों को अध्यात्म की शिक्षा ही नहीं दी जाती, साथ ही घर में रज-तमात्मक वातावरण और दूरदर्शन (टेलीवीजन) के कारण उनको सदैव माया के संस्कार ही मिलते हैं । अतः इससे बच्चों का अर्थात समाज का पतन हो रहा है और उससे व्यक्ति और समाज वास्तविक आनंद से विमुख हो रहे हैं ।

४. प.पू. डॉक्टर जी द्वारा प्रारंभ की गई गुरुकुल शिक्षापद्धति का भविष्य में होनेवाला समष्टि परिणाम

इसीलिए प.पू. डॉक्टरजी द्वारा सनातन संस्था में गुरुकुल शिक्षापद्धति प्रारंभ की गई है । वहां पर बच्चों को नैतिक मूल्यों के संस्कार मिलते हैं और उससे बचपन में ही उनका आध्यात्मिक विकास होता है । ऐसे बच्चे अपनी युवावस्था में ही समष्टि संत बनकर ब्रह्मांड का उद्धार कर सकते हैं ।

– आधुनिक वैद्य सद्गुरू (डॉ.) वसंत आठवलेजी, चेंबूर (३.२.२०१२)

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

2 thoughts on “क्या बच्चों के लिए गुरुकुल शिक्षापद्धति की आवश्यकता है ?”

  1. हाँ, जरुरत है.. विज्ञान युगमें सब शिक्षार्थी उल्टा दिशा में भाग रहे हैं… संस्कार लाना अब आवश्यक हो गया है

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  2. Very nice information. I really admire it.
    And fell so bad that we lost such a wonderful vidhyspith because of cruel momdens. I hate Muslim

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