८.११.२०२२ को भारत में दिखाई देनेवाला संपूर्ण चंद्रग्रहण (ग्रस्तोदित), ग्रहण की अवधि, उसके नियम तथा राशि के अनुसार ग्रहण का फल !

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१. इन देशों में दिखेगा चंद्रग्रहण !

‘कार्तिक पूर्णिमा (८.११.२०२२, मंगलवार) को भारतसहित संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका का पूर्वी प्रदेश एवं संपूर्ण दक्षिण अमेरिका में यह ग्रहण दिखाई देगा ।

 

२. भारत में सर्वत्र ग्रस्तोदित चंद्रग्रहण दिखेगा

यह चंद्रग्रहण भारत में सर्वत्र ग्रस्तोदित स्वरूप में दिखाई देनेवाला है; इसका अर्थ ग्रस्त चंद्रबिंब उदित होगा । उसके कारण भारत में कहीं भी ग्रहणस्पर्श दिखाई नहीं देगा । भारत के पूर्व के कुछ प्रदेशों में संपूर्ण अवस्था दिखाई दे सकती है; परंतु महाराष्ट्र एवं अन्य प्रदेश में यह ग्रहण आंशिक स्वरूप में दिखाई देगा ।’ (संदर्भ : दाते पंचांग)

२ अ. चंद्रग्रहण के समय (ये समय संपूर्ण भारत के लिए हैं ।)

श्रीमती प्राजक्ता जोशी

२ अ १. स्पर्श (आरंभ)

८.११.२०२२ को दोपहर २.३९ बजे

२ अ २. मध्य

८.११.२०२२ को सायंकाल ४.३० बजे

२ अ ३. मोक्ष (ग्रहण समाप्ति अथवा अंत)

८.११.२०२२ को सायंकाल ६.१९ बजे

२ आ. ग्रहणपर्व

ग्रहणपर्व का अर्थ है ग्रहण आरंभ से लेकर अंततक की कुल समयावधि । वह ३ घंटे ४० मिनट है ।

टिप्पणी १ : पर्व का अर्थ पुण्यकाल है । ग्रहणस्पर्श से लेकर ग्रहण मोक्षतक का काल पुण्यकाल है । शास्त्र में बताया गया है कि इस काल में ईश्वरीय सान्निध्य में रहने से आध्यात्मिक लाभ होता है ।’

२ इ. पुण्यकाल

‘चंद्रोदय से लेकर (संबंधित गांव/शहर के सूर्यास्त से लेकर) ग्रहणमोक्षतक पुण्यकाल है ।’ (संदर्भ : दाते पंचांग)

 

३. ग्रहण का सूतक काल आरंभ होना

३ अ. अर्थ

चंद्रग्रहण से पूर्व चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आने लगता है । उसके कारण उसका प्रकाश धीरे-धीरे न्यून होना आरंभ होता है, इसी को ‘ग्रहण का सूतक काल आरंभ हुआ’, ऐसा कहा जाता है ।

३ आ. कालावधि

यह ग्रहण ग्रस्तोदित (सूत्र क्र. २ में इसका अर्थ दिया गया है ।) (संपूर्ण चंद्रग्रहण) होने से मंगलवार ८.११.२०२२ को सूर्याेदय से लेकर मोक्ष तक (सायंकाल ६.१९ तक) ग्रहण के सूतक काल का पालन करें । बालकों, वृद्ध व्यक्तियों, शारीरिक दृष्टि से दुर्बल व्यक्तियों, बीमार व्यक्तियों तथा गर्भवती गर्भवती स्त्रियां मंगलवार सवेरे ११ बजे से लेकर सूर्यास्त तक ग्रहण के सूतक काल का पालन करें ।

 

४. चंद्रग्रहण की अवधि में पालन किए जानेवाले नियम

सूतक काल में भोजन करना निषिद्ध है । इस काल में स्नान, जाप, देवतापूजन एवं श्राद्ध जैसे कर्म किए जा सकते हैं, साथ ही पानी पीना, सोना एवं मल-मूत्रोत्सर्ग जैसे कर्म भी किए जा सकते हैं; परंतु ग्रहण के पर्वकाल में (२ आ. सूत्र – टिप्पणी १ में इसका अर्थ दिया गया है ।) अर्थात संबंधित गांव/शहर के सूर्यास्त से लेकर सायंकाल ६.१९ तक के काल में पानी पीना, मल-मूत्रोत्सर्ग एवं सोना जैसे कर्म निषिद्ध होने से न करें ।’ (संदर्भ : दाते पंचांग)

 

५. ग्रहणकाल में कौन से कर्म किए जा सकते हैं ?

१. ग्रहणस्पर्श होते ही स्नान करें । ग्रहणस्पर्श होते ही अर्थात ग्रहण का आरंभ होते ही दोपहर २.३९ बजे स्नान करें ।

२. पर्वकाल में देवतापूजन, तर्पण, श्राद्ध, जाप, होम एवं दान करें ।

३. इस अवधि में पूर्व में कुछ कारणवश खंडित मंत्र के पुनःश्चरण का आरंभ करने से उसका अनंत गुना फल मिलता है ।

४. ग्रहणमोक्ष (ग्रहण समाप्त) होने के उपरांत स्नान करें ।

किसी व्यक्ति के लिए अशौच हो, तो ग्रहणकाल में उसके लिए स्नान एवं दान करनेतक सीमित शुद्धि होती है ।

 

६. ग्रहण का राशियों के आधार पर फल

६ अ. शुभ फल : मिथुन, कर्क, वृश्चिक एवं कुंभ

६ आ. अशुभ फल : मेष, वृषभ, कन्या एवं मकर

६ इ. मिश्र फल : सिंह, तुला, धनु एवं मीन

जिन राशियों के लिए इस ग्रहण का फल अशुभ है, उन राशियों के व्यक्तियों एवं गर्भवती महिलाएं यह चंद्रग्रहण न देखें ।’(संदर्भ : दाते पंचांग)

 

७. ‘चंद्रग्रहण एवं तुलसी विवाह

कार्तिक शुक्ल द्वादशी, शनिवार ५.११.२०२२ को तुलसी विवाह का आरंभ है तथा पूर्णिमा के दिन अर्थात मंगलवार ८.११.२०२२ को तुलसी विवाह की समाप्ति होने से सायंकाल ६.१९ उपरांत अर्थात ग्रहणमोक्ष होने पर स्नान कर उसके उपरांत तुलसी विवाह किया जा सेगा; परंतु ५.११.२०२२ से ७.११.२०२२ इनमें से एक दिन तुलसी विवाह करना उचित रहेगा ।’ (संदर्भ : दाते पंचांग)

– श्रीमती प्राजक्ता जोशी (ज्योतिष फलित विशारद, वास्तु विशारद, अंक ज्योतिष विशारद, रत्नशास्त्र विशारद, अष्टकवर्ग विशारद, सर्टिफाइड डाऊजर, रमलशास्त्री, अक्षर मनोविश्लेषण शास्त्र विशारद एवं हस्तसामुद्रिक प्रबोध), महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय. (१६.१०.२०२२)

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